जहां एक और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की ओर से बेरोजगारों को रोजगार देने के दावे किए जा रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर सालों से रोजगार प्राप्त लोगों को इसी सरकार में बेरोजगार कर दिया गया है। पंजाब सरकार की ओर से पंजाब लैंड रिकॉर्ड समिति के तहत चलने वाले सभी फर्द केंद्रों को बंद करने का ऐलान कर दिया गया है। आपको बता दें कि पूरे पंजाब भर में 187 के करीब फर्द केंद्र बने हुए हैं जिसमें 950 के करीब मुलाजिम कॉन्ट्रैक्ट बेस पर काम कर रहे हैं और लुधियाना में भी ऐसे 15 सेंटर में 90 के करीब मुलाजिम कार्यरत हैं। पंजाब सरकार की ओर से इन सभी फर्द सेंटर्स को बंद करने के फरमान के बाद यह सभी लोग बेरोजगार हो गए हैं । आपको बता दें कि इनमें बहुत से मुलाजिम ऐसे हैं जो पिछले करीब 17 साल से इन सेंटर को संभालते आ रहे हैं और इनकी ओर से बिना शनिवार रविवार छुट्टी लिए फर्द सेंटर का रिकॉर्ड ऑनलाइन करने में अहम भूमिका निभाई गई है। आज इन्हीं फर्द सेंटर के ऑनलाइन होने के चलते सरकार को अच्छा खासा रेवेन्यू हासिल हो रहा है और वही जमीनों की खरीद फरोख्त में होने वाली धांधली भी कम हुई है। इतना ही नहीं कोरोना कार्यकाल में भी इन मुलाजिमो की ओर से इन फर्द केंद्र को चलने और ड्यूटी देने में कोई कोताही नहीं बरती गई। । इस अवसर पर बलवंत सिंह बलजीत कौर कुलवंत सिंह मनजोत पाल सिंह हरजीत कौर हरजिंदर कौर सुमनदीप कौर व्यंग्य मजबूत थे । आम पब्लिक की भी परेशानी बढ़ी पंजाब सरकार की ओर की ओर से भले ही अब प्रॉपर्टीज संबंधी रिकार्ड की कॉपी ऑनलाइन मिलने के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन आपको बता दें कि पब्लिक को ऑनलाइन प्रॉपर्टी की फर्द व अन्य दस्तावेज निकलवाने संबंधी अभी जानकारी ही नहीं है। इसके लिए आम पब्लिक को अब कैफे मालिकों के पास चक्कर काटने पड़ रहे हैं। कैफे मलिक की ओर से पहले फर्द लेने वाले व्यक्ति की एक आईडी बनाई जाती है। इस आईडी के बनने फर्द राशि की सरकारी फीस कट जाती है और इसके बाद कैफे मालिक की ओर से लोगों से₹50 प्रति कागज के हिसाब से चार्ज किया हैं । जबकि सरकारी फर्द केंद्र में यह फीस मात्र ₹25 प्रति कागज के हिसाब से ली जाती थी। ऐसे में पब्लिक को पहले से अधिक जेब हल्की करनी पड़ रही है । कोई भी सुनवाई करने को कोई तैयार नहीं अब तक इस मामले में लुधियाना के विभिन्न फर्द सेंटर में तैनात मुलाजिम इस मामले को लेकर डिप्टी कमिश्नर और राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को भी मिल चुके हैं और और अपनी इस समस्या के हल की मांग उनके समक्ष रख चुके हैं। लेकिन अभी तक किसी की ओर से भी उनकी इस समस्या के हल को लेकर कोई सुनवाई नहीं की गई है।
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Yashpal Sharma (Editor)