October 18, 2024 12:59:17

इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की लीगल शाखा में चल रहा प्लॉट अलॉटमेंट खेल, पहले भी गंवा चुकें करोड़ोंं संपति

-इल्लीगल दावे को कागजों में हेरफेर कर कोर्ट में पहले जीता जाता है केस

Jun8,2024 | Enews Team | Ludhiana

यशपाल शर्मा, लुधियाना 

भले ही पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद लुधियाना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट में एलडीपी, अल्ट्रनेटिव प्लाटों की अलॉटमेंट पर ब्रेक लगी हुई है, लेकिन इस विभाग की लीगल शाखा में अंदरखाते अभी भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। इस शाखा में तैनात स्टाफ और ट्रस्ट की ओर से रखे वकीलों की मिलीभगत से लुधियाना में करोड़ों की संपति से इंप्रूवमेंट ट्रस्ट हाथ धो चुका है। लेकिन अब फिर से पहले निचली अदालत, फिर सेशन और फिर हाईकोर्ट व सुप्रीमकोर्ट में अपील के खेल में करोड़ों की कीमत के प्लाटों का हेरफेर का सिस्टम खड़ा होता दिखाई दे रहा है। इस पूरे हेरफेर में ट्रस्ट का वकील और दूसरे पक्ष के वकील के बीच सेटिंग के जरिए अंजाम दिया जाता है। आपको बता दे इसी सेटिंग के खेल में लुधियाना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट को पहले किचलू नगर में दर्जनों फलैट और हंबड़ा रोड़ पर करोड़ों की कीमत वाली करीब तीन से चार एकड़ जमीन से हाथ धोने पडे़ थे और अब भी बीते साल में आम आदमी पार्टी की सरकार के कार्यकाल में ही पक्खोवाल रोड़ स्थित सरकारी गाडउन की जमीन ट्रस्ट के हाथ से निकल गई थी और ट्रस्ट के चेयरमैन, अधिकारी और पंजाब सरकार हाथ मलते रह गई थी। जबकि इस जमीन को लेकर मुआवजा मात्र दस लाख रुपए से भी कम था, लेकिन इस पूरे मामले को लीगल ढंग से उलाझते हुए ट्रस्ट की करोड़ों की जमीन गंवा दी गई। अब भी इंप्रूवमेंट ट्रस्ट में किचलू नगर के दो एससीओ जिनकी कीमत चार से पांच करोड़ रुपए की बताई जाती है, को लीगली ढंग से ट्रस्ट से अलॉट करवाने की कोशिशों जोर से चल रही हैं। जबकि इस कैंसिल प्लॉट का अलॉटी तक मर चुका है और इसकी 25 फीसदी राशि तक ट्रस्ट में जमा नहीं है। 

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अब जानिए किस तरह से चलता है ये घालमेल

असल में इंप्रूवमेंट ट्रस्ट में 1200 से अधिक मामले कोर्ट में चल रहे हैं और इन केसों को लेकर रोजाना ट्रस्ट का लीगल ब्रांच का स्टाफ रिकार्ड लेकर निचली व सेशन कोर्ट तो कभी हाईकोर्ट या सुप्रीमकोर्ट गया रहता है। ट्रस्ट का लीगल ब्रांच का स्टाफ और केस से संबंधित सरकारी वकील की सेटिंग का खेल ही पूरे केस को लीगल ढंग से कमजोर बनाता है। यहां तक की कईं केस ऐसे हैं, जिनमें कहने को ट्रस्ट का सरकारी वकील व केस करने वाली पार्टी का वकील अलग अलग रहते हैं, लेकिन कोर्ट कांप्लेक्स में इन वकीलों के चैंबर साथ साथ रहते हैं व एक साथ बैठकर शाम में चाय की चुस्कियां भी लेते हैं। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ऐसे मामलों में ट्रस्ट के वकील जिन्हें प्रति केस मात्र दस हजार रुपए सरकारी फीस मिलती है, वे कितनी ईमानदारी से ये केस लड़ते होंगे। अगर ट्रस्ट के हारे हुए मामलों पर नजर दौड़ाई जाए तो आपको पता चल जाएगा कि कितने लापरवाही वाले रवैये के जरिए कोर्ट में केस एक्स पार्टी हो जाते हैं। सेटिंग के चलते कोर्ट में ट्रस्ट का वकील व मुलाजिम तक पेश नहीं होता और दूसरी पार्टी के हक में फैसला सुना दिया जाता है। ऐसा ही मामला किचलू नगर के इन दो एससीओ का है। इनकी अलॉटमेंट के लिए इंप्रूवमेंट ट्रस्ट चेयरमैन के चहेते वकील ने पूरा जोर लगाया हुआ है। बताया जाता है कि कागजों के हेरफेर में ट्रस्ट निचली अदालत में ये केस हार चुका है और अब इस मामले की अपील हाईकोर्ट में लगाई गई है। इस केस में भी ट्रस्ट का वकील और दावा करने वाली पार्टी का वकील आस पड़ोस में ही रहते हैं।  

Plot-Allotment-Game-Going-On-In-The-Legal-Branch-Of-Improvement-Trust-Property-Worth-Crores-Have-Been-Lost-Earlier-Too




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