यशपाल शर्मा, लुधियाना
दरेसी ग्राउंड में लगने वाले दशहरा मेले ने शनिवार रात को जो एपिसोड़ हुआ, उसने सभी की धार्मिक भावनाओं काे बुरी तरह से आहत कर ड़ाला। विवाद एक करोड़ रुपए में ठेका हासिल करने वाले ठेकेदार और इलाका विधायक अशोक पराशर पप्पी के बीच का था, लेकिन इस पूरे विवाद में खुद भगवान के डोले का राह तक रोक दिया गया। बड़ी हैरानी की बात है कि इस डोले को मंजिल तक पहुंचाने की न तो पुलिस ने कोई कदम उठाया और न ही इलाका विधायक ने ही भगवान की इस बेअदबी को समझा। करीब चार घंटे तक दरेसी ग्राउंड दशहरा कमेटी के सदस्य ठेकेदार के हक में डोले का छोड़ धरने पर बैठ गए। असल में इस पूरे विवाद में करोड़ों की आमदनी और सरकार अफसरों में रिश्वतखोरी की नापुंसकता साफ दिखाई दी। इस पूरे विवाद में कोई भी गंभीर न दिखा, जिससे साफ है कि अब ये मेला केवल आम पब्लिक से लूट का अड़डा और ठेकेदारों की चांदी सबब बन कर रहा गया है। दहशरा कमेटी को भी अपनी कमाई में कट का ड़र था और इसलिए वे ठेकेदार के हक में धरना लगा बैठ गई। इस कमेटी को भले ही करोड़ों रुपए मेले से आमदन आ जाती है, लेकिन दरेसी ग्राउंड के अंदर व भीतर गंदगी को हटाने व इसे ग्राउंड को खूबसूरत बनाने में कभी बड़ा योगदान नहीं रहा।
अशोकी नाम का चतुर्थ श्रेणी मुलाजिम, असल में हैं करोडों का ठेकेदार
आप इस विवाद को ऐसे समझ सकते हैं कि करोड़ों का ठेका लेने वाले ठेकेदार अशोकी खुद नगर निगम में चतुर्थ श्रेणी का मुलाजिम है। ऐसे में चतुर्थ श्रेणी के मुलाजिम के पास करोड़ों रुपए का फंड कहा से आया। क्या निगम में रहते उसका कोई गैरकानूनी कमाई का बड़ा श्रोत भी हैं। जिसके चलते ये ठेकेदार इतने बडे़ मेले में करोड़ों रुपए की बोली लगा इसे हासिल करता है। बताया जाता है कि अशोकी नगर निगम जोन ए की तहबाजारी विंग पर कईं सालों से अच्छी पकड़ रखता हैं और यही कारण है कि भदौड़ हाउस, रेलवे स्टेशन रोड़ व निगम जोन ए के आसपास लगने वाले अवैध रेहड़ियों में भी उसका बड़ा हाथ रहा है। हर साल इस ठेके को लेने में नगर निगम में भगवान वाल्मीकि समाज से जुडे़ नेताओं का बड़ा आशीर्वाद रहता है और बाहर का कोई ठेकेदार इसमें हाथ तक ड़ालने की कोशिश भी नहीं करते।
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डोले की सालों पुरानी मर्यादा हुई तार तार, आखिर इस बेअदबी के लिए कौन कौन जिम्मेदार
दरेसी ग्राउंड में शनिवार शाम के एपिसोड़ ने भगवान रामचंद्र के इस डोले सालों पुरानी मर्यादा को तार तार करके रख दिया। आपको अगर इस डोले की धार्मिक महत्वता बताएं तो सालों साल से दरेसी ग्राउंड में लगने वाले दशहरा मेले से जुड़ी हैं। इस मेले के लिए ये डोले का रथ ठाकुर द्धारा नौहरिया स्थित प्रचीन हनुमान मंदिर से शुरु होता है और जिस किसी व्यक्ति को भगवान राम के रोल में लिया जाता है, उसे भगवान श्री राम के वस्त्र धारण करने के बाद उसका तिलक कर उसकी पूजा की जाती है। सालों से चली आस्था मुताबिक भगवान श्री राम के वस्त्र धारण करते ही इस आम व्यक्ति का स्वरुप भगवान को हो जाता है। जिसके बाद भगवान श्री राम को कंधे पर बिठा कर डोले में बिठाया जाता है। आपको बता दें कि इस डोले को उठाने वाले भी सनेत के खास परिवार से हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी ये सेवा करते आ रहे हैं। यही परिवार इस डोले को अपने कंधे पर उठाता है और भगवान राम को भी अगर नीचे उतारना है तो ये कंधे पर बिठा कर उन्हें उतारते हैं। ये डोला यहां से पहले दरेसी पहुंचता है और रामलीला होने संपन्न होने के बाद इस डोले को पूरी मर्यादा सम्मान के साथ दोबारा से ठाकुर द्धारा के लिए रवाना कर दिया जाता है।आपको बता दें कि अगर इस डोले में बैठे भगवान को नमस्कार करना होता है तो उसके लिए भी एक मर्यादा के तहत बूट चप्पल तक उतारी जाती हैं। लेकिन दरेसी ग्राउंड में शनिवार को ऐसा कुछ हुआ जिसने सारी मर्यादा तार तार कर दी। भगवान के इस डोले का राह रोक दिया गया और एक कूडें के डंप के पास इस घंटों खड़ा कर दिया गया। डोले के सामने बूट चप्पल पहन लोग धरना देते रहे और इसी डोले के पास खड़ा हो कोई सिगरेट पीता रहा तो कोई गाली गलौच करता दिखा। इस पूरी बेअदबी के लिए आखिर कौन कौन जिम्मेदार है, भले ही सनातनी का दावा सभी कर रहे हों, लेकिन मर्यादा तार तार होने पर आखिर सभी चुप क्यों हैं।
