विजिलेंस की आर्थिक शाखा की ओर से लुधियाना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के पूर्व चेयरमैन रमण बाला सुब्रामनियम पर भ्रष्टाचार व अन्य धाराओं के तहत दर्ज एफआईआर मामले में माननीय हाईकोर्ट की ओर से 20 सितंबर को जारी किए आर्डर मामले की इंवेस्टीगेशन की मांग चीफ जस्टिस आफ इंडिया और चीफ जस्टिस माननीय पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से कर दी गई है। ये मांग प्रकाश चोपड़ा एडवाेकेट डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की ओर से की गई है। लुधियाना विजिलेंस की आर्थिक शाखा ने पूर्व चेयरमैन रमण बाला सुब्रामनियम सहित कईं अन्य पर विभिन्न आरोपों के तहत पीसी एक्ट 1988 के तहत 7, 7 A, 8,12 13 (2) और आईपीसी की सेक्शन 409, 420,467 468, 471 और 120 B के तहत एफआईआर नंबर 9 दिनांक 28 जुलाई 2022 दर्ज की थी। जिसके खिलाफ रमण बाला सुब्रामनियम की ओर से माननीय हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट में इस अग्रिम जमानत की सुनवाई जज अविनाश जिंगन की ओर से की जा रही थी। 20 सितंबर 2022 को इस मामले में जज की ओर एफआईआर नंबर 9 में पीसी एक्ट व इसकी धाराओं का हवाला देते हुए विजिलेंस डीएसपी कर्मजीत सिंह चहल की ओर से सुप्रीमकोर्ट की गाईडलाइन की पालना करते हुए याचिकाकर्ता को सीआरपीसी की धारा 41 ए के तहत एक पूर्व नोटिस दिया जाने और यदि उसको हिरासत में लेने की जरुरत हैं तो उसे सात दिन पहले एक स्पष्ट नोटिस दिया जाएगा, का आदेश कोर्ट की ओर से जारी कर दिया गया। लेकिन अब इन आर्डर को लेकर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के वकील प्रकाश चोपड़ा ने चीफ जस्टिस आफ इंडिया व माननीय पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को शिकायत भेज इन आर्डरों को लेकर इंवेस्टीगेशन की मांग की है। प्रकाश चोपड़ा का कहना है कि इन आर्डर में जिस 41 ए धारा का जिक्र किया गया है, उसमें सात साल या इससे कम सजा के केस में याचिकाकर्ता को कस्टड़ी में लेने से पहले सात दिन का नोटिस देने की जरुरत होती है। लेकिन विजिलेंस की ओर से इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के एक्स चेयरमैन रमण बाला सुब्रामनियम को पीसी एक्ट 1988 की विभिन्न धाराओं के अलावा आईपीसी आईपीसी की सेक्शन 409, 420,467 468, 471 और 120 B भी लगाई गई है और इसमें धारा 409 व 467 में आजीवन कारावास व कम से कम दस साल की सजा का प्रावधान है। ऐसे में कोर्ट के आदेशों में इन सख्त धाराओं का आर्डर में भी कोई जिक्र नहीं है और इस पर 41 ए भी लागू नहीं होती। अपनी शिकायत में एडवोकेट प्रकाश चोपड़ा ने कहा है कि अगर हाईकोर्ट इस एफआईआर के सभी तथ्यों को ध्यान में रखती तो हाईकोर्ट ऐसे आदेश जारी नहीं करती। प्रकाश चोपड़ा ने ये भी कहा है कि इन आदेशों में कहीं न कहीं दबाव व दुर्भावनापूर्ण lसमूलियत दिखाई देती है। गौर हो कि इस मामले में विजिलेंस की ओर से इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की ईओ कुलजीत कौर, पीए संदीप शर्मा, क्लर्क हरमीत सिंह, क्लर्क प्रवीण कुमार, एक्सईन जगदेव सिंह, जेई इंद्रजीत सिंह, नगर निगम जेई (कांट्रेक्ट) मंदीप सिंह व एक प्रॉपर्टी मालिक कमलदीप सिंह को गिरफतारी भी की जा चुकी है। सूत्र बताते हैं कि अंदरखाते विजिलेंस की ओर से भी हाईकोर्ट के इन आदेशों पर रिव्यू किया जा रहा है और इस आदेश के खिलाफ डबल बैंच का दरवाजा भी विजिलेंस खटखटा सकती है। इस शिकायत की कापी लॉ मिनिस्टर आफ इंडिया, पंजाब के मुख्यमंत्री व चीफ डायरेक्टर विजिलेंस ब्यूरो पंजाब को भी भेजी गई है।
Demand For Investigation Arose Against The Orders On The Advance Bail Of Raman Bala Subramaniam