एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फ़ूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवेलोप्मेन्ट अथॉरिटी (एपीईडीए) के लिए क्रिसिल लिमिटेड द्वारा किए गए "स्टडी ऑफ इंडियन आर्गेनिक मार्किट एंड एक्सपोर्ट प्रमोशन स्ट्रेटेजी" की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023-24 में भारतीय आर्गेनिक मार्किट का मूल्य 16,800 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जिसमें 5,520 करोड़ रुपये का निर्यात, 3,340 करोड़ रुपये की संगठित (ब्रांडेड) डोमेस्टिक आर्गेनिक मार्किट, 1,600 करोड़ रुपये की खुदरा दुकानों के माध्यम से बिक्री और पारंपरिक उत्पादों के रूप में बेचे जाने वाले आर्गेनिक उत्पादों का अनुमानित मूल्य 6,340 करोड़ रुपये है।
मिनिस्टर ऑफ स्टेट फॉर फ़ूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज रवनीत सिंह बिट्टू ने राज्यसभा के हाल ही में संपन्न शीतकालीन सत्र में लुधियाना से सांसद (राज्यसभा) संजीव अरोड़ा द्वारा पूछे गए "खाद्य उत्पादों के बाजार आकार और विकास दर" पर प्रश्न के उत्तर में यह बात कही।
अरोड़ा ने आज यहां यह जानकारी देते हुए कहा कि विस्तृत जानकारी देते हुए मंत्री ने अपने उत्तर में आगे बताया कि 2019-20 से 2023-24 की अवधि के दौरान संगठित डोमेस्टिक आर्गेनिक मार्किट 17 प्रतिशत सीएजीआर (कम्पाउंडिड एनुअल ग्रोथ रेट) की वृद्धि दर से वित्त वर्ष 2019 में 1,800 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में 3,340 करोड़ रुपये हो गया। भारत में हेल्थ-ओरिएंटेड फ़ूड प्रोडक्ट्स की वृद्धि दर का डेटा, भारत मूल और विदेशी मूल के खाद्य उत्पादों के आधार पर विभाजन के साथ मिनिस्ट्री ऑफ फ़ूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज द्वारा नहीं रखा जाता है।
मंत्री ने अपने उत्तर में आगे बताया कि फ़ूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) के अनुसार, दावों और विज्ञापनों को रेगुलेट करने के लिए मैकेनिज्म तैनात किए गए हैं। फ़ूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 की धारा 24(1) में प्रावधान है कि किसी भी ऐसे खाद्य पदार्थ का विज्ञापन नहीं किया जाएगा जो भ्रामक या धोखा देने वाला हो या इस अधिनियम या इसके तहत बनाए गए रूल्स एंड रेगुलेशंस के प्रावधानों का उल्लंघन करता हो। भ्रामक दावों, लेबलिंग और विज्ञापनों से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए एफएसएसएआई ने फ़ूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स (एडवरटाइजिंग एंड क्लेम्स) रेगुलेशन, 2018 की स्थापना की है। यह रेगुलेशन सुनिश्चित करता है कि खाद्य-संबंधी विज्ञापन और दावे सटीक, गैर-भ्रामक हों और खाद्य सुरक्षा मानकों के अनुरूप हों। यह भ्रामक सूचनाओं को रोकने और उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए पोषण, स्वास्थ्य लाभ और लेबलिंग से संबंधित दावों को नियंत्रित करता है। फ़ूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स (आर्गेनिक फूड्स) रेगुलेशन, 2017 में यह प्रावधान है कि भारत में बेचे जाने वाले आर्गेनिक फ़ूड प्रोडक्ट्स को उनकी प्रामाणिकता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नेशनल प्रोग्राम फॉर आर्गेनिक प्रोडक्शन (एनपीओपी) और पार्टिसिपेटरी गारंटी सिस्टम फॉर इंडिया (पीजीएस) जैसी विशिष्ट प्रमाणन प्रणालियों का पालन करना चाहिए। इन रेगुलेशंस का कोई भी उल्लंघन फ़ूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट, 2006 तथा उसके बाद बनाए गए रेगुलेशंस के प्रावधानों के अनुसार उचित कार्रवाई का कारण बन सकता है।
इसके अलावा, मंत्री के उत्तर में उल्लेख किया गया है कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फ़ूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (एपीईडीए) अपने सदस्य निर्यातकों, जिनमें आर्गेनिक फ़ूड प्रोडक्ट्स के एक्सपोर्टर्स भी शामिल हैं, को एक्सपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास, गुणवत्ता विकास तथा बाजार विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
इसके अलावा, एपीईडीए नेशनल प्रोग्राम फॉर आर्गेनिक प्रोडक्शन (एनपीओपी) को क्रियान्वित कर रहा है। इस कार्यक्रम में सर्टिफिकेशन बॉडीज का एक्रेडिटेशन,आर्गेनिक प्रोडक्शन के लिए स्टैंडर्ड्स, आर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देना तथा मार्केटिंग आदि शामिल हैं। नेशनल प्रोग्राम फॉर आर्गेनिक प्रोडक्शन (एनपीओपी) के अंतर्गत, ऑपरेटरों को उनके परिचालन के दायरे जैसे उत्पादन, प्रोसेसिंग तथा ट्रेडिंग के अनुसार प्रमाणित किया जाता है।
अरोड़ा ने भारत में आर्गेनिक तथा हेल्थ-ओरिएंटेड खाद्य उत्पादों के वर्तमान बाजार आकार तथा वृद्धि दर के बारे में पूछा था, जिसमें भारतीय मूल तथा विदेशी मूल के खाद्य उत्पादों के आधार पर विभाजन किया गया है। उन्होंने सरकार द्वारा अपनाए गए मैकेनिज्म के बारे में भी जानकारी मांगी थी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसे उत्पादों की ब्रांडिंग में किए गए दावे वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हों, और भ्रामक दावों के लिए संबंधित प्राधिकरण द्वारा लगाए गए जुर्माने। इसके अलावा, उन्होंने पूछा था कि सरकार किस तरह से आर्गेनिक फ़ूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को बढ़ावा दे रही है, खासकर सब्सिडी, सर्टिफिकेशन असिस्टेंस औरआर्गेनिक प्रोडक्ट्स के लिए मार्किट एक्सेस प्रोग्राम के माध्यम से।
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Yashpal Sharma (Editor)