पंजाब। पंजाब के केंद्र द्वारा रोके हुए एनएचएम (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) फंड मिलने की उम्मीद जग गई है। इस विवाद को खत्म करने को लेकर दोनों सरकारों ने बीच का रास्ता निकाला लिया है। ऐसे में स्ट्रेटजी बनी है कि केंद्र और पंजाब सरकार की 60-40 हिस्सेदारी से बने आम आदमी क्लीनिक के नाम बदले जाएंगे। लेकिन जो आम आदमी क्लिनिक खुद सरकार ने बनाए या किसी व्यक्ति द्वारा दान दी गई इमारत में चल रहे हैं। उनके नाम नहीं बदलेंगे। यह जानकारी खुद पंजाब के सेहत मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने पंजाब यूनिवर्सिटी में आयोजित पंजाब विजन 2047 के दौरान पत्रकारों से दी। उन्होंने बताया कि नया नाम क्या होगा। वह भी प्लानिंग तैयार है। हालांकि उन्होंने साफ किया इस नाम से दोनों सरकारों की को ब्रांडिंग होगी। कुल कितने क्लीनिक का नाम बदलेगा, इसके बारे में वह जल्दी ही प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से एग्रीमेंट हो गया है।
नीतियों का असर आने वाले सालों में दिखेगा
इस मौके पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा बतौर मुख्य मेहमान समागम में शामिल हुए। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नई विकासात्मक नीतियों के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि हम अगले कुछ वर्षों में इन नीतियों के परिणाम देखेंगे जो राज्य की अर्थव्यवस्था को फिर से जीवंत कर देंगे। जीएसटी की शुरुआत के साथ, पंजाब जैसे औद्योगिक और कृषि राज्यों के राजस्व में गिरावट देखी गई है। क्योंकि जीएसटी एक गंतव्य आधारित कर है। इसका मतलब है कि कम औद्योगिक और कृषि उत्पादन वाले राज्य और इसलिए अधिक खपत वाले राज्य अधिक कर एकत्र करते हैं। वहीं, शहीद भगत सिंह को पाकिस्तान पंजाब की ओर से आतंकी बताए जाने पर हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि हमे पड़ोसी देश से सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है।
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Yashpal Sharma (Editor)