यशपाल शर्मा, लुधियाना
पंजाब में नगर निगम व नगर कौंसिल चुनाव का बिगुल बज चुका है और आम आदमी पार्टी को विधानसभा बाॅय इलेक्शन में कुल 4 सीटों में से 3 सीटें मिलने के बाद अब पंजाब सरकार भी इन चुनावों में ओर अधिक देरी करने के मूड़ में नहीं है। लुधियाना में 95 वार्डों पर कौंसलर चुनाव लड़ा जाना है। बात करें इन चुनाव में पार्टी वाइस दावेदारों की तो कौंसलर चुनाव लड़ने को सबसे अधिक दावे भारतीय जनता पार्टी में किए गए हैं। बताया जाता है कि शहर के कुल 95 वार्ड में 495 नेताओं व वर्करों ने कौंसलर चुनाव लड़ने को अपनी दावेदारी पार्टी स्तर पर की है। इतने बडे़ दावों से एक बात तो सीधे तौर पर साफ है कि किसी टिकट पर जितने अधिक दावे होंगे, उस पार्टी को बगावत का उतना अधिक खामियाजा झेलना पड़ता है। भले ही पंजाब लोकसभा चुनाव में लुधियाना सीट पर शहरी वोटरों ने जमकर रवनीत सिंह बिटटू (मौजूदा केंद्रीय राज्य मंत्री) के हक में वोटिंग की थी, लेकिन इस वोटिंग के पीछे मोदी फैक्टर सबसे बड़ा कारण रहा था, लेकिन कौंसलर स्तर के इन चुनावों में इस फैक्टर का असर केवल दस फीसदी से भी नीचे रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। ऐसे में साफ है कि भाजपा जिला प्रधान रजनीश धीमान व संगठन के लिए कौंसलर चुनाव के टिकटों का मंथन आसान नहीं होने वाला है। लुधियाना में भाजपा अपना मेयर बना सके, इसके लिए पार्टी को बेस्ट परफोर्मेंस वाले उम्मीदवारों की जरुरत है। एक बात साफ है कि शहर के कईं वार्डों में कौंसलर चुनाव में भी नोट व वोट का सही संगम ही उम्मीदवारों का बेड़ा पार लगा पाता है। ऐसे में बेस्ट परफोरमेंस वाले कैंडीडेट ढूंढने के लिए भाजपा कौंसलर उम्मीदवारों का नाम तय करने वाली कमेटी को उम्मीदवार के अनुभव, ग्राउंड पकड़ के साथ साथ उम्मीदवार की चुनाव लड़ने की हैसियत को भी ध्यान में रखना होगा। इतना ही नहीं उक्त दावेदार की व्यक्तिगत वार्ड में कम से कम 500 वोट है या नहीं, ये सबसे अहम रहने वाला है। कयास लगाए जा रहे हैं कि अगले दो से तीन दिनों के भीतर इलेक्शन कमीशन पंजाब इस चुनाव की तारीखों का एलान कर सकता है और इसके साथ ही पंजाब में कोड़ आफ कंडक्ट भी लागू हो जाएगा। ऐसे में भाजपा के पास 495 चुनाव लड़ने के दावदारों में से मात्र 95 उम्मीदवार ढूंढने का अधिक समय बचा नहीं हैं।
भाजपा जिला प्रधान की बड़ी अग्नि परीक्षा
इस बार के नगर निगम चुनाव भाजपा के जिला प्रधान रजनीश धीमान के लिए बड़ी अग्नि परीक्षा लेते दिखाई दे सकते हैं। इसका बड़ा कारण है कि इस बार भाजपा को अपने अकेले के दम पर कौंसलर चुनाव के 95 वार्डों में अपने उम्मीदवार उतारने हैं। भले ही भाजपा के पास नार्थ, सेंट्रल, वेस्ट और कुछ कुछ ईस्ट विधानसभा से कौंसलर टिकट आबंटन का अनुभव है, लेकिन इस बार पार्टी अध्यक्ष व उनके साथ बनने वाली कमेटी को आत्म नगर, साउथ हल्के के भी सभी वार्डोंं से कौंसलर उम्मीदवार ढूंढने होंगे, जो की इतना असान नहीं होगा। लेकिन ये सबकुछ भी भाजपा को अगले दस से पंद्रह दिन के भीतर फाइनल करना होगा। भाजपा के 495 टिकट के दावेदारों में बहुत से ऐसे भी दावेदार हैं, जो दो बार लगातार कौंसलर चुनाव हार चुके हैं और पार्टी हर बार सीनियर होने के नाते उन्हें टिकट दे भी देती है। लेकिन पार्टी ये नहीं सोचती कि जिन उम्मीदवारों को पब्लिक रिजेक्ट कर चुकी है, उन्हें फिर से चुनाव मैदान में उतार जहां खुद की किरकिरी की जाती है, वहीं साथ ही नए चेहरों व कर्मठ वर्करों के हौसलों की भी लगाम खींच दी जाती है।
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चुनाव नई वार्डबंदी पर या पुरानी पर इस पर अभी भी संशय
अगले एक सवा महीने में करवाए जाने वाले नगर निगम चुनाव साल 2017-18 की पुरानी वार्डबंदी पर होंगे या मौजूदा सरकार की ओर से तय की गई नई वार्डबंदी पर होंगे, इस पर अभी संशय बरकरार है। हालांकि मौजूदा सरकार व इनके विधायक नई वार्डबंदी के लिहाज से चुनाव करवाने की पूरी तैयारी कर चुके हैं, लेकिन एड़वोकेट हरीश राय ढांडा की ओर से हाईकोर्ट में पेंडिंग याचिका जिसमें उनकी ओर से पुरानी वार्डबंदी के लिहाज से चुनाव करवाने की मांग की जा रही है, उस पर आने वाला फैसला बड़ा अडंगा बना हुआ है। उक्त याचिका पर आने वाला फैसला ही इस संशय को पूरी तरह से दूर कर पााएगा।
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Yashpal Sharma (Editor)