यशपाल शर्मा, लुधियाना। पंजाब विजिलेंस व्यूरो के डीजीपी की ओर से लुधियाना नगर निगम की बिल्डिंग ब्रांच में मची करोड़ों की रिश्वतखोरी को लेकर रोंगेटे खडे़ करने वाला एक पत्र लिख पंजाब लोकल गर्वमेंट के सेक्रेटरी को आगाह किया है। इस पत्र में डीजीपी ने एक ग्राउंड रिपोर्ट का पूरा ब्याैरा सेक्रेटरी लोकल गर्वमेंट को दिया है और इस मामले को गंभीरता से देख एक्शन लेने को भी कहा है। आपको बता दें कि लुधियाना में रोज गार्डन नवीनीकरण के टेंडर में 90 लाख रुपए की रिश्वत के आरोप में विजिलेंस द्वारा गिरफ्तार किए नगर निगम के एसई संजय कंवर की और से जांच में खुलासा किया है कि इस कमीशन में निगम कमिश्नर आदित्य डेचलवाल की हिस्सेदारी भी थी। इस खुलासे के बाद नगर निगम में कई अधिकारियों की पोल खुलनी शुरु हो चुकी है। सूत्रों के अनुसार एसई संजय कंवर पहले लुधियाना नगर निगम में बतौर एमटीपी भी तैनात रह चुका है। जिसके चलते पिछले तीन सालों में करोड़ों रुपए का हेरफेर किया गया। विजिलेंस ब्यूरो द्वारा एसई संजय कंवर के कमीशन घोटाले की जांच की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जिससे पता चला कि निगम में बड़े लेवल पर करप्शन चल रही है। सूत्रों के अनुसार इस संबंध में विजिलेंस एसएसपी ने विजिलेंस के चीफ डीजीपी को शिकायत की है। जिसमें बताया गया है कि निगम की बिल्डिंग ब्रांचों में करोड़ों रुपए की रिश्वत का खेल किया जा रहा है। यह रिश्वत का खेल बिल्डिंग इंस्पेक्टर से लेकर ऊपर सत्र के अधिकारियों तक चल रहा है। जिस संबंधी डीजीपी ने लोकल बॉडी सेक्रेटरी को लेटर लिखा है कि आपके विभाग में भ्रष्टाचार जमकर चल रहा है। जिस पर रोक लगाने की जरुरत है। अब देखना होगा कि लोकल बॉडी विभाग द्वारा इस मामले में क्या एक्शन लिया जाता है। हालांकि एसई संजय कंवर की गिरफ्तारी के बाद बिल्डिंग ब्रांच के कई अफसर विजिलेंस ऑफिस के चक्कर काटते रहे हैं। आपको बता दें इस सख्त पत्र के बावजूद नगर निगम में इल्लीगल बिल्डिंगें बनवाने का खेल जोरशोर से चल रहा है। डी जोन के तहत जहां कालेज रोड़ पर धड़ल्ले से इल्लीगल बिल्डिंगें बन रही हैं, वहीं दूसरी ओर से स्मिट्री रोड़ पर भी मलेरकोटला हाउस की रिहायशी टीपी स्कीम कालोनी में भी एक ज्वैलर्स की ओर से तीन मंजिला बिल्डिंग बनाकर तैयार की जा रही है और इसका नक्शा रिहायशी पास करवा कर मोटी रिश्वत खाकर इसे तैयार करवाया जा रहा है।
पहले काटे जाते हैं चालान, फिर रिश्वत लेकर दबा दिए जाते हैं
सूत्रों के अनुसार विजिलेंस को पता चला है कि नगर निगम की बिल्डिंग ब्रांच द्वारा पहले इमारतों के चालान कर दिए जाते हैं। जिसके बाद आपसी सेटिंग कर रिश्वत ले ली जाती है। फिर वहीं चालान दबा दिए जाते हैं। पिछले तीन सालों में यह रिश्वत का खेल लगातार बढ़ता जा रहा है। जिसके चलते अधिकारियों द्वारा करोड़ों रुपए इकट्ठे कर लिए गए हैं।
अधिकारियों की ड्यूटी फिक्स करने की जरुरत
डीजीपी विजिलेंस द्वारा लोकल बॉडी विभाग के सेक्रेटरी को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि इस रिश्वतखोरी के खेल में अकेले बिल्डिंग इंस्पेक्टर जिम्मेदार नहीं है। इसके अलावा एटीपी व एमटीपी की भी अहम भूमिका है। जिसके चलते अधिकारियों की जिम्मेदारी फिक्स होनी चाहिए। आखिर शहर में लगातार अवैध इमारतें बन रही है तो इसका कौन जिम्मेदार है।
100 करोड़ की रिकवरी, घटकर हुई 60 करोड़
तीन साल पहले जब नगर निगम में प्रदीप सभ्रवाल निगम कमिश्नर का चार्ज देख रहे थे तब निगम की बिल्डिंग ब्रांच का सालाना रिकवरी 100 करोड़ रुपए पार कर गई थी। जिसमें एक साल 101 करोड़ तो वहीं दूसरे साल 103 करोड़ बिल्डिंग ब्रांच की रिकवरी आई थी। लेकिन वहीं अब ये टारगेट पिछले दो साल से 60-62 करोड़ तक रह गया है। यानि कि हर साल करीब 50 करोड़ तक अफसरशाही सरकार को चूना लगा रहा है। चर्चा है कि अधिकारियों द्वारा करोड़ों रुपए अपनी जेब में डालकर नगर निगम के साथ साथ सरकारी खजाने को बड़ा चूना लगाया जा रहा है। इन आंकड़ों को देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोरपोरेशन में भ्रष्टाचार किस हद तक बढ़ चुका है।
विदेश घूमने के शौंकीन है अफसर
जानकारी के अनुसार नगर निगम के कई अफसर विदेश में घूमने के शौंकीन भी है। जिसके चलते लगातार आए दिन कोई न कोई अफसर विदेशी टूर पर रहता है। सूत्रों के अनुसार कई अफसरों को तो टेंडर सस्ते में दिलाने पर भी गिफ्ट में विदेशी टूर के पैकेज मिलते हैं। सूत्रों के अनुसार कई अफसरों द्वारा तो विदेशों में अपनी काली कमाई इन्वेस्ट कर रखी है। जिससे वहां घर व होटल ले रखे हैं।
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Yashpal Sharma (Editor)