पंजाब। पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर बादल का शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रधान पद से दिया गया इस्तीफा शुक्रवार (10 जनवरी) को मंजूर हो गया। इसे लेकर चंडीगढ़ में अकाली दल की वर्किंग कमेटी की मीटिंग हुई, जिसकी अध्यक्षता वर्किंग प्रधान बलविंदर सिंह भूंदड़ ने की। एक मार्च को प्रधान पद के लिए चुनाव होगा। गुलजार सिंह राणिके को मुख्य चुनाव अधिकारी लगाया गया है। 20 जनवरी से 20 फरवरी तक मेंबरशिप मुहिम शुरू की जाएगी। 25 लाख मेंबरशिप का टारगेट रखा गया है। शिरोमणि अकाली दल का गठन 14 दिसंबर 1920 को हुआ था। इसके बाद से पार्टी के 20 प्रधान बने। हालांकि, प्रकाश सिंह बादल के 1995 में पार्टी की कमान संभालने के बाद वह 2008 तक इस पद पर रहे। उसके बाद सुखबीर बादल को प्रधान बना दिया गया। 16 नवंबर 2024 को सुखबीर बादल ने इस्तीफा दे दिया था। अब 30 साल बाद ऐसा मौका आ रहा है कि बादल परिवार के बजाय कोई दूसरा अकाली दल का प्रधान बन सकता है।
धार्मिक सजा से पहले दिया था सुखबीर ने इस्तीफा
सुखबीर बादल को कुछ दिन पहले अकाल तख्त ने धार्मिक सजा सुनाई थी। जिसमें उन पर मुख्य रूप से 3 आरोप थे। इनमें पहला आरोप सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के मुखी राम रहीम को बेअदबी मामले में माफी देने का था। इसके अलावा उन पर सरकार रहते हुए भी श्री गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी न रोक पाने और आरोपियों पर कार्रवाई न कर पाने का था। इस सजा से पहले ही सुखबीर बादल ने प्रधान पद से इस्तीफा दे दिया था।
पहले प्रकाश सिंह बादल पर भी आया था दबाव
सुखबीर बादल से पहले प्रकाश सिंह बादल पर भी पार्टी की प्रधानगी छोड़ने का दबाव आया था। साल 1999 में जब खालसा पंथ की त्रिशताब्दी मनाए जाने को लेकर तत्कालीन SGPC प्रधान गुरचरण सिंह टोहड़ा ने उन्हें पार्टी का पद छोड़ने को कहा था। उनका तर्क था कि मुख्यमंत्री होने की वजह से उनके पास काफी काम होता है। हालांकि पार्टी में उस वक्त प्रकाश सिंह बादल का पूरी तरह से दबदबा था। जिस वजह से बादल को प्रधान बने रहे लेकिन टोहड़ा को SGPC की प्रधानगी छोड़नी पड़ गई।
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Yashpal Sharma (Editor)