February 13, 2025 05:51:30

लुधियाना वेस्ट विधानसभा में डेढ़ साल के लिए नए विधायक की तलाश शुरू, जाने कौन-कौन विधायक बनने की दौड़ में और कैसे बन रहे समीकरण

Jan18,2025 | Yashpal Sharma | Ludhiana

यशपाल शर्मा लुधियाना      लुधियाना के हलका वेस्ट से आम आदमी पार्टी  के विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी की मौत के बाद खाली हुई विधायक की कुर्सी पर कौन बैठेगा इसको लेकर जोड़-तोड़ का सिलसिला आरंभ हो चुका है। भले ही विधायक गुरप्रीत गोगी की आत्मिक शांति को सहज पाठ का भोग 19 जनवरी को रखा गया है, लेकिन अंदर खाते विभिन्न राजनीतिक दल इस विधानसभा से अपना कौन सा उम्मीदवार उतारे इस नाम की तलाश में जुट गई हैं । लेकिन वही चुनाव लड़ने के चाहवानों के लिए यह भी बड़ी समस्या है कि चुनाव जीतने के बाद उनका कार्यकाल महज एक से डेढ़ साल का रहेगा, लेकिन चुनाव जीतने के लिए उन्हें पूरी ताकत झोंकनी पड़ सकती है।  इतना ही नहीं यह बाय इलेक्शन है, इसके चलते भी अन्य पार्टी के उम्मीदवारों को जोड़-तोड़ के साथ एड़ी चोटी का जोड़ लगाना पड़ सकता है। बात करें कांग्रेस की तो यहां से पूर्व मंत्री भारत भूषण आशू सबसे पहला नाम है और इस बार इस बार वे सबसे मजबूत व ताकतवर उम्मीदवार भी माने जा रहे हैं। वहीं भारतीय जनता पार्टी अबकी बार इस सीट पर कौन से उम्मीदवार को उतरेगी, इस पर अभी तस्वीर साफ नहीं है। लेकिन भाजपा के अंदर खाते इस सीट से चुनाव लड़ने वाले चाहवानों की कतर बढ़ती दिख रही है। भाजपा से सबसे पहले तीन नाम में इस वक्त एडवोकेट विक्रम सिंह सिद्धू, कारोबारी राकेश कपूर और राशि अग्रवाल का नाम लिया जा रहा है। वही आम आदमी पार्टी में भी वेस्ट विधानसभा से चुनाव लड़ने को कई नाम सामने आ रहे हैं और उनकी ओर से विधायक बनने तक के सपने भी संजो लिए गए हैं। इन नाम में फिलहाल दविंदर सिंह घुम्मन, तनवीर सिंह धालीवाल का नाम सामने आ रहा है, लेकिन पार्टी इस बार किसे टिकट देगी इस पर कुछ भी साफ नहीं है। विधायक गुरप्रीत गोगी के अकस्मात निधन के बाद आम आदमी पार्टी गोगी परिवार से उनकी पत्नी सुखचैन बस्सी को टिकट देकर पब्लिक से सांत्वना हासिल करने का कार्ड भी खेल सकती है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान खुद गुरप्रीत गोगी के अंतिम संस्कार पर श्मशान घाट पहुंचे थे और इसके साथ-साथ पंजाब के राज्यपाल भी गोगी की चिता को अग्नि देने में शामिल हुए थे। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि आम आदमी पार्टी हाई कमान गोगी परिवार को ऐसे हालातो में अधर में नहीं छोड़ेगी और मात्र एक से डेढ़ साल के विधायक कार्यकाल के लिए किसी नए उम्मीदवार के चयन के चक्कर में नहीं फंसेगी।                                                         एडवोकेट विक्रम सिंह सिद्धू को झेलनी पड़ सकती है खिलाफत।                                        विधानसभा 2022 में भाजपा की ओर से वेस्ट विस से उतारे गए उम्मीदवार एडवोकेट विक्रम सिंह सिद्धू को 28000 के करीब बड़ी वोट हासिल हुई थी और उनके प्रदर्शन को बेहतरीन माना गया था। लेकिन 3 साल बाद यह समीकरण एडवोकेट विक्रम सिंह सिद्धू के लिए एकदम से बदलते दिखाई दे रहे हैं। बदलते राजनीतिक समीकरणों के चलते एडवोकेट विक्रम सिंह सिद्धू की तो इस बार टिकट लेने से लेकर चुनाव लड़ने में अपनों की बड़ी खिलाफत झेलनी पड़ सकती है । इसका बड़ा कारण है कि जुम्मा जुम्मा हुए नगर निगम चुनाव में वेस्ट विधानसभा हलके से भाजपा की ओर से उतारे गए काउंसलर उम्मीदवारों में किसी के भी वे प्रचार में नहीं पहुंचे और यहां तक की चुनाव में उतरे उम्मीदवारों के मोबाइल तक उठाने की जरूरत नहीं समझी। यही कारण है कि सिद्धू को इस बार टिकट लेने और इसके बाद चुनाव जीतने में कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है। टिकट लेने के लिए उनके खिलाफ प्रबल दावेदारों में अभी तक दो नाम सामने आए हैं । जिनमें कारोबारी राकेश कपूर और राशि अग्रवाल शामिल है। जहां कारोबारी राकेश कपूर लंबे समय से विधायक टिकट लेने के संभावित उम्मीदवारों में शामिल रहे हैं, तो वही अग्रवाल परिवार से संबंधित राशि अग्रवाल इस बार पार्षद चुनाव में ना उतरकर अपना फोकस विधायक की टिकट लेने पर रखे हुए हैं। वहीं अकाली दल से शिरोमणि अकाली दल से किसे चुनाव लड़ाया जाता है, इस पर भी अभी तस्वीर साफ नहीं है। लुधियाना वेस्ट से शिरोमणि अकाली दल में इस समय मुख्य चेहरों में स.महेश चंद्र सिंह ग्रेवाल, स. भूपिंदर सिंह भिंदा और कमल चेटली का नाम प्रमुख है।                                                                                           भारत भूषण आशू सबसे मजबूत उम्मीदवार, लेकिन बीच में है बाय इलेक्शन का खेल                                                                      अगर अगले दो से तीन महीने के भीतर आम आदमी पार्टी बेस्ट विधानसभा में चुनाव करती है करवाती है तो इस बार कांग्रेस के अहम चेहरा और पूर्व मंत्री कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशू सबसे मजबूत उम्मीदवार माने जा रहे हैं। लेकिन उनकी इस जीत के बीच में सबसे बड़ा कांटा बाय इलेक्शन का है। यह इलेक्शन दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद है, इसलिए इस चुनाव में दिल्ली के साथ-साथ पंजाब के बड़े नेता अपने उम्मीदवार को बाय इलेक्शन जीतने के लिए मैदान में उतार सकते हैं। जिसमें उनका साथ देने को सरकारी अफसर, मशीनरी,पुलिस और अन्य तंत्र-मंत्र का साथ किसी भी मजबूत उम्मीदवार के जीत के समीकरणों को बिगाड़ सकता है । ऐसे में मात्र एक से डेढ़ साल के विधायक कार्यकाल के लिए हर पार्टी का नेता इस गणित को भी अपने विचार में रख रहा है। क्योंकि विधानसभा चुनाव चाहे 1 साल का हो या 5 साल का, उसे जीतने के लिए हर उम्मीदवार को अपना 100% देना पड़ सकता है । ऐसे में कई नेता यह जोखिम उठा इस चुनाव में उतरने को फिलहाल हिचकिचा रहे हैं।

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