चंडीगढ़। जेल से गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के इंटरव्यू मामले की आज शुक्रवार को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट में पंजाब के मुख्य सचिव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट पेश हुए। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जेलों में जैमर लगाने के मामले में सरकार को फटकार लगाई। साथ ही इस मामले की अगली सुनवाई 12 सितंबर तय की। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एक सवाल के जवाब में सरकारी वकील ने जैमर लगाने के प्रोजेक्ट में देरी कारण फंड की कमी को बताया। इस पर कोर्ट ने कहा कि इस गंभीर विषय पर इतनी लापरवाही कैसे बरती जा सकती है। जेलों का सुरक्षा मुद्दा अहम है। ऐसे में अगली सुनवाई पर इसके संबंध में स्टेटस रिपोर्ट पेश की जाए। मामले की अगली सुनवाई 12 सितंबर काे होगी लॉरेंस इंटरव्यू मामले की जांच कर रहे SIT के अधिकारी ने बताया था कि उनकी जांच चल रही है। अगले महीने के पहले हफ्ते तक जांच पूरी कर ली जाएगी।
जैमर मुद्दे पर सुनवाई में फंसा पेच
सुनवाई में जेलों में जैमर से जुड़े मुद्दे पर कोर्ट ने सवाल किया तो सरकारी वकील ने बताया कि जैमर लगाने की एक प्रक्रिया है। जैमर लगाने के लिए बाकायदा टेंडर और अन्य औपचारिकताएं होती है। इसके बाद कोर्ट ने मुख्य सचिव को तलब किया। हालांकि अदालत के बाहर वकील ने बताया कि इस दौरान कहा था की वीआईपी की गाड़ियों में लगे जैमर क्यों जेलों में लगा दिए जाए।
पहले इंटरव्यू में मूसेवाला के कत्ल की जिम्मेदारी ली
लॉरेंस का पहला इंटरव्यू 14 मार्च को ब्रॉडकास्ट हुआ था। जिसमें लॉरेंस ने सिद्धू मूसेवाला का कत्ल करवाने की बात कबूल की थी। लॉरेंस का कहना था कि मूसेवाला सिंगिंग के बजाय गैंगवार में घुस रहा था। उसके कॉलेज फ्रेंड अकाली नेता विक्की मिड्डूखेड़ा के कत्ल में भी मूसेवाला का हाथ था। इसलिए उसे मरवाया। एसआईटी रिपोर्ट के मुताबिक ये वही इंटरव्यू है, जो उसने सीआईए की कस्टडी से दिया।
दूसरे इंटरव्यू में बैरक से कॉल करने का दिया सबूत
लॉरेंस ने अपने दूसरे इंटरव्यू में जेल के अंदर से इंटरव्यू करने का सबूत भी दिया था। उसने अपनी बैरक भी दिखाई और बताया कि उसे बाहर नहीं जाने दिया जाता, लेकिन मोबाइल भी उसके पास आ जाता है और सिग्नल भी। लॉरेंस ने अपने इंटरव्यू में कहा कि रात के समय जेल के गार्ड बहुत कम आते-जाते हैं, इसीलिए वह रात को कॉल कर रहा है। लॉरेंस ने मोबाइल के अंदर आने के बारे में भी जानकारी दी थी। लॉरेंस के अनुसार मोबाइल बाहर से जेल के अंदर फेंके जाते हैं। कई बार जेल स्टाफ उन्हें पकड़ भी लेता है, लेकिन अधिकतर बार मोबाइल उस तक पहुंच जाता है।
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Yashpal Sharma (Editor)