यशपाल शर्मा, लुधियाना
अमेरिका की फेडरल सरकार में 1 अक्टूबर 2025 की आधी रात से सरकारी शटडाउन शुरू हो गया है। भारतीय समयानुसार सुबह साढ़े नौ बजे से यह लागू हुआ। दुनिया के सबसे शक्तिशाली और सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश में पैसे के चलते कई काम रुक गए हैं। अमेरिकी सरकार के शटडाउन से भारतीय निर्यातकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है। ये बात लुधियाना के कारोबारी व पैरामाउंट इंपैक्स के एमड़ी राकेश कपूर ने कही हैं। कपूर ने कहा कि इस शट डाउन से लॉजिस्टिक एवं क्लीयरेंस में देरी होगी। अमेरिकी संघीय एजेंसियों की सीमित कार्यप्रणाली के कारण सीमा शुल्क एवं उत्पाद प्रमाणन प्रक्रियाओं में विलंब होगा, जिससे शिपमेंट प्रभावित होंगे। वहीं अमेरिका में एक्सपोर्ट करने वाले कारोबारियों के भुगतान में लंबा विलंब होगा। आपको बता दें कारोबारी राकेश कपूर की कंपनी पैरामाउंट इंपैक्स अमेरिका में विभिन्न तरह के एग्री पार्टस सप्लाई करने वाली बड़ी कंपनी हैं। कपूर ने चिंता जाहिर करते कहा कि लंबे समय तक शटडाउन रहने से उपभोक्ता विश्वास कमजोर होगा, जिसके परिणामस्वरूप वस्त्र, रत्न एवं आभूषण, आईटी सेवाएँ तथा ऑटो कंपोनेंट्स जैसे क्षेत्रों में भारतीय निर्यात की मांग प्रभावित हो सकती है। जिससे डॉलर–रुपया विनिमय दर में उतार-चढ़ाव मूल्य निर्धारण और अनुबंधों को चुनौतीपूर्ण बना देगा।
अब सवाल यह है कि शटडाउन क्या होता है। असल में अमेरिका में शटडाउन उस वक्त लगता है कि जब अमेरिकी संसद सरकार को चलाने के लिए 30 सितंबर तक की समय-सीमा के भीतर फंड मंजूर नहीं कर पाती। इसी फंडे से सरकारी विभागों और उससे जुड़े कामकाज को चलाने के लिए अमेरिकी सीनेट की ओर से मंजूर किया जाता है। अगर यह फंड मंजूर न हो तो सरकार के पास कामकाज चलाने के लिए कानूनी अधिकार नहीं रह जाते। ऐसे में सरकार को मजबूरी में हजारों एम्पलाई को छुट्टी पर भेज दिया जाता है।
क्या पहले भी लगा है अमेरिका में शटडाउन
अमेरिका में यह पहला मौका नहीं है जब शटडाउन लगा है. साल 1980 से लेकर अभी तक कुल 15 बार शटडाउन की नौबत आ चुकी है। सबसे लंबा शटडाउन साल 2018-19 में ट्रम्प के पूर्व कार्यकाल दौरान ही लगा था, जो 35 दिन चला था।
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Yashpal Sharma (Editor)