पंजाब। पंजाब की क्षेत्रीय पार्टी शिअद से अलग होकर शिरोमणि अकाली दल सुधार लहर चला रहे नेताओं ने बड़ा फैसला लिया है। उक्त लहर संयोजक जत्थेदार गुरप्रताप सिंह वडाला ने कहा है कि प्रेसीडियम और कार्यकारिणी की पिछली बैठक में पड़ोसी राज्यों में चुनावों पर विस्तार से चर्चा की गई थी। इन राज्यों में किसी भी पार्टी को समर्थन नहीं देने का फैसला किया गया। इन चुनावों में सिख समुदाय को खुद तय करना चाहिए कि किस उम्मीदवार या पार्टी का समर्थन करना है। प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा और गगनजीत सिंह बरनाला के जम्मू जाने के बारे में मीडिया में आई खबरों पर ध्यान देते हुए कहा कि हम सुधार आंदोलन के लिए अपना समर्थन स्पष्ट करते हैं। यह प्रोफेसर चंदूमाजरा और बरनाला का निजी दौरा था। अकाली दल सुधार लहर का यह स्पष्ट निर्णय है कि जब तक सिख पंथ और पंजाब के मुद्दे हल नहीं हो जाते, हम किसी भी पार्टी का समर्थन नहीं करेंगे।
अकाली दल में क्यों आई दरार
पंजाब की क्षेत्रीय पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने जालंधर उप चुनाव में अपनी उम्मीदवार सुरजीत कौर को समर्थन न देने का आधिकारिक ऐलान कर दिया था। ऐसा इसलिए क्योंकि अकाली दल के दूसरा पक्ष सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व पर सवाल उठा रहा था। दूसरे पक्ष में अकाली दल के वरिष्ठ नेता प्रेम सिंह चंदूमाजरा, बीबी जागीर कौर, पूर्व विधायक गुरप्रताप सिंह वडाला और कई अन्य वरिष्ठ नेता शामिल थे। जिन्हें अकाली दल से बाहर निकाल दिया गया था। चंडीगढ़ में अकाली दल की बड़ी बैठक के दौरान ये नेता अनुपस्थित थे और जालंधर में अलग से बैठक कर रहे थे। जिसमें उन्होंने कहा था कि पार्टी को बदलाव की जरूरत है। चंदूमाजरा ने बदलाव शब्द का इस्तेमाल कर सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व पर सवाल उठाए थे।
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Yashpal Sharma (Editor)