विवादित एलडीपी प्लाटों की अलॉटमेंट मामले में लुधियाना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के चेयरमैन रमण बाला सुब्रामनियम को बड़ा झटक लग गया है। सूत्रों के मुताबिक अब इन विवादित प्लॉटों की अलॉटमेंट आगामी विधानसभा चुनाव के चलते लगने वाले काेड आफ कंडक्ट से पहले नहीं हो पाएगी और पंजाब में बनने वाली नई सरकार ही अब इन पर अपना फैसला देगी। असल में इसका बड़ा कारण स्थानीय निकाय विभाग के मंत्री ब्रहम महिंद्रा को बताया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि मंत्री ब्रह्म महिंद्रा के पास भी इन एलडीपी प्लाटों की अलॉटमेंट को लेकर लुधियाना ट्रस्ट में बन रही योजनाओं व लाखों के गोलमाल किए जाने की शिकायत तो पहुंची ही थी, वहीं मंत्री के कईं नजदीकी भी अपने प्लाटों की अलॉटमेंट करवाने को उनके पास पहुंच गए थे। इसके बाद उनकी और से लोकल गवर्नमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी से भी इन केसों संबंधी जानकारी पूछी गई थी। प्रिंसिपल सेक्रेटरी से जानकारी लेने के बाद इन सभी केस पर रोक लगाए जाने की खबर बाहर आ रहे हैं। इसके तुरंत बाद ही एलडीपी प्लाटों की अलॉटमेंट को लेकर इनके प्रस्तावों को हरी झंड़ी देने को चंडीगढ़ में मीटिंगें कर रहे लोकल गवर्नमेंट के अफसर भी बैक फुट पर आ गए हैं। बताया जाता है कि मंत्री ब्रह्म महिंद्रा के पास यहां तक सूचना पहुंच गई थी कि ये पूरा मामला एक बड़ा स्कैंडल बन सकता है और इसके चलते वे भी इस पचडे़ से दूर हो गए। हालांकि इस बारे में अभी कोई आधिकारिक पुष्टि तो नहीं की गई है लेकिन एक भरोसेमंद सूत्र के मुताबिक इस बात का दावा किया गया है। गौरतलब है कि ई न्यूज़ पंजाब की ओर से लगातार इस मामले को उठाया जा रहा था और इस मामले में कई गड़बड़ियों को भी उजागर किया गया था। इतना ही नहीं इन एलडीपी और अल्टरनेटीव प्लॉटों की चंडीगढ़ से मंजूरी दिलाने के नाम पर लुधियाना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट में लाखों रुपए की रिश्वत मांगे जाने का दावा किया गया था। यह रिश्वत लोकल गवर्नमेंट अफसरों के नाम पर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट में मांगी जा रही थी। लुधियाना ट्रस्ट की और से इन विवादित प्लॉटों को मंजूरी देकर चंडीगढ भेजे जाने के बाद इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के चेयरमैन रमन बालासुब्रह्मण्यम व ईओ कुलजीत और कोर लगातार चंडीगढ़ के चक्कर काट रहे थी। इतना ही नहीं एलडीपी प्लाटों को लेकर गठित की गई कमेटी अफसरों को भी लगातार दबाव मे लाने की कोशिश की जा रही थी । इतना ही नहीं लुधियाना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की ओर से 3 एलडीपी प्लॉट के ड्रा निकालकर इस का प्रस्ताव पास कर सरकार भेज दिए गए और इसके बाद इनके अलॉटमेंट लेटर भी तुरंत जारी हो इसका भी प्रस्ताव ट्रस्ट ने 20 दिन बाद ही पास कर लोकल गवर्नमेंट अफसरों को भेज दिया था। ------- नवजोत सिंह सिद्धू ने लगाया था बड़ा एतराज करीब चार साल पहले मौजूदा कांग्रेस के प्रदेश प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू के पास लोकल गर्वमेंट मंत्री का चार्ज था, तब उनकी ओर से लोकल गर्वमेंट में लगाए सीवीओ की ओर से इन एलडीपी प्लाटों के सैंकड़ों केसों पर अपना एतराज दर्ज करते हुए कईं प्रस्तावों को रदद कर दिया गया था और इन पर अपनी नोटिंग देते हुए कईं अफसरों को शो काज नोटिस तक जारी कर दिया था। जिसके बाद से ये विवादित फाइलें लोकल गर्वमेंट व स्टेट विजिलेंस के पास ही चक्कर काट रही थी। बड़ी बात है कि मौजूदा सीवीओ की ओर से करीब चार महीने पहले जारी किए गए पत्र के बाद दोबारा से लुधियाना के साथ साथ अन्य ट्रस्टों में इन्हें लेकर खिचड़ी पकनी शुरु हो गई थी। यही कारण है कि करीब डेढ़ साल पहले लुधियाना ट्रस्ट के चेयरमैन रमण बाला सुब्रमानियम जिनके सुर इन एलडीपी केसों के खिलाफ बोलते दिखते थे, उन्हीं के सुर बदलते शुरु हो गए थे। उन्होंने भी कभी कोर्ट केस तो कभी सरकार की प्रवानगी के नाम पर पिछली दो ट्रस्ट बैठकों में ही दस से अधिक विवादित प्लाट मंजूरी देकर सरकार के पास हरी झंडी को भेज दिए थे। लेकिन इन केसों को सरकार से मंजूरी के नाम पर 50 से 70 लाख रुपए की रिश्वत की ऊंची आवाजों ने पूरे खेल काे बिगाड़ कर रख दिया। अब लोकल बॉडी मंत्री के साथ साथ अफसर भी इन विवादित केसों में हाथ ड़ाल अपना दामन नहीं जलाना चाहते।
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Yashpal Sharma (Editor)