लुधियाना। लुधियाना में डेयरी मालिकों पर अब नगर निगम की और से एक नया टैक्स लगा दिया गया है। कहने को तो यह टैक्स है लेकिन असलियत में यह गोबर लिफ्टिंग की आड़ में वसूली करने का नया तरीका अपनाया जा रहा है। जिसमे नगर निगम के अफसरों के साथ मिलकर एक पार्षद द्वारा हर महीने लाखों रुपए का घोटाला किया जा रहा है। गौर हो कि सांसद बलबीर सिंह सीचेवाल की और से लगातार बुड्ढा नाला साफ कराने की मुहिम चलाई जा राहु है। इस दौरान निगम की और से ताजपुर रोड स्थित डेयरी मालिकों द्वारा पशुओं का गोबर नाले में फेकने के आरोप लगाए गए। जिसके बाद डेयरी मालिकों पर नया टैक्स लगाते हुए 130 रुपए प्रति पशु देने का आदेश जारी कर दिया गया। यानी की डेयरी संचालकों को प्रति पशु गोबर लिफ्टिंग के 130 रुपए देने होंगे। फिर क्या था, निगम की एक पार्षद द्वारा यह काम निगम मुलाजिमो को देने की जगह एक रिश्तेदार को ठेकेदार बनाकर आगे किया गया। जिसके बाद अब उकत रिश्तेदार द्वारा वर्कर लगाकर गोबर लिफ्टिंग की जाती है और उसे सही जगह फेकने की जगह नाले ए पास ही डंप पर गिरा दिया जाता है। लेकिन चोकने वाली बात तो यह है की उसी गोबर को फिर डंप से उठाकर दूसरी जगह फैकने का कम दूसरे ठेकेदार को दे रखा है। यानी की पार्षद नेता का रिश्तेदार डेयरी मालिको को ठग रहा है और फिर दूसरा ठेकेदार गोबर उठाने के नाम पर सरकार से एक्स्ट्रा चार्ज ले रहा है। यानी की लीडर और निगम अधिकारी ठेकेदारों के साथ मिलकर हर महीने सरकार को लाखों का चूना लगा रहे है। लेकिन इसे देखकर भी उच्च अधिकारी चुप है।
हर महीने करीब 16 लाख की हो राहु ठगी, पार्षद की भी हिस्सेदारी
वही सूत्रो के अनुसार डेयरी संचालकों से हर महीने 130 रुपए प्रति पशु ठेकेदार द्वारा लिए जाते है। वहा पर 12 से 13 हज़ार पशु है। इस अनुमान के मुताबिक करीब 16 लाख रुपए अकेले डेयरी संचालकों से लिए जाते है। पहले तो सभी टैक्स देने वाले डेयरी मालिकों पर नया टैक्स लगाकर इस तरीके से वसूली नहीं की जा सकती। जबकी अगर पैसे लिए भी जा रहे है तो गोबर को तह जगह पर फैका जाना चाइए। लेकिन ठेकेदार द्वारा उसे रास्ते में ही डंप पर गिरा दिया जाता है। जिसके बाद दूसरा ठेकेदार उसे उठाता है। जिससे लोगो और सरकार दोनों से ठगी हो रही है। चर्चा तो यह भी बाजार में है की उकत पार्षद की भी इसमें हिस्सेदारी है। जिसके चलते यह ठगी का सिलसिला लगातार जारी है और कोई अधिकारी इसके खिलाफ नहीं बोलता।
आखिर निगम उच्च अधिकारियों को क्यों नहीं चलता पता
हैरानी की बात तो यह भी है की इस ठगी के खेल के बारे में पूरे शहर के निवासियों को पता चल चुका है। फिर आख़िर इस मामले के बारे में निगम उच्च अधिकारियों को क्यों नहीं पता चल पाता। यही नहीं घोटाले के ज्यादातर मामलों के बारें में निगम अफसरों को खबर नी होती, लेकिन पूरे शहर को पता चल जाता है। जबकि किसी घोटाले का पता भी चल भी जाए तो अधिकारी एक्शन लेने की जगह अपनी हिस्सेदारी लेकर साइड हो जाते है और मामले को दबा लिया जाता है। वही बाजार में चर्चा तो यह भी है की इस गोबर घोटाले का उच्च अधिकारियों को पता है। लेकिन आपसी सेटिंग के चलते कोई कुछ बोलता नहीं है।
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Yashpal Sharma (Editor)