चंडीगढ़ PGI में एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (एआरडी) द्वारा किए गए प्रतीकात्मक हड़ताल प्रदर्शन को लेकर प्रशासन और डॉक्टरों के बीच स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। पीजीआई के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने एआरडी अध्यक्ष को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 15 अक्टूबर को आयोजित हड़ताल पर जवाब मांगा।
यह हड़ताल पश्चिम बंगाल के रेजीडेंट डॉक्टरों के समर्थन में की गई थी, जिसमें कुछ समय के लिए सेवाओं को बाधित किया गया। पीजीआई के आउटसोर्स कर्मचारियों की हड़ताल के चलते पहले ही संस्थान की कई सेवाएं प्रभावित थीं। निदेशक कार्यालय ने 14 अक्टूबर को एआरडी प्रतिनिधियों को बुलाकर सीनियर फैकल्टी की मौजूदगी में हड़ताल न करने की सलाह दी थी।
इसके बावजूद एआरडी हड़ताल पर चली गई, जिससे मरीजों की परेशानी बढ़ी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए नोटिस में डॉक्टरों को हड़ताल पर न जाने की हिदायत दी गई, इसे अवहेलना मानते हुए न्यायालय की अवमानना माना गया है।एआरडी ने अपने जवाब में कहा कि प्रतीकात्मक हड़ताल केवल समर्थन व्यक्त करने के लिए थी, और आपातकालीन सेवाओं पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। उन्होंने मरीजों की देखभाल, मेडिकल नैतिकता और जीवन की पवित्रता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और आश्वासन दिया कि इमरजेंसी सेवाएं बिना किसी रुकावट के सुचारू रूप से चल रही थीं।ऑल इंडिया रेजिडेंट्स एंड जूनियर डॉक्टर्स ज्वाइंट एक्शन फोरम (एआईजेएएफ) ने पीजीआईएआरडी के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई को अलोकतांत्रिक बताया। उन्होंने कहा कि पीजीआई प्रशासन को डॉक्टरों के लोकतांत्रिक अधिकारों का सम्मान करना चाहिए और एआरडी पर लगाए गए कारण बताओ नोटिस को वापस लेना चाहिए।
एआरडी ने अपने पत्र में स्पष्ट किया कि प्रतीकात्मक हड़ताल के दौरान मरीजों की देखभाल में कोई कमी नहीं आई। उन्होंने कहा कि मेडिकल समुदाय के अहम मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में मरीजों की देखभाल और उनके अधिकारों का संतुलन बनाए रखा जा सके।
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Yashpal Sharma (Editor)