यशपाल शर्मा, लुधियाना
भाजपा के दिग्गज नेता नरेंद्र मोदी का तीसरी बार प्रधानमंत्री लगभग तय हो चुका है, लेकिन अब किसान अपनी मांगें कैसे उस सरकार से मनवाएंगे, जिनके उम्मीदवारों तक को प्रचार के लिए पंजाब के गांवों में एंट्री नहीं दी गई। यहां तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब पंजाब में चुनाव प्रचार के लिए आए तो उन्हें इन किसानों की ओर से घेरने की कोशिश की गई। जिसका बड़ा नतीजा है कि पंजाब में भाजपा एक भी सीट नहीं जीत पाई और खासकर इन उम्मीदवारों का गांवों में सपूड़ा साफ हो गया। भाजपा के चार के करीब उम्मीदवार ऐसे हैं, जो शहरी इलाकाें जीत हासिल कर रहे थे, लेकिन उन्हें गांवों से पब्लिक का साथ नहीं मिला। इसका बड़ा कारण किसानाें की ओर से उनके राह में रोडे़ अटकाने रहा। बात करें मौजूदा हालातों की तो किसानों की ओर से अभी भी शंभू बार्डर पर अपना धरना जारी है। हालांकि इससे पहले उनकी ओर से पंजाब हरियाणा के शंभू बार्डर के पास रेल लाइन पर बैठे किसानों ने 34 दिन लगातार रेल रोको अभियान चला कर रेल सफर करने वाली आम पब्लिक के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर दी थी और वहीं इस धरना प्रदर्शन से पंजाब के उद्योगपतियों के भी कारोबार ठप्प होने शुरु हो गए हैं। किसानों के इसी धरना प्रदर्शन के चलते ही न पंजाब से बाहर भेजे जाने वाला माल समय पर अन्य राज्यों में पहुंच रहा है और न ही वहां से पंजाब आने वाला सामान उद्याेगपतियों के पास पहुंच रहा है। यहां तक की बड़ी इंडस्ट्री ने पंजाब की इंडस्ट्री को अपने लाइनअप से ही बाहर कर दिया है।
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भाजपाइयों का विरोध करने वाले किसान अब किस मुंह से मांगेंगे अपनी डिमांड
इस लोस चुनाव में भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बनने वाले किसानों के लिए अब भाजपा चुनौती बन सकती है। इसका बड़ा कारण है कि किसान इस चुनाव में भाजपा उम्मीदवार न जीतें इसके लिए उन्हें प्रचार तक करने नहीं दे रहे थे। अब जब फिर से केंद्र में भाजपा निहित एनडीए सरकार आ चुकी है व नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं और ऐसे में भाजपाईयों का विरोध करने वाले किसान कैसे अब उन्हीं के समक्ष अपनी मांगें रख पाएंगे, ये बड़ा सवाल है। ऐसे में किसानों के लिए भी आगे चलकर उनका विरोध बड़ी चुनौती बन सकता है।
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Yashpal Sharma (Editor)