यशपाल शर्मा, लुधियाना
जहां एक ओर कांग्रेस हाईकमान की ओर से लुधियाना की पश्चिमी विधानसभा सीट पर अपने उम्मीदवार के हक में प्रचार को स्टार प्रचारकों की सूची जारी करने की तैयारी में थी तो वहीं दूसरी ओर इस सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार भारत भूषण आशू की ओर से हाईकमान को लिखी गई चिटटी ने सबको हैरत में डाल दिया है। ऐसी खबर सोशल मीड़िया पर विभिन्न चैनलों की ओर से प्रकाशित की गई हैं। बताया जाता है कि हाईकमान को लिखे पत्र में आशू ने पांच नेताओं के नाम लेते हुए हाईकमान साफ साफ कहा है कि इन्हें उनकी विधानसभा में चुनाव प्रचार को न भेजा जाए। इन नेताओं में पंजाब कांग्रेस के प्रदेश प्रधान व लुधियाना से सांसद अमरिंदर राजा वडिंग, सीएलपी लीडर प्रताप बाजवा सांसद सुखजिंदर रंधावा, जिला प्रधान संजय तलवाड़ और सिमरजीत सिंह बैंस के नाम शामिल हैं। आशू की ओर से हाईकमान को लिखे गए पत्र से कांग्रेस में चल रही गुटबाजी साफ तौर पर निकल कर सामने आ गई है। जहां भारत भूषण आशू को गुटबाजी छोड़कर अपनी पार्टी के दिग्गज नेताओं के सहयोग लेने से मजबूत होने चाहिए, वहीं आशू को शायद ये लग रहा है कि अगर ये नेता उनकी विधानसभा में आकर प्रचार करेंगे तो इसका उन्हें खामियाजा भगुतना पड़ सकता है। ऐसे में कांग्रेस हाईकमान के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी होती दिखाई दे रही है, क्योंकि पंजाब के प्रदेश प्रधान राजा वडिंग खुद लुधियाना से सांसद भी हैं। ऐसे में उनके बिना लुधियाना वेस्ट विधानसभा में उनके बिना अगर कोई भी स्टार प्रचारक पार्टी लाती है तो शायद उसका इतना प्रभाव नहीं पड़ने वाला है। हालांकि आशू ने सोशल मीडिया के जरिए इस खबर को बेबुनियाद व झूठी बताया है।
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कांग्रेस प्रधान राजा वडिंग और सिमरजीत सिंह बैंस का बड़ा प्रभाव
लुधियाना की पश्चिमी विधानसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार भारत भूषण आशू की जीत में लुधियाना से सांसद व प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वडिंग अहम भूमिका निभा सकते हैं, इसका बड़ा कारण ये है कि जहां वे लुधियाना से सांसद हैं तो वहीं वे एक अच्छे बुलारे भी हैं। इतना ही नहीं वे यंग नेता हैं, इसलिए कांग्रेस के यूथ वर्करों में भी उनकी स्थिति स्टार वाली रही हैं। वहीं दूसरी ओर दो बार लुधियाना से सांसद चुनाव लड़ चुके सिमरजीत सिंह बैंस भले ही ये चुनाव जीतने में असफल रहे हों, लेकिन वे इन चुनावों में साबित कर चुके हैं कि वे पब्लिक के सबसे अधिक पसंदीदा नेता हैं और इन चुनाव नतीजों में वे अपने बडे़ वोट बैंक का डंका भी साबित कर चुके हैं। ऐसे में इन दोनाें अहम नेताओं को अपने चुनाव प्रचार से दूर रखकर आशू चुनावी मैदाना में कमजोर हो सकते हैं, तो वहीं सांसद अमरिंदर सिंह राजा के साथ भी उनकी दूरियां ओर अधिक बढ़ना तय हैं। अभी तक आशू के चुनाव प्रचार में पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी अक्सर साथ दिखाई दिए हैं, लेकिन कांग्रेस अन्य दो बडे़ दिग्गज नेता जिनमें सीएलपी नेता स. प्रताप सिंह बाजवा व सांसद सुखजिंदर रंधावा एकदम से इस चुनाव से कन्नी काटे हुए हैं। गौर हो कि दूसरी ओर आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा के प्रचार में खुद पंजाब के मुख्यमंत्री स. भगवंत सिंह मान और आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल भी अगले दिनों लुधियाना में डेरा डालने जा रहे हैं। ऐसे में उनकी ओर से संजीव अरोड़ा के हक में कईं रैलियां व मीटिंगें करने का भी शैडयूल लगभग तय हो चुका हैं।
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आखिर क्या है कांग्रेस में इतनी बड़ी गुटबाजी का कारण
प्रदेश में कांग्रेस इस समय विपक्षी पार्टी की भूमिका में हैं और इसके बावजूद प्रदेश कांग्रेस के दो गुटों में बंटने का क्या कारण रहा है, इस पर अभी तक कुछ भी साफ नहीं हो पाया है। इस समय कांग्रेस के नेताओं में न तो मुख्यमंत्री और न डिप्टी सीएम बनने की कोई दौड़ है, लेकिन इसके बाजवूद आशू और वडिंग के रास्ते अलग अलग क्यों हुए पडे़ हैं, इस पर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। लेकिन इस पूरे प्रकरण में एक बात साफ है कि इन दोनों नेताओं की ये आपसी लड़ाई अमरिंदर सिंह राजा वडिंग को लुधियाना से सांसद टिकट मिलने के बाद शुरु हुई, जो आज तक जारी हैं।
----------- जबकि वहीं दूसरी ओर भारत भूषण आशू ने सोशल मीडिया के जरिए ये साफ किया है कि मेरी ओर से हाईकमान को कोई ऐसी चिटटी नहीं लिखी गई, जिसमें उनकी ओर से अपनी सीनियर लीडरशिप को अपनी विधानसभा चुनाव प्रचार में आने से रोका जाए, ये बेबुनियाद खबर है। उन्होंने कहा कि ये किसी शरारती अनसर की इसमें चाल हो सकती है और मैं इसका खंडन करता हूं। ---------
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Yashpal Sharma (Editor)