चंडीगढ़। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अब चुनाव में किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं करेगी। पार्टी सुप्रीमो मायावती ने अपने जन्मदिन पर इसकी घोषणा कर दी है। जिसके बाद शिरोमणि अकाली दल को पंजाब में एक और झटका लगा है। पहले 2017 और अब 2022 के विधानसभा चुनावों में लड़खड़ा चुकी अकाली दल एक बार फिर अकेली हो गई है। मायावती ने अपने जन्मदिन पर अपने इस फैसले की घोषणा की है। उन्होंने अपनी बात में कांग्रेस का नाम लिया है कि कांग्रेस अभी से गठजोड़ का गलत प्रचार कर रही है, जिसके चलते उन्हें यह फैसला लेना पड़ा। लेकिन उनके इस फैसले से पंजाब में भी असर देखने को मिलेगा। 2017 विधानसभा चुनावों के दौरान अकाली दल के साथ बसपा चुनावी मैदान में उतरी थी। अकाली दल ने जहां 97 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, वहीं बसपा के 20 उम्मीदवार मैदान में थे। अकाली दल को मिली थी तीन सीटें 2022 के चुनावों की बात करें तो सिर्फ 20 सीटों पर लड़ते हुए बसपा के नछत्तर पाल ने नवा शहर से जीत दर्ज की थी। वहीं दूसरी तरफ अकाली दल ने 97 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उनके खाते में सिर्फ तीन सीटें ही आयी थी। इतना ही नहीं 2017 के मुकाबले इस साल बसपा का वोट शेयर भी बढ़ा था। 2017 में जहां 1.5 प्रतिशत वोट बसपा को पड़े थे, वहीं 2022 में बसपा का वोट शेयर बढ़ कर 1.77% हो गया था। वहीं अकाली दल का वोट प्रतिशत लगातार कम हो रहा है। 1997 के बाद बसपा ने खोला था खाता बीते चुनावों की बात करें तो बसपा ने 1997 के बाद पहली बार 2022 के चुनावों में पंजाब में अपना खाता खोला था। 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने 11 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन एक को छोड़कर बाकी कोई भी जमानत हीं बचा पाया था। 2012 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो बसपा ने 109 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे लेकिन सभी की जमानत जब्त हो गई थी। 25 साल बाद हुआ था गठबंधन 2022 के चुनावों में दोनों दलों ने 25 साल बाद हाथ मिलाया था। इससे पहले दोनों पार्टियों ने 1996 में साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ा था। उस समय गठबंधन ने राज्य की 13 लोकसभा सीटों में से 11 पर जीत दर्ज की थी।
Mayawati Gave A Big Blow To Akali Dal On Her Birthday Announced To Break The Alliance
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Yashpal Sharma (Editor)