लुधियाना। पिछले लंबे समय से विवादों से घिरी हुई लुधियाना की डाइंग इंडस्ट्री को एनजीटी में सुनवाई के दौरान बड़ी राहत मिली है। दरअसल, एनजीटी में डाइंग इंडस्ट्री की सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार की और से एक एफिडेबिट दायर किया गया है। जिसमें उनकी और से इंडस्ट्री के सीईटीपी प्लांटों के पानी के लिए नई नहर बनाने के लिए कहा है। इसके लिए सरकार द्वारा एनजीटी से 2-3 महीने का समय मांगा गया। जबकि इस एफिडेविट के बाद डाइंग उद्योग पर लटक रही तलवार काफी हद तक थम गई है। एनजीटी की और से मामले की अगली सुनवाई सात अक्टूबर को की जाएगी। वहीं बता दें कि लुधियाना की डाइंग इंडस्ट्री द्वारा करोड़ों रुपए खर्च कर तीन सीईटीपी प्लांट लगाए थे। पंजाब सरकार द्वारा एग्रीमेंट किया गया था कि सीईटीपी प्लांटों से ट्रीट हुए पानी को खेतीबाड़ी में इस्तेमाल किया जाएगा। जिसके लिए सरकार उन्हें एक नहर बनाकर देगी। लेकिन फिर पुरानी सरकारें अपने वादों से पीछे हट गई। इस वजह से सारी गाज इंडस्ट्री पर आ गिरी थी। फिर किसी भी सरकार ने इंडस्ट्री का हाल नहीं जाना। लेकिन आप के इंडस्ट्री मंत्री संजीव अरोड़ा वे पहले इंसान है, जिन्होंने आगे आकर इंडस्ट्री का हाथ थामा और उन्हें इस समस्या से निजात दिलाने का प्रयास शुरु कर दिया है। वहीं अगर समय रहते सरकार साथ न देती तो इंडस्ट्री पर बड़ी गाज गिर सकती थी। लेकिन कही न कही मंत्री अरोड़ा के प्रयासों ने डाइंग उद्योग को बड़ी राहत दिलाई है।
सरकार के प्रयासों से मिली राहत
पंजाब डायर्स एसोसिएशन के डायरेक्टर बॉबी जिंदल और कमल चौहान ने बताया कि मंगलवार को पेशी के दौरान मिनिस्ट्री ऑफ एन्वायरनमेंट एंड फॉरेस्ट (एमओईएफ) से इंडस्ट्री को बड़ी राहत मिली है। एमओईएफ ने एफिडेविट दायर कर कहा कि डाइंग इंडस्ट्री ईसी लेने के लिए बाध्य नहीं है। जबकि डाइंग वाश केमिकल निर्माता यूनिटों पर ईसी लागू है। उन्होंने कहा कि मंत्री संजीव अरोड़ा के प्रयासों से उन्हें काफी राहत मिल सकी है। उन्हें यकीन है कि आगे भी सरकार उनका इसी तरह साथ देगी।
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Yashpal Sharma (Editor)