लुधियाना। एक तरफ किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए हरियाणा की तरफ से अपनी सीमाएं सील की जा रही हैं। वहीं, पंजाब सरकार इस संघर्ष को टालने में जुट गई है। पंजाब CM भगवंत मान व सांसद खुद इस मामले की कमान संभाल रहे हैं। वह गत दो दिनों से सीधे केंद्र सरकार के संपर्क में हैं। CM की तरफ से अधिकारियों को हिदायत दी है कि केंद्र की तरफ से किसानों से जुड़ी कोई जानकारी मांगी जाती है तो उसे पहल के आधार पर मुहैया करवाया जाए। इस काम में जरा भी देरी नहीं होनी चाहिए। विभागों को अपना रिकॉर्ड तैयार रखने को कहा है। वहीं, CM का कहना है कि अगर हमें किसानों से पंजाब स्तर की अलग से मीटिंग भी करनी पड़ी तो पीछे नहीं रहेंगे। किसानों के मसले धरनों से नहीं मीटिंगों से हल करवाए जाएंगे। संघर्ष टालने की इसलिए हाे रही कोशिश जानकारों की माने तो किसानों के इस संघर्ष को टालने के लिए किए जा रहे प्रयासों के पीछे कई वजह हैं। एक तो आने वाले कुछ महीनों में लोकसभा चुनाव सिर पर हैं। ऐसे में कोई भी पार्टी नहीं चाहती है कि किसानों से उलझा जाए। वहीं, अगर यह मामला पंजाब सरकार के प्रयास से हल हो पाता है तो सरकार किसानों के और करीब जाएगी। इसके अलावा अगर यह संघर्ष चलता है तो इससे पंजाब की इंडस्ट्री को भी नुकसान होगा। क्योंकि हरियाणा समेत कई जगह से पंजाब में ऑर्डर आते हैं। सरकार को सीधे राजस्व का नुकसान होगा। वहीं, पंजाब की निवेश लाने के लिए चल रही मुहिम में धक्का लगेगा। हालांकि, किसानों की नाराजगी से केंद्र भी बचने की कोशिश कर रहा है। किसानों का वकील बनकर रखा पक्ष चंडीगढ़ के सेक्टर-26 में गुरुवार को किसानों और केंद्रीय मंत्रियों की मीटिंग हुई थी। मीटिंग में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री मौजूद थे। CM भगवंत मान ने कहा कि हम नहीं चाहते हैं कि किसान मांगे मनमाने के लिए ट्रैक्टर ट्रॉलियां लेकर दिल्ली जाएं। उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़े। उन्होंने कहा कि दिल्ली में जाकर भी मीटिंग होनी थी। ऐसे में हमने उस कमेटी को चंडीगढ़ बुला लिया था। वह राज्य के मुख्यमंत्री हैं, ऐसे में उन्होंने किसानों का वकील बनकर पक्ष रखा है। उन्होंने कहा कि किसानों की तरफ से जो भी संदेश आता है, उसे सरकार तक पहुंचाया जाएगा।