पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की ओर से आज विधान सभा में शपथ लेने के तुरंत बाद पंजाब के लोगों को भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और हफ्ता वसूली से राहत दिलाने को जल्द टोल फ्री नंबर और व्हाट्सएप नंबर जारी करने का ऐलान किया है। इन नंबर पर कोई भी व्यक्ति बेलगाम हो चुके सरकारी सिस्टम के खिलाफ अपनी शिकायत कर पाएगा। जिससे किसी भी सरकारी बाबू और डिपार्टमेंट जहां पर रिश्वतखोरी की जा रही है, पर धरपकड़ का सिलसिला आरंभ हो जाएगा । पंजाब सरकार के इस फैसले पर अगर तन देही से अमल किया गया तो यह जनता के लिए बेहद बेहतर फैसला होगा, लेकिन अगर इन शिकायतों पर कारवाई करने में कोई गणित लगा तो एक बात तय है आने वाले दिनों में पब्लिक को पहले से भी ज्यादा भारी रिश्वत अपने काम करवाने के लिए चुकानी पड़ सकती है। हालांकि सरकारी विभागों के अफसर इतने बड़े स्तर पर रिश्वत के खेल में लिप्त हैं कि बीते दिनों इलेक्शन कमिशन के लगाए गए कोड के बावजूद वह धांधली का खेल खेलते रहे। इसका बड़ा कारण यह है कि इन पर जिन अफसरों की ओर से डंडा चलाया जाना है वही अफसर इससे पहले रिश्वत लेकर कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डालते रहे हैं। --- लुधियाना के इन सरकारी डिपार्टमेंट में चलता है रिश्वत का मोटा खेल बात करें लुधियाना में ऐसे बहुत से सरकारी डिपार्टमेंट है जहां पर काम करने के नाम पर मोटी रिश्वत ली जाती है । जिसमें लुधियाना के रजिस्ट्री कार्यालय, डीटीओ ऑफिस पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, नगर निगम, इंप्रूवमेंट ट्रस्ट, पावरकॉम सहित कई अन्य डिपार्टमेंट है,जहां पर रिश्वत के बिना फाइल एक टेबल से दूसरे टेबल तक नहीं पहुंचती। इतना ही नहीं लुधियाना के रजिस्ट्री कार्यालय में तहसील दफ्तर के अफसरों की ओर से इतने बड़े स्तर पर लूट मचाई हुई है कि एक रजिस्ट्री करवाने के नाम पर 10000 रुपए तक की रिश्वत का चलन है। पिछले 6 महीने से लुधियाना के विभिन्न रजिस्ट्री कार्यालयों में लीगल और