फूड एंड सप्लाई डिपार्टमेंट में ट्रांसपोर्ट टेंडर घाेटाले में दर्ज हुई एफआईआर व इसके बाद पूर्व मंत्री भारत भूषण आशू का 8 दिन पुलिस रिमांड और अब इस जांच का धूरा संगोवाल अंम्बेरा ग्रीन प्रोजेक्ट पर आकर रुक गया है या ये कहें अब ये जांच अम्बेरा ग्रीन के आसपास मंडरा रही है। बताया जाता है कि एक कांग्रेसी नेता को भी इस पूरे मामले को लेकर सम्मन किया गया था, जो कभी कांग्रेस के दिग्गज नेता कैप्टन संदीप संधू के खासमखास में था। सूत्र बताते हैं कि इस कांग्रेसी नेता की ओर से कईं राज विजिलेंस के समक्ष खोले हैं और बताया जाता है कि ये राज मनप्रीत सिंह इस्सेवाल की मुश्किलों को तो बढ़ाएगा ही, वहीं इसके साथ पर्दें के पीछे खेल खेलने वाले नेता भी इस मक्कड़ जाल में आ सकते हैं। बात करें अम्बेरा ग्रुप कि तो करीब एक साल पहले इसी ग्रुप ने ग्रैंड मैनर प्रोजेक्ट को टेकओवर कर इसे अपना नाम दे दिया। ये वही ग्रैंड मैनर प्रोजेक्ट था, जिस पर पूर्व मंत्री आशू व तत्कालीन डीएसपी बलविंदर सिंह सेखों के बीच मोबाइल पर कहासुनी हुई थी व इसके बाद इसी कहासुनी का आडियाे वॉयरल हुआ, जो लोगों में बड़ी चर्चा का मुददा बन गया। हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में बलविंदर सिंह सेखों ने जमकर आशू के इस आडियों अपने चुनाव प्रचार में चला इस्तेमाल भी किया था। तत्कालीन लोकल बॉडी मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने इस पूरे प्रोजेक्ट की इंक्वायरी का जिम्मा तत्कालीन लोकल गर्वमेंट में तैनात डीएसपी बलविंदर सिंह सेखों को इस जांच का जिम्मा दिया था और उनकी ओर से की जा रही रिपोर्ट पर ही आशू का उनके साथ विवाद खड़ा हो गया था। विजिलेंस के हाथ कांग्रेसी नेता मनप्रीत सिंह इस्सेवाल के जरिए जो 500 एकड़ की रजिस्ट्रियों का जखीरा मिला है, उसमें भी काफी रजिस्ट्रियां सिधवां कनाल रोड पर बने अम्बेरा ग्रीन प्रोजेक्ट से संबंधित हैं। ऐसे में अब सवाल ये खड़ा होने ला है कि आखिर इस पूरे प्रोजेक्ट में हुई इंवेस्टमेंट का करोड़ों रुपए कहां कहां से आया। हालांकि इस पूरे मामले में विजिलेंस अब कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है और अंदरखाते उलझी हुई गुत्थी को सुलझाने में लगे हुए हैं। लेकिन इस बीच दूसरी ओर ईडी भी अंदरखाते प्रॉपर्टी में हो रही खरीद फरोख्त व इसमें नेताओं की इंवोल्वमेंट का लिंक खंगालने में जुट गई है। अब विजिलेंस इस मामले में नई एफआईआर दर्ज करती हैं या पुराने एफआईआर से इसको लिंक करती है, ये आने वाले एक दो दिन में साफ हो जाएगा। वहीं इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि इस पूरे मामले के बीच सिधवां कनाल और सिधवां कनाल- लाडोवाल बाइपास पर जल्द से जल्द सौदे निपटाने की पहलकदमी धड़ल्ले से जारी है। कईं प्वाइंटस पर हो ही जांच सूत्र बताते हैं कि इस पूरे मामले में विजिलेंस के हाथ में काफी कुछ लगा है। असल में जहां कईं रजिस्ट्रियां मनप्रीत सिंह ईससेवाल के नाम से सामने आई हैं तो कुछ रजिस्ट्रियों में जमीन मालिक से सीधे एंड यूजर काे रजिस्ट्री करवाई गई हैं। ऐसे में अम्बेरा ग्रुप ने पहले खुद रजिस्ट्री करवाए बिना सीधे सीधे एंड यूजर्स को रजिस्ट्री करवाने में सरकारी लाखों- करोड़ों रुपए की फीस की चपत लगी है। ऐसे में कंपनी के पास दो नंबर में आया ये पैसा कैसे खाते में या बाहर एडजस्ट किया गया, ऐसे कईं सवाल हैं, जिन पर विजिलेंस काम कर रही है। सूत्र बताते हैं कि इस पूरे मामले में हवाला कांड भी बीच में आना तय है और यही कांड पूरे मामले में ईडी को अपनी एंट्री देगा। पंजाब कांग्रेस के बडे़ नेता कैप्टन संदीप संधू के ओएसडी कहे जाने वाले मनप्रीत सिंह इस्सेवाल से मिली रजिस्ट्रियों के रिकार्ड से पूरे प्रॉपर्टी कारोबार में हडकंप की स्थिति पैदा हुई पड़ी है। सूत्र बताते है कि मनप्रीत सिंह इस्सेवाल से करीब 500 एकड़ जमीन की रजिस्ट्रियाें जुड़ी हुई हैं। ये सभी रजिस्ट्रियां गांव इस्सेवाल, चंगनवाल, मोर करीमा, खंजरवाल, रुमी, ढल्ला, मल्ला, चक्क, गाेरसियां कादरबख्श और स्लेमपुरा गांव की जमीन से संबंधित हैं। सूत्रों के हवाले से आ रही है, जिनकी मार्केट प्राइस 1500 से 2000 करोड़ रुपए आंकी जा रही है। विजिलेंस मनप्रीत सिंह इस्सेवाल से संबंधित प्रॉपर्टी का रिकार्ड तो जुटा ही रही है, साथ में इस बात की भी पड़ताल कर रही है कि मनप्रीत सिंह इस्सेवाल जैसे कईं ओर मनप्रीत तो नहीं, जो इतने बडे़ स्तर पर प्रॉपर्टियों की रजिस्ट्री अपने नाम पर करवा पूरा प्रॉपर्टी सिस्टम चला रहे थे।
Vigilance Investigation Moving Around Umbera Green Project