यशपाल शर्मा, लुधियाना दिल्ली विधानसभा के नतीजे एक बार फिर से पंजाब की राजनीति पर बड़ा असर डाल सकते हैं और इस बार केजरीवाल का डेवलपमेंट मॉडल पंजाब की राजनीति पर भारी पड़ सकता है। वर्ष 2017 के बाद से धीरे धीरे पंजाब में आम आदमी पार्टी की चमक धुंधली पड़ती दिखी है, लेकिन इस बार के दिल्ली विधानसभा के नतीजे एक बार फिर से पंजाब की राजनीति में बड़ी घुसपैठ कर सकते है। पंजाब की राजनीति की बात करें तो इस समय कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल की अंदरूनी स्थिति अधिक बेहतर नहीं है। जहा शिरोमणि अकाली दल की अंदरूनी लड़ाई के साथ साथ भाजपा के साथ भी 36 का आंकड़ा चल रहा है । वहीं अकाली दल से कई दिग्गजों ने किनारा कर लिया है और आगामी विधानसभा चुनाव के लिए चौथा दल बनाकर चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे है। वहीं अगर कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस के भी अधिकतर विधायक पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से अधिक संतुष्ट नहीं है और इनमें विधायक नवजोत सिंह सिद्धू खुले तौर पर पार्टी से अलग-थलग चल रहे हैं। इसका जीता जागता उदाहरण यह भी है कि पार्टी आलाकमान की ओर से नवजोत सिंह सिद्धू को दिल्ली चुनाव में बतौर स्टार प्रचारक जिम्मा सौंपा था, लेकिन वे कहीं भी केजरीवाल के खिलाफ चुनाव प्रचार को नहीं उतरे। ऐसे में एक बात साफ है कि आने वाले तीन चार महीनों में मौन बैठे सिद्धू भी किसी तरह का नया ऐलान कर कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौतियां खड़ी कर सकते हैं। अगर पंजाब के चुनावी समीकरणों की बात करें तो अकाली दल से जो नेता अलग होकर टकसाली अकाली होने का दावा कर रहे हैं, उनकी ओर से जिस भी पार्टी के समर्थन में अपना साथ दिया जाता है वह तीसरा धड़ा पंजाब की राजनीति में मजबूत पार्टी के तौर पर उभर सकता है। मौजूदा कांग्रेस सरकार सरकार की तो वह भी बीते 2 सालों में आम जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाएंगे। बड़ा कारण है कि विधानसभा 2017 में में कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से से से जनता के साथ जो चुनावी वादे पूरे किए गए वह अभी तक पूरे नहीं हो पाए हैं और यही कारण है कि जनता कांग्रेस के कार्यकाल से भी अधिक संतुष्ट नहीं हैं । ऐसे में अब दिल्ली चुनाव निपटने के बाद अरविंद केजरीवाल की निगाह पंजाब की राजनीति पर रहेगी। असल में बात करें आम आदमी पार्टी की तो पूरे देश में केवल पंजाब ही एक ऐसा राज्य था, जहां पर आम आदमी पार्टी दिल्ली के बाद सबसे अधिक बेहतर प्रदर्शन कर पाई थी। ऐसे में अब दिल्ली के चुनावों के नतीजे एक बार फिर से पंजाब में आम आदमी पार्टी का झंडा बुलंद कर सकते है । वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की ओर से अपना मुख्यमंत्री चेहरा घोषित ना किए बिना भी चुनाव में बेहतर नतीजे दिए थे और कुछ विधायकों की कमी से सत्ता से चूक गए थे।