April 19, 2025 03:18:49

सवाल- एसई संजय कंवर आखिर किस किस आला अधिकारी के पहुंचाते थे कमीशन, खौफ में कई आला अधिकारी

- नगर निगम कमिश्नर के साथ अच्छी ट्यूनिंग के चलते संजय कंवर का चलता था लुधियाना में नगर निगम में सिक्का

- रिश्वत की बौछार ने संजय को बनाया मर्सिडीज़ का दीवाना

Apr15,2025 | Yashpal Sharma | Ludhiana

यशपाल शर्मा, लुधियाना                 लुधियाना नगर निगम में सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर (एसई) पद पर तैनात संजय कंवर को विजिलेंस की ओर से गिरफ्तार किए जाने के बाद नगर निगम के आला अफसरों में भी गिरफ्तारी का खौफ बना हुआ है। आपको बता दें संजय कंवर के संबंध लुधियाना नगर निगम के पूर्व कमिश्नर शैना अग्रवाल, संदीप ऋषि और मौजूदा नगर निगम कमिश्नर आदित्य डेचलवाल के साथ भी बेहद अच्छे थे, लेकिन पिछले करीब एक साल से संजय कंवर लुधियाना नगर निगम में मोटी रिश्वत लेने के चलते चर्चित अधिकारी बन गए थे। इतना ही नहीं उनकी ओर से पिछले 3 महीने के अंतराल में दो मर्सिडीज़ गाड़ियां खरीदी गई थी जो कि सोशल मीडिया में सुर्खियों का कारण बनी हुई थी । बताया जाता है कि इनमें से एक गाड़ी संजय कंवर की ओर से अपनी पत्नी को गिफ्ट की गई थी और दो मर्सिडीज़ गाड़ियों की कीमत 1.50 से 1.75 करोड़ की बताई जा रही है। अब इस पूरे मामले में नगर निगम के आला अफसरों की जान इसलिए सूख रही है क्योंकि आज विजिलेंस ब्यूरो की ओर से संजय कंवर को कोर्ट में पेश कर पुलिस रिमांड हासिल किया जाएगा और इस पुलिस रिमांड में वह किस-किस अधिकारी का नाम लेते हैं, जिन्हें उनकी ओर से रिश्वत पहुंचाई गई है। ऐसे में विजिलेंस का अगला एक्शन किन-किन अधिकारियों पर रहता है यह भी बड़ी देखने वाली बात रहेगी। संजय कंवर का अधिकतर  सरकारी कार्यकाल जालंधर नगर निगम का रहा है, लेकिन पिछले करीब 3 सालों से  लुधियाना नगर निगम  में एसई बीएंडआर के तौर पर काम कर रहे थे और B&R के साथ साथ स्मार्ट सिटी के कामों पर कब्जा जमाए हुए थे। पूर्व नगर निगम कमिश्नर संदीप ऋषि की ओर से सेटिंग के खेल में संजय को बिल्डिंग ब्रांच में भी बतौर एमटीपी का चार्ज दिया गया था और अपने इस कार्यकाल दौरान भी उनकी ओर से कई ऐसी बिल्डिंग को कंपाउंड कर डाला गया,जिन्हें नियमों के तहत कंपाउंड नहीं किया जा सकता था। बताया जाता है कि इसमें भी नगर निगम के आला अफसोस को मोटी रिश्वत का भुगतान किया गया था और इसके बलबूते इन फाइलों को बतौर एमटीपी संजय कंवर की ओर से आला अफसर से क्लियर करवाया जाता था।          ठेकेदारों के पक्षपात में फंसे संजय कंवर                                                                              संजय कंवर पिछले करीब तीन माह से रोज गार्डन के नवीनीकरण से संबंधित 8.80 करोड रुपए का टेंडर को लेकर चर्चा में बने हुए थे। इस टेंडर को लेकर दो ठेका कंपनी हितेश अग्रवाल (aglow builder)और जेबी एंड कंपनी आमने-सामने थी । करीब 3 महीने पहले ये ठेका कंपनी की ओर से प्रीपॉन बिडिंग में हितेश अग्रवाल की कंपनी के पक्ष में चल गया था। इसके एवज में ही संजय कंवर ने हितेश अग्रवाल से 10 फीसदी कमीशन (करीब 90 लाख ) मांगी गई। लेकिन उसके इनकार करने और एकाएक आम आदमी पार्टी के विधायक गुरप्रीत गोगी के निधन के बाद इस टेंडर प्रक्रिया को नगर निगम की ओर से रद्द कर दोबारा से टेंडर लगा दिया गया। बताया जाता है कि इस टेंडर को रद्द करने में अहम रोल संजय कंवर का रहा। इसके बाद संजय की ओर से इस टेंडर को दोबारा से लगवा कर अपने चहेते  ठेकेदार को ये टेंडर अलॉट कर दिया गया, जबकि यह मामला फिलहाल हाई कोर्ट में पेंडिंग है और हाई कोर्ट की ओर से इस टेंडर के वर्क आर्डर को जारी करने पर ब्रेक लगाई हुई है। बताया जाता है कि इसी टेंडर से संबंधित रिश्वत मांगने की एक ऑडियो संजय कंवर की लीक हो गई थी । जिसके बाद वह इस पूरे मामले में विजिलेंस के घेरे में आ गए और यही कारण है कि विजिलेंस ब्यूरो ने इस मामले में अंदर खाते इंक्वारी करते हुए छुट्टी के बावजूद संजय  को गिरफ्तार कर लिया। सुनने में यह भी आता है कि संजय कंवर की ओर से ही नगर निगम कमिश्नर के हिस्से की कमीशन भी ठेकेदारों से एकत्र  की जाती थी और इसी के चलते हुए वे हर नगर निगम कमिश्नर के भी बेहद नजदीकी बने हुए थे ।                                                                           लुधियाना निगम में जेई के तौर भी कर चुके है काम।                          आपको बता दें करीब 22 साल पहले संजय कंवर लुधियाना नगर निगम के ओएंडएम ब्रांच में बतौर जेई रह चुके है और इसके कुछ समय बाद वे अपने परिवार के साथ PR लेकर कनाडा  रवाना हो गए थे। लेकिन कनाडा में सेटिंग न बनने पर वे वापस लौट आए और दोबारा से नगर निगम बी एंड आर ब्रांच में अपना कार्यकाल का दूसरा टर्म आरंभ किया। इसके बाद वे लंबे समय तक जालंधर नगर निगम में तैनात रहे। संजय कंवर अपने इंग्लिश के बेहतरीन फ्लो के चलते हमेशा से नगर निगम में एक इंटेलिजेंट अफसर के तौर पर पहचान बनाए रहे और यही कारण है कि वे नगर निगम में हर किसी कमिश्नर के नजदीकी रहे।  इतना ही नहीं वह हर एक काम को अपने दिमाग से निकालने में माहिर थे और उनके सेटिंग के खेल के चलते हमेशा से लाइमलाइट में रहे। आपको बता दे की लुधियाना नगर निगम में आने का भी उनका अहम कारण लुधियाना स्मार्ट सिटी में लगाए गए करोड़ों के टेंडर वर्क थे । संजय को यह मालूम था कि लुधियाना स्मार्ट सिटी में करोड़ों के डेवेलपमेंट वर्क होने वाले हैं और इन टेंडर्स की अलॉटमेंट से लेकर इन वर्क कंप्लीट होने तक मोटा कमीशन उनकी जेब में आ सकता है और यही कारण है कि वह जालंधर को छोड़ पिछले 3 साल से लुधियाना में जमे हुए थे। लुधियाना आने के बाद संजय ने अपनी स्मार्टनेस की वजह से जल्द ही वे स्मार्ट सिटी के भी अहम अफसर भी बन गए और यहां भी मोटी रिश्वत उन्होंने एकत्र की । स्मार्ट सिटी के अधिकतर डेवलपमेंट वर्क लुधियाना नगर निगम डी जोन से संबंधित है और इसके चलते वे डी जोन में ही जमे रहे।

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