डीसी के आदेशों ने भी ठेकेदारों बढ़ाई मुश्किलें
असल में इस पूरे विवाद के पीछे़ एक ओर बड़ा कारण रहा। असल में लुधियाना डिप्टी कमिश्नर ने भी नाजायज चलने वाले दहशरा मेलों पर शिकंजा कसते हुए इनकी जांच को सात मैंबरी कमेटी के गठन को सरकारी आर्डर जारी किए थे। इन आदेशों के चलते भी दरेसी ग्राउंड पर प्रशासन का डंडा चलने का अंदेशा ठेकेदार को होने लगा था, क्यों कि इस मेले में जहां सबसे अधिक भीड़ होती है तो वहीं दूसरी ओर सबसे अधिक नियमों की धज्जियां भी यहीं पर उड़ाई जाती है। पूरा मामला धार्मिक आयोजन से जुड़ा रहता है, इस लिए चाहे मामला फायर सेफटी का हो, बिजली बोर्ड के कनेक्शन का हो, फूड सेफटी का हो, सड़क पर नाजायज कब्जे का हो या जीएसटी की आमदन का हो, जिला प्रशासन हर साल ये 20-25 दिन आंखें मूंद कर निकाल देता है। असल में दरेसी का दहशरा मेला केवल ग्राउंड के अंदर तक सीमित नहीं हैं और इसके ग्राउंड के आसपास लगने वाली सड़कें भी नाजायज तौर पर इस मेले की आड़ में कब्जा ली जाती हैं और इन सड़कों पर सौ के करीब अवैध रेहड़ी फड़ी लगा दी जाती है और ये पूरा खेल नगर निगम तहबाजारी विंग व स्थानीय विधायक की मिलीभुगत से सालों से चलता आ रहा है। लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद इस कमाई के खेल में आप विधायक अशोक पराशर पप्पी का नाम लगातार मेले के दिनों में उलछता आया है। पिछले साल भी दशहरा मेले में पुलिस की ओर रात में झूले बंद करवा दिए गए थे और इसके पीछे भी विधायक का नाम उछला था। लेकिन इस बार तो पूरी प्लानिंग के साथ ठेकेदार अशोकी ने पहले पैट्रोल की कैनी का जुगाड़ किया और इसके साथ ही मीड़िया को बुला ये कैनी अपने पर उडे़ल दी गई। ठेकेदार ने इस पूरे मामले की गंभीरता मीड़िया तक पहुंचाने के लिए इतना बड़ा रिस्क पब्लिक के बीच में उठाया और जमकर विधायक पर दस लाख रुपए मांगने के आरोप भी जड़ दिए। हालांकि विधायक पप्पी ने इन अरोपों को राजनैतिक स्टंट बताया और कहा कि सरकारी सड़कों पर कब्जा कर अवैध रहेड़ी लगा गरीबों से मोटे पैसे ठेकेदार की ओर से एकत्र किए जाते हैं। लेकिन इन्हीें सड़कों पर एक अस्पताल व स्कूल है और अगर कोई अमरजेंसी या एंबुलेंस यहां से गुजरनी हो तो बड़ी आफत खड़ी हो जाती है और इस संबंधी उनके पास पब्लिक की शिकायतें भी आ रही हैं।
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शनिवार को ठेकेदार ने किया पैट्रोल उड़ेलने का ड्रामा, तो रविवार सब सामान्य
शनिवार को भले ही ठेकेदार अशोकी ने इस मामले को मीड़िया के समक्ष हवा देने के लिए खुद पर पैट्रोल तक उडे़ल लिया और मेला बंद कर धरना दे दिया । जिसके बाद दहशरा कमेटी भी इस धरने में शामिल हो गई। इस पूरे विवाद में सभी ने धार्मिंक आस्था से किनारा कर लिया और आम आदमी पार्टी का कोई नेता जिसमें चाहे वो भावाधस नेता विजय दानव हो या हल्का विधायक अशोक पराशर पप्पी ही हों, कोई मौके पर नहीं पहुंचा। मामला बढ़ने पर विपक्ष के नेता सुरिंदर डाबर के कहने पर कांग्रेस प्रदेश प्रधान राजा वडिंग ने आकर ठेकेदार के हक में अपनी ताल ठोक दी और उसमें ठेके चलाने का दम भरकर ये मेला भी देर रात चालू कर दिया गया। लेकिन ये विवाद जिसमें शनिवार को जो अवैध दुकानें प्रशासन ने बंद कर दी थी, वैसा नजारा रविवार को नहीं दिखा। रविवार को फिर से सरकारी सड़कों पर नाजायज दुकानें व फड़ियां सजा दी गई। हालांकि अभी तक ठेकेदार व इलाका विधायक के बीच समझौते की कोई सूचना हम तक नहीं पहुंची हैं।
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Yashpal Sharma (Editor)