यशपाल शर्मा, लुधियाना
नेहरु रोजगार्डन नवीनीकरण के 8.80 करोड़ रुपए के टेंडर अलॉटमेंट में दस फीसदी की रिश्वत मांगने के आरोप में विजिलेंस की ओर से गिरफतार किए गए एसई संजय कंवर मामले में विजिलेंस जांच भी शक के घेरे में आती दिखाई दे रही है। विजिलेंस की ओर से हाईकोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों में कईं तरह के बिंदु ऐसे दिखाई दिए जो जांच को शक में दायरे में लाती दिखाई दे रही है। 45 दिन गुजर जाने के बाद भी विजिलेंस ने अदालत में पेश किए दस्तावेजों में ये नहीं बता पाई कि संजय कंवर व उनकी पत्नी के विभिन्न बैंक लॉकरों में क्या क्या रिकवर किया गया और उनके विभिन्न बैंक खातों में कितना फंड पड़ा हुआ था। अभी तक विजिलेंस इस जांच में केवल मीड़िया रिपोर्टस मुताबिक बताई गई लग्जरी गाड़ियां ही बरामद कर पाई है और इसके अलावा जांच में रिकवरी का कोई हवाला नहीं दिया गया है। आपको बता दें कि विजिलेंस ने एसई संजय कंवर को एक आडियों जिसमें वे नेहरु रोजगार्डन नवीनीकरण से संबंधित एक टेंडर के एवज में दस फीसदी की रिश्वत मांगने के मामले मे विजिलेंस के हत्थे चढे़ हैं, लेकिन इसके बावजूद विजिलेंस कोर्ट में ये नहीं बता पाई कि संजय कंवर ने कितना नगदी, सोना, ज्वैलरी व अन्य सामान रिश्वत के जरिए एकत्र कर रखी थी। आपको बता दें एसई संजय कंवर की लुधियाना विजिलेंस में बड़ी सेटिंग बताई जाती थी और इसी के चलते चंडीगढ़ विजिलेंस हैड क्वार्टर के कडे़ रुख के बाद लुधियाना विजिलेंस ब्यूरो ने ये एक्शन लिया था। अब भी विजिलेंस की जांच में सेटिंग की बू अभी से आने लगी है।
होटल ऑन की फाइल अभी भी लापता होटल, नाजायज हिस्से की कंपाउडिंग के बाद मिला थाईलैंड ट्रिप
आपको बता दें कि एसई संजय कंवर न केवल बीएंडआर ब्रांच में बल्कि नगर निगम में जब उन्हें एमटीपी का चार्ज दिया गया तो इस दौरान भी उन्होंने रिश्वतखोरी करने में कोई कमी नहीं छोड़ी। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि फिरोजपुर रोड के नजदीक बने होटल ऑन के 36000 स्क्वायर फीट के नाजायज हिस्से की भी कंपाउंडिंग संजय कंवर और तत्कालीन निगम कमिश्नर और एटीपी की मिली भगत से कर डाली गई । नियमों के तहत इस होटल की नाजायज हिस्से की कंपाउंडिंग संभव नहीं थी और नियमों के तहत इस नाजायज हिस्से को गिराया जाना बनता था। लेकिन मोटी रिश्वत के लेनदेन के चलते इस बिल्डिंग को कंपाउंड कर डाला गया। जब इस मामले की भनक चंडीगढ़ में लगी तो इस मामले की इंक्वारी शुरू कर दी गई। मामले की जांच शुरू होते ही इस होटल की फाइल को गायब कर दिया गया। विजिलेंस की ओर से अपनी जांच में नगर निगम बिल्डिंग ब्रांच के कई इंस्पेक्टर और एटीपी पूछताछ के लिए बुलाए गए, लेकिन विजिलेंस की रिपोर्ट में इस होटल की फाइल का कोई ब्यौरा नहीं दिया गया और ना ही इस होटल की फाइल की रिकवरी की गई। आपको बता दें कि तत्कालीन और मौजूदा एटीपी मोहन सिंह की ओर से अपनी रिपोर्ट में साफ किया गया है कि उन्होंने होटल की आखिरी बार फाइल तत्कालीन एमटीपी संजय कर को भेजी थी और उसके बाद वह फाइल वापस नहीं आई। आपको बता दें इस होटल की कंपाउंडिंग और मोटी रिश्वतखोरी के चलते होटल के मालिक और एसई संजय कंवर के बीच में गहन मित्रता हो गई और इसी मित्रता के चलते होटल मालिक की ओर से अपने बेटे की थाईलैंड में की गई शादी का इनवाइट भी संजय कंवर व उनकी फैमिली को भेजा गया था। इस इनवाइट में उन्हें साथ में होटल बुकिंग और एयरफेयर की टिकट भी भेजी गई थी। संजय कंवर ने अपने विजिलेंस में दिए गए कबूल नामे में माना है कि वह अपनी पत्नी के साथ थाईलैंड गए थे और थाईलैंड इसी शादी में संजय कंवर की ओर से भांगड़ा भी डाला गया आपको बता दें संजय कंवर और होटल के मालिक के बीच में पहले किसी तरह का दोस्ती या बिजनेस कनेक्ट नहीं था,केवल इस होटल की नाजायज कंपाउंडिंग के बाद दोनों में गहन मित्रता हुई थी।
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Yashpal Sharma (Editor)