नई दिल्ली। दिल्ली में लाल किले के सामने खुद को विस्फोटक से भरी कार समेत उड़ाने वाले डॉ. उमर नबी के आखिरी 10 दिनों की कहानी सामने आई है। फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी के मेडिसिन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नबी ने नूंह की हिदायत कॉलोनी में खुद को एक कमरे में 10 दिन बंद रखा। हालात ये थे कि वो टॉयलेट या शौच के लिए भी कमरे से बाहर नहीं निकला। कमरे के अंदर ही गंदगी फैलाता रहा। न कपड़े बदले, न नहाया। रात के अंधेरे में कभी-कभार खाना खाने घर से बाहर गया। कमरे के फर्श से बहकर मल बाहर आने लगा तो मकान मालकिन अफसाना ने अपने जीजा शोएब से शिकायत की। शोएब भी यूनिवर्सिटी में इलेक्ट्रिशियन है। धौज गांव के शोएब ने ही अपनी साली अफसाना को कहकर डॉ. उमर को रहने के लिए कमरा दिलवाया था। शोएब और अफसाना अब जांच एजेंसियों की हिरासत में है। बातचीत में अफसाना की बेटी ने बताया कि 9 नवंबर की रात को करीब 11 बजे डॉ. उमर बिना कुछ बताए अपनी i20 कार लेकर निकल गया। अगले दिन यानी 10 नवंबर को डॉ. उमर ने विस्फोट से भरी इसी कार समेत खुद को उड़ा लिया।
पुलिस से डरकर छिपी अफसाना, अब NIA के हवाले
दिल्ली ब्लास्ट के बाद जब जांच एजेंसियों डॉ. उमर की मूवमेंट ढूंढते हुए नूंह तक पहुंची तो अफसाना डर कर फरार हो गई। परिजन ने 17 नवंबर को उसे जांच एजेंसियों के हवाले किया। परिजन इस बारे में ज्यादा कुछ बोलने को तैयार नहीं हुए। काफी कोशिशों के बाद कुछ बातें ऑफ कैमरा बताईं तो कुछ मुंह ढंककर। जांच एजेंसियों ने उस कमरे को लॉक कर रखा है, जिसमें उमर ठहरा था। अफसाना के घर में 5 कमरे हैं। जिस कमरे में डॉ. उमर ठहरा वो सबसे आखिरी में है, जबकि टॉयलेट मेन गेट के पास है। परिजन ने बताया कि 27 या 28 अक्टूबर को शोएब ने अपनी साली अफसाना से फोन पर बात की थी। उसने कहा था कि उसका कोई मेहमान है, जो कुछ दिन रुकेगा तो घर में एक कमरा तैयार रखना। हालांकि फिर 2-3 दिन कोई नहीं आया।
31 अक्टूबर को शोएब खुद डॉ. उमर को लेकर आया
अफसाना के परिवार के लोगों ने बताया कि 31 अक्टूबर को शोएब खुद डॉ. उमर को लेकर आया। दोनों i20 कार में आए। शोएब ने कहा- ये कुछ दिन यहीं ठहरेंगे। अफसाना ने एक-दो दिन तो उमर को चाय-नाश्ता भी दिया था, लेकिन जब उसकी हरकतें संदिग्ध लगीं तो ज्यादा संपर्क नहीं रखा। अफसाना की नाबालिग बेटी बताती हैं- हमारा मेहमान कमरे से बाहर नहीं निकलता था। वह केवल रात में ही कभी बाहर जाता था। उसके पास दो मोबाइल थे। अंधेरा होने पर वह सड़क किनारे दुकानों पर खाना खाने जाता था। 10 दिनों तक एक ही कपड़े पहने रहा और किसी से कोई बात नहीं की। 10 दिन में केवल चार दिन ही अपनी गाड़ी को हमारे घर के सामने खड़ा किया था। बाकी वह गाड़ी को कहीं बाहर खड़ी करता था। अफसाना के पास 2 फोन हैं। एक वह अपने साथ आंगनवाड़ी में लेकर जाती थी, जबकि दूसरा घर पर छोटे बच्चों के पास छोड़ जाती थी। अफसाना की बेटी ने बताया कि वो डॉक्टर ने उनके छोटे भाई से फोन ले लिया और अपने फोन से कनेक्ट कर किसी से बात करता था। संभवत: हॉटस्पॉट के जरिए इंटरनेट कॉल की। अफसाना के सबसे छोटे बेटे ने भी इस बात की पुष्टि की है कि वह आतंकी डॉक्टर उमर को पहचानता है।
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Yashpal Sharma (Editor)