लुधियाना। लुधियाना जिले के बुड्डा नाले का मामला एक बार फिर से गरमा गया है। दरअसल, डाइंग और इलेक्ट्रोप्लेटिंग उद्योग ने इस मामले को लेकर प्रेस वार्ता की। इस दौरान उन्होंने ऐलान किया कि बुड्ढे नाले को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। सरकार इस बारे में बातचीत भी नहीं कर रही। उन्होंने कहा कि यदि सरकार नाले की सफाई को लेकर गंभीर न हुई और बातचीत न की गई तो सभी कारोबारी सात जनवरी को डीसी ऑफिस बाहर धरना देंगे। इस दौरान एसोसिएशन ने कहा कि वह बुड्डा नाले की ध्यान पंजाब सीएम भगवंत का ध्यान केंद्रित करना चाहते है। इस दौरान उन्होंने सीएम मान से अपील करते हुए कहा कि जो सतलुज दरिया प्रदूषित हो रहा है, वह पंजाब हरियाणा और राजस्थान को लोगों की सेहत की गंभीर बन रहा है। दुर्भाग्य से, उद्योग इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर एकजुट नहीं है। कई हितधारक अलग-अलग तरीकों से काम कर रहे हैं। जिसके चलते समय और साधनों की बर्बादी हो रही है, जबकि वास्तविक चुनौतियों का समाधान नहीं ढूंढा जा रहा। एसोसिएशन का कहना है कि इस मसले को लेकर सरकार और प्रशासन गंभीर नहीं है। इस मुद्दे पर संघर्ष कर रहे नेता गलतफहमी में आकर देश की डाइंग इंडस्ट्री पर आरोप लगा रहे हैं। एक औद्योगिक समाज के जिम्मेदार सदस्यों के रूप में, हमने प्रदूषण को कम करने के लिए नवीनतम तकनीक को अपनाया है। बुड्ढा नाला सतलुज नदी की सहायक नदी थी, 1988 में बाढ़ के दौरान कट दिया गया था और तब से यह घरेलू और औद्योगिक गंदे पानी लिए एक निकास बन गया है। अब यह गंदा नाला है। एकमात्र उचित समाधान यह है कि सतलज से लुधियाना में मिलने से पहले इस पूरे गंदे पानी का उपचार किया जाए। बावा ने राज्यसभा सांसद संत सींचेवाल के खिलाफ खोला मोर्चा। प्रेस वार्ता दौरान राज्यसभा सांसद संत बलबीर सिंह सींचेवाल की कारगुजारी संबंधी पूछे के सवाल पर तरुण जैन बाबा ने उनके खिलाफ पूरा मोर्चा ही खोल दिया। बावा ने कहा कि मैं संत सींचेवाल की कारगुज़ारी को पूरी तरह से रिजेक्ट करता हूं। वे भगवा कपड़े पहन काले पानी पर काम करके खुद राज्यसभा मेंबर बनकर बैठ गए । अभी तक उन्होंने बुड्ढा नाला में कितना डोमेस्टिक और कितना इंडस्ट्रियल पानी है, को नपवाया जाएगा। इसके बिना दूध का दूध और पानी का पानी कैसे होगा, सीचेवाल की इतनी बुद्धि भी नहीं है । मैं इसलिए उनकी सोच और उनके कंडक्ट को पूरी तरह से रिजेक्ट करता हूं। वे इस पूरे मामले को आई वाश कर रहे हैं और और यहां आकर अपनी फोटो खिंचवाकर झूठी शोहरत हासिल करते हैं। वह तो खुद गुमराह हो रखे हैं वह हमें क्या राह दिखाएंगे।
निगम के एसटीपी प्लांट कामयाब नहीं हो रहे साबित
इस दौरान तरूण जैन बावा ने कहा कि पुरानी तकनीक से बने कम क्षमता वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) पर जनता का बहुत सारा पैसा बर्बाद किया गया है। शहर लगभग 1,700 एमएलडी अपशिष्ट जल उत्पन्न करता है, जबकि लगे हुए एसटीपी केवल 703 एमएलडी ही संभाल सकते हैं। इस बीच, डाइंग उद्योग से केवल 105 एमएलडी को सीईटीपी द्वारा उपचारित किया जा रहा है, जबकि घरेलू सीवेज और अवैध उद्योग अनुपचारित पानी को सीवर में डाल रहे हैं। जिसके कारण एसटीपीएस बेअसर हो रहे हैं। इस बात पर चर्चा नहीं की जा रही है कि 2020 में 650 करोड़ की लागत से बनाए गए 225+60 एमएलडी एसटीपी संबंधित विभागों की गलत योजना और गलत सूचना के कारण विफल हो गए। सरकार द्वारा ही गठित समिति ने इस कुप्रबंधन के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करने और उन्हें दंडित करने के लिए सीबीआई जांच की सिफारिश की गई, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इस संकट से उबरने के लिए, हम एक उच्च-स्तरीय समिति गठित करने का सुझाव देते हैं, जिसकी अध्यक्षता एक सेवानिवृत्त या मौजूदा उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश करेंगे और इसमें उद्योग और नागरिक समाज के जानकार और विशेषज्ञ सदस्य शामिल होंगे। समिति का उद्देश्य मूल कारणों की पहचान करना और दूरगामी परिणामों वाले प्रभावी समाधान लागू करना होना चाहिए।
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Yashpal Sharma (Editor)