डेस्क, चंडीगढ़। पंजाब निहित आम आदमी पार्टी सरकार के खिलाफ बोलने वाले नेताओं पर आप सरकार विजिलेंस के जरिए शिकंजा कसते दिखाई दे रही है। अब पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने साल 2008-2009 में मेडिकल अफसरों की भर्ती मामले में बड़ी अनियमिताओं के केस को फिर से खोल दिया है और इस मामले में पंजाब लोक सेवा आयोग (पीपीएससी) मेंबर व पूर्व शिअद विधायक डॉ सतवंत सिंह मोही को गिरफतार कर लिया है, जबकि एक अन्य तत्कालीन मेंबर व मौजूदा भाजपा प्रदेश महासचिव अनिल सरीन पर भी एफआईआर दर्ज कर उनके टैगोर नगर स्थित निवास व अन्य ठिकानों पर छापामारी की है। विजिलेंस पटियाला की ओर से दर्ज की गई इस एफआईआर में पंजाब लोक सेवा आयोग के पूर्व चेयरमैन एस.के. सिन्हा (मृत), ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) डी.एस. ग्रेवाल (मृत), डॉ. सतवंत सिंह मोही, तत्कालीन मेंबर डी.एस. महल, पूर्व मंत्री लाल सिंह की बहू रविंदर कौर, और भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अनिल सरीन के नाम शामिल हैं। गौर हो कि अनिल सरीन भाजपा के तेज तर्रार प्रवक्ता रहे हैं और टीवी डिबेट में भी आम आदमी पार्टी की कारगुजारी पर लगातार सवाल खडे़ करते रहे हैं। ऐसे में विजिलेंस की ओर से इतने पुूराने मामले को खोले जाने के पीछे उनकी कड़ी बयानबाजी को भी बड़ा कारण समझा जा रहा है।
पंजाब विजिलेंस ब्यूरो (वीबी) ने वर्ष 2008-2009 के दौरान 312 चिकित्सा अधिकारियों (एमओ) की भर्ती में अनियमितताएं करने के लिए पंजाब लोक सेवा आयोग (पीपीएससी) के पूर्व अध्यक्ष और उसके चार पूर्व सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इस मामले में शतराणा के पूर्व विधायक डॉ. सतवंत सिंह मोही को गिरफ्तार कर लिया गया है और बाकी बचे आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है।
राज्य विजिलेंस ब्यूरों के आधिकारिक प्रवक्ता ने आज यहां यह खुलासा करते हुए कहा कि यह मामला विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच रिपोर्ट के आधार पर दर्ज किया गया है।
उन्होंने विवरण देते हुए बताया कि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने पीपीएससी द्वारा कुल 312 मेडिकल आफिसर (एमओ) की भर्ती के दौरान की गई अनियमितताओं को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं का निपटारा करते हुए 22-11-2013 को पूरे मामले की जांच के लिए एक एसआईटी गठित करने का आदेश दिया था। इन 312 एमओ में 100 और 212 पदों के दो लॉट शामिल थे।
उन्होंने आगे बताया कि हाईकोर्ट की ओर से गठित एसआईटी, जिसमें दो सदस्य एम.एस. बाली, संयुक्त आयुक्त सीबीआई (सेवानिवृत्त) और सुरेश अरोड़ा, तत्कालीन महानिदेशक सतर्कता शामिल थे। इस दो अधिकारियों ने उच्च न्यायालय में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है जिसमें साबित किया गया है कि वर्ष 2008-2009 में 312 डॉक्टरों का पूरा चयन घोर अनियमितताओं से भरा था। अब इसी आधार पर विजिलेंस ब्यूरो ने पीपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष और चार सदस्यों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत वीबी पुलिस स्टेशन पटियाला रेंज में एफआईआर दर्ज की है।
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Yashpal Sharma (Editor)