लुधियाना। कांग्रेस नेता और मार्केट कमेटी के पूर्व चेयरमैन दर्शन लाल बावेजा लड्डू के शीशमहल को बचाने में नगर निगम पूरी ताक़त झोके हुए है। आख़िर वही हुआ जो निगम अधिकारी अक्सर करते आये है। निगम की और से लड्डू का शीशमहल तोड़ने की जगह उसे नोटिस देकर कोर्ट भेज दिया। अब कोर्ट ने निगम के कमिश्रर सहित 17 अधिकारियों को समन कर लिया है। आख़िर लड्डू बचने में कामयाब हुआ। इससे साफ़ ज़ाहिर है की निगम अधिकारियो की आपसी सेटिंग के चलते ही नगर निगम ने लड्डू की अवैध इमारत बनवा डाली। रिट के मुताबिक़ स्टे के आदेशों के बावजूद नगर निगम के आयुक्त, इंस्पेक्टर गुरप्रीत कौर, किरणदीप सिंह, मोहन सिंह असिस्टेंट टाऊन प्लानर, परमदीप सिंह एडिशनल कमिश्नर, रणजीत सिंह टाऊन प्लानर, जसबीर सिंह, अमित सहोता, पुलिस अधिकारी अमन भट्टी, अशोक कुमार, सम्मितर राम, हरिंदर सिंह, ग़ुरसाहिब सिंह,स्पिन्द्र सिंह, परमजीत सिंह, बालविंद्र सिंह व कुलदीप सिंह (सभी पुलिस अधिकारी) नगर निगम ने उनकी बिल्डिंग में गैरकानूनी तौर पर दखलअंदाजी की। अदालत ने मामले का संज्ञान लेते हुए सभी को 15 नवम्बर के लिए अदालत में तलब कर लिया है। नगर निगम लुधियाना के करीब डेढ़ दर्जन से अधिक अधिकारी एक बहुमंजिला ईमारत के मामले में कोर्ट से स्टे के बावजूद गैर कानूनी दखलअंदाजी करने के आरोपों में फंसते दिख रहे है। कोर्ट ने अदालत की अवमानना के आरोपों बारे दायर रिट को सुनवाई के लिए मंजूर करते हुए नगर निगम के कमिश्रर सहित 17 अधिकारियों को समन कर लिया है। यह रिट कांग्रेस नेता और मार्केट कमेटी के पूर्व चेयरमैन दर्शन लाल बावेजा लड्डू की ओर से सिविल जज की अदालत दायर की गई है। जिसमे ंचांद सिनेमा के पास उनकी बहुमंजिला इमारत के मामले में नगर निगम और उसके अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गुहार लगाई गई है । गौरतलब है कि कांग्रेस नेता दर्शन लाल लड्डू चांद सिनेमा के पास तीन सौ गज क्षेत्र में बहुमंजिला इमारत का निर्माण करा रहे थे।नगर निगम ने बिल्डिंग बायलॉज के उल्लंघन के आरोप में उक्त कांग्रेस नेता को बिल्डिंग के अवैध हिस्से को खुद तोडऩे का नोटिस भेजा था और साथ ही यह भी कहा था कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो बिल्डिंग के अवैध हिस्से को नगर निगम बलपूर्वक तोड़ देगा,जिसके बाद दर्शन लाल बावेजा ने अदालत की शरण लेते हुए नगर निगम को उक्त कार्रवाई से रोकने के लिए सिविल केस दायर किया था,जिसमे अदालत ने नगर निगम का पक्ष सुनने के बाद दर्शन लाल बावेजा की दलीलों से सहमत होते हुए नगर निगम को बिल्डिंग मे हस्तक्षेप करने से रोक दिया था। उपरोक्त कांग्रेस नेता द्वारा दायर याचिका के अनुसार, नगर निगम और उसके अधिकारियों ने पुलिस कर्मियों की मदद से उक्त संपत्ति के उपयोग और निर्माण में बाधा उत्पन्न की। उक्त कांग्रेस नेता ने सिविल जज करणदीप कौर की अदालत के 27 सितंबर 2023 के स्टे के आदेश की अवमानना के लिए दंडात्मक कार्रवाई करने के लिए नगर निगम आयुक्त और नगर निगम के 16 अन्य अधिकारियों और पुलिस कर्मियों के खिलाफ याचिका दायर की हुई है। कोर्ट ने आज इस पर सुनवाई करते हुए नगर निगम और उसके अधिकारियों के खिलाफ याचिका स्वीकार कर ली है और तदनुसार तलब किया है। रिट में आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक लोग नगर निगम अधिकारियों व कुछ पत्रकारों से मिलकर उनके बिल्डिंग को बदनाम कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि उनके द्वारा उपरोक्त बिल्डिंग सभी नियमों की पालना कर बनायी गई है जिसके संबंध में समय-समय पर नगर निगम अधिकारियों को भी क़ानूनी सरकारी फ़ीस भी जमा करवाई गई है,लेकिन बावजूद इसके कुछ लोग राजनीतिक तौर पर उनको बदनाम करने के लिए उनकी बिल्डिंग को अपना हथियार बना कर सत्ता का दुरुपयोग कर रहे है,जो कि ग़लत है और अदालत द्वारा इस संबंधी स्टे भी जारी किया गया है ओर उन्हें क़ानून पर पूरा विश्वास है,क्योंकि उनके द्वारा नियमों के मुताबिक़ व निगम की मंजूरी के ही निर्माण किया गया है। मालूम हो कि सिविल जज सुश्री करणदीप कौर की अदालत ने अपने आदेश में नगर निगम और उसके अधिकारीयो को कानून का पालन किए बिना किसी भी विध्वंस प्रक्रिया को अंजाम देने और बिल्डिंग की मरम्मत, पुनर्निर्माण या नवीकरण में हस्तक्षेप करने से रोक दिया था।
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Yashpal Sharma (Editor)