पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद अगर किसी डिपार्टमेंट में धड़ल्ले से एक्टीविटी दिख रही है, तो वो है विजिलेंस ब्यूरो पंजाब। शिकायतों के आधार पर विजिलेंस की ओर से मौजूदा व पूर्व नेताओं व प्रशासनिक अफसरों पर धड़ाधड़ एफआईआर दर्ज का सिलसिला तो जारी है, लेकिन इन एफआईआर के बाद कईं सवाल ऐसे हैं, जो आम जनता के जहन में अब घूमने शुरु हो गए है। इन सवालों पर ई न्यूज पंजाब की ओर से नजर दौड़ाई तो वाक्या ही इन केसों में हेरफेर जरुर दिखाई दिया। भले ही ये विजिलेंस की सीक्रेट इंवेस्टीगेशन का हिस्सा हो, लेकिन अब तक जिस विजिलेंस की ओर से जो दांवपेंच अपनाए जा रहे हैं, वो हर आरोपी के लिए एक से नहीं दिखाई दे रहे। विजिलेंस की ओर से बीती 22 अगस्त को पूर्व कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु को गिरफ्तार था। इसी मामले में आशू की गिरफतारी से करीब चार दिन पहले विजिलेंस ने आशू के पीए कहे जाने वाले मीनू मल्होत्रा को भी नामजद किया था, लेकिन वे अभी तक विजिलेंस के हत्थे नहीं चढ़ पाया। विजिलेंस ने मीनू मल्होत्रा की करीब आधा दर्जन प्रॉपर्टियों की अपनी टेक्नीकल ब्रांच से पैमाईश करवाई व इस पर कितने का खर्च व इसकी वेल्यू तक का पूरा खाका तैयार करवा लिया। लेकिन अब सवाल ये है कि इस एफआईआर से करीब 25 दिन पहले लुधियाना विजिलेंस के इक्नोमिक विंग ने इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के पूर्व चेयरमैन रमण बाला सुब्रामनियम पर भी एफआईआर दर्ज की और वे भी अब तक विजिलेंस के हत्थे नहीं चढ़ा। लेकिन अभी तक विजिलेंस ने रमण बाला सुब्रामनियम की प्रॉपर्टी का कोई खाका जो उसने पिछले दो तीन सालों में खरीदी है, तैयार नहीं करवाया। जबकि उनकी भी लुधियाना में कोठी है, जो उन्होंने चेयरमैन का पद संभालने के बाद बनाई थी। इसके अलावा उनकी ओर से मोहाली में मारबैलो ग्रैंड में आलीशान फलैट खरीदा है, जिसकी कीमत 3 करोड़ रुपए के आसपास बताई जाती है। इसके अलावा उन्होंने ट्रस्ट में भी ड्रा के जरिए एक फलैट खरीदा और इसके अलावा कईं अन्य प्रॉपर्टियों का खाका भी विजिलेंस के पास पहुंचा हुआ है, लेकिन इसके बावजूद इस ओर सख्त कार्रवाई को विजिलेंस अभी तक नहीं बढ़ पाई है। इसके अलावा कईं अन्य पेहलू भी हैं, जिस पर पब्लिक ने विजिलेंस की कारगुजारी ने सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं। इसमें कोई शक नहीं कि इस डिपार्टमेंट की ओर से साल 2022 में इतनी अधिक एफआईआर और पॉवरफुल नेताओं को अपने शिकंजे में लिया है, जितना पिछले करीब 15 सालों में विजिलेंस एफआईआर हिस्ट्री में नहीं देखा गया, लेकिन कहीं न कहीं इतनी एफआईआर के बाद विजिलेंस में तैनात स्टाफ की कमी से इंकार नहीं किया जा सकता। ये भी एक बडा कारण है कि विजिलेंस का फालोअप बेहद धीमा दिखाई दे रहा है और इसका फायदा आरोपी कहीं न कहीं कोर्ट के जरिए ले जा सकते हैं। किन किन सवालों के घेरे में विजिलेंस जांच - इंप्रूवमेंट ट्रस्ट मामले में अभी तक पूर्व चेयरमैन रमण बाला सुब्रामनियम, ट्रस्ट एसडीओ अंकित नारंग व क्लर्क गगनदीप व फरार प्रॉपर्टी डीलरों की गिरफतारी क्यों नहीं हो पा रही - इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के पूरे मामले में अभी तक कितनी रिकवरी सरकारी खाते में डाली गई है -इंप्रूवमेंट ट्रस्ट में सरकारी प्रॉपर्टी की ई आक्शन में क्यों चुप हो गया विजिलेंस का इक्नोमिक विंग -इंप्रूवमेंट ट्रस्ट से टाइलों का डेवलपमेंट वर्क का रिकार्ड जुटाने के बाद विजिलेंस कहां पर आकर रुका -फूड एंड सप्लाई डिपार्टमेंट में निकाले गए ट्रांसपोर्ट टेंडरिंग घोटाले में टेडरिंग प्रक्रिया में जुटे डिपार्टमेंट के क्लर्क, इंस्पेक्टर व अन्य स्टाफ पर एफआईआर क्यों नहीं। -पूर्व मंत्री के पीए के तौर पर पहचान बनने वाले मीनू मल्होत्रा व इंद्रजीत सिंह इंदी की क्यों नहीं हो पा रही गिरफतारी -कनाड़ा की पीआर लेने वाले व देश से फरार हुए आरोपी अफसर राकेश सिंगला की भारत लाने को क्याें नहीं हो रही कार्रवाई -फूड एंड सप्लाई डिपार्टमेंट में आरोपी अफसर राकेश सिंगला को दोबारा से अहम चार्ज पर नियुक्ति देने वाली फाइलें अब तक क्यों नहीं पकड़ पाई विजिलेंस, इसमें एफआईआर क्यों नहीं -पूर्व मंत्री आशू के नजदीकियों संबंधी मांगे गए रिकार्ड को लेने के बाद क्या कर रही विजिलेंस - पूर्व कांग्रेसी नेता कैप्टन संदीप संधू के ओएसडी कहे जाने वाले मनप्रीत इस्सेवाल से मिली 100 से अधिक रजिस्ट्री की जांच कहां तक पहुंची ---------- वहीं इन सभी सवालों पर विजिलेंस लुधियाना रेंज के एसएसपी आरपीएस संधू से बात तो नहीं हो पाई, लेकिन कुछ एक दो सवालों पर उनसे हुई बातचीत पर उनका कहना था कि आरोपियों को पकड़ने की कोशिश में विजिलेंस जुटी हुई है और जहां तक कार्रवाई का सवाल है, उस पर विजिलेंस काम कर रही है और ये इंवेस्टीगेशन का पार्ट है, इसलिए इस पर अधिक कुछ नहीं बता सकते।
Vigilance Bureau In Question Why The Accused Are Away From The Clutches