चंडीगढ़। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को चंडीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (पीईसी) में 3 नए कानूनों को लागू करने की समीक्षा की। इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह भी उनके साथ रहे। यहां उन्होंने चंडीगढ़ में लागू किए गए कानूनों भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का डेमो भी देखा। पहले गृह मंत्री अमित शाह ने संबोधन में कहा कि नए कानूनों के बाद हमें अंग्रेजों के जमाने के गुलाम क्रिमिनल सिस्टम से छुटकारा मिल गया है। अब तारीख पर तारीख का खेल खत्म हो गया है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अब तारीख पर तारीख के दिन लद गए यानी खत्म हो गए हैं। नए कानूनों से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई मजबूत होगी। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में आने वाली कानूनी अड़चन दूर होगी।
लोगों ने सोचा, अंग्रेज चले गए तो उनके कानूनों से मुक्ति मिलेगी
पीएम मोदी ने कहा कि अंग्रेजों के खिलाफ देश में 1857 में विद्रोह शुरू हुआ था। उसके बाद 1860 में अंग्रेजों ने आईपीसी बनाई। इन कानूनों का मकसद भारतीय को दंड देना, उन्हें गुलाम बनाना था। कई लोगों के बलिदान के बाद 1947 में देश को आजादी मिली। जब आजादी की सुबह आई तो कैसे-कैसे सपने थे, लोगों में कितना उत्साह था। लोगों ने सोचा था कि अंग्रेज चले गए हैं तो अंग्रेजों के कानूनों से भी मुक्ति मिलेगी। यह कानून अंग्रेजों के शोषण करने का जरिया थे, जिनसे वह भारत में अपनी सत्ता मजबूत करना चाहते थे।
आजादी के बाद भी गुलामों के लिए कानून ढ़ोते रहे
मोदी ने आगे कहा कि देश की आजादी के दशकों के बाद भी हम उसी दंड संहिता के इर्द-गिर्द घूमते रहे। हालांकि इन कानूनों में थोड़ा-बहुत बदलाव जरूर हुआ, लेकिन इनका चरित्र वही बना रहा। आजाद देश में गुलामों के लिए बने कानूनों को क्यों ढोया जाए, न हमने यह बात उनसे पूछी, न ही शासन कर रहे लोगों ने समझी। इन्होंने भारत की विकास यात्रा को प्रभावित किया। देश अब उस गुलामी से बाहर निकले। इसके लिए राष्ट्रीय चिंतन आवश्यक था।
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Yashpal Sharma (Editor)