यशपाल शर्मा, लुधियाना
हिंदी में कहावत है कि चंदा मामा दूर, लेकिन अब इस कहावत में भी नया मोड़ आ गया है। अब चंदा मामा दूर के नहीं, ब्लकि अपने घर के हो गए हैं। भारत ने ये करिश्मा चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के जरिए कर दिखाया है। भारत के इस करिश्में की बड़ी बात ये भी है कि चंद्रयान- 3 की ये सॉफ्ट लैंडिंग में मात्र 650 करोड़ रुपए का खर्च आया है, जो की कईं बडे़ बजट की वालीवुड व हॉलीवुड मूवी के कुल बजट से भी कम है। इतना ही नहीं ये नासा की ओर से भेजे जाने वाले चंद्रयान के बजट से भी करीब 15 गुना कम है और रशिया के भी बजट से लगभग आधा है। चंद्रयान-3 आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को 3 बजकर 35 मिनट पर लॉन्च हुआ था। इसे चांद की सतह पर लैंडिंग करने में 41 दिन का समय लगा। धरती से चांद की कुल दूरी 3 लाख 84 हजार किलोमीटर है।
चांद पर कामयाब लैंडिग करने वाला भारत चौथा देश
इस कामयाबी के साथ भारत चांद के किसी भी हिस्से में मिशन लैंड कराने वाला चौथा देश बन गया है। इससे पहले अमेरिका, सोवियत संघ और चीन ही ऐसा कर सके हैं।
कामयाब लैंडिंग के बाद रोवर के बाहर निकलने का इंतजार
अब सभी को विक्रम लैंडर से प्रज्ञान रोवर के बाहर आने का इंतजार है। धूल का गुबार शांत होने के बाद यह बाहर आएगा। इसमें करीब 1 घंटा 50 मिनट लगेगा। इसके बाद विक्रम और प्रज्ञान एक-दूसरे की फोटो खींचेंगे और पृथ्वी पर भेजेंगे।
चंद्रयान मिशन को ऑपरेट कर रहे इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी ISRO ने चंद्रयान को श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को लॉन्च किया था। 41वें दिन चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग की प्लानिंग की गई।
चांद पर कामयाब लैंडिग करने वाला भारत चौथा देश
इस कामयाबी के साथ भारत चांद के किसी भी हिस्से में मिशन लैंड कराने वाला चौथा देश बन गया है। इससे पहले अमेरिका, सोवियत संघ और चीन ही ऐसा कर सके हैं।
शुभकामना देते प्रधानमंत्री मोदी, बोले- हमने धरती पर संकल्प लिया और चांद पर उसे साकार किया
प्रधानमंत्री ने कहा, ''मेरे प्यारे परिवारजनो! जब हम अपनी आंखों के सामने ऐसा इतिहास बनते हुए देखते हैं तो गर्व होता है। ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं राष्ट्र जीवन की चेतना बन जाती हैं। यह पल अविस्मरणीय है। यह क्षण अभूतपूर्व है। यह क्षण विकसित भारत के शंखनाद का है। यह क्षण नए भारत के जयघोष का है। यह क्षण मुश्किलों के महासागर को पार करने का है। यह क्षण जीत के चंद्रपथ पर चलने का है। यह क्षण 140 करोड़ धड़कनों के सामर्थ्य का है। यह क्षण भारत की नई ऊर्जा, नई चेतना का है। यह क्षण भारत के उदीयमान भाग्य के आह्वान का है। अमृतकाल की प्रथम प्रभा में सफलता की अमृत वर्षा हुई है। हमने धरती पर संकल्प लिया और चांद पर उसे साकार किया।''
उन्होंने कहा, ''आज हम अंतरिक्ष में नए भारत की नई उड़ान के साक्षी बने हैं। हर घर में उत्सव शुरू हो गया है। हृदय से मैं भी अपने देशवासियों के साथ अपने परिवारजनों के साथ इस उमंग और उल्लास से जुड़ा हुआ हूं। मैं टीम चंद्रयान को, इसरो को और देश के सभी वैज्ञानिकों को जी-जान से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। जिन्होंने इस क्षण के लिए वर्षों से इतना परिश्रम किया। हमारे वैज्ञानिकों के परिश्रम से भारत उस दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा है, जहां आज तक दुनिया का कोई भी देश नहीं पहुंच सका है। आज के बाद से चांद से जुड़े मिथक बदल जाएंगे, कथानक भी बदल जाएंगे और नई पीढ़ी के लिए कहावतें भी बदल जाएंगी। भारत में तो हम सभी लोग धरती को मां कहते हैं और चांद को मामा बुलाते हैं। कभी कहा जाता था कि चंदा मामा बहुत दूर के हैं, अब एक दिन वो भी आएगा, जब बच्चे कहा करेंगे कि चंदा मामा बस एक टूर के हैं।''
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Yashpal Sharma (Editor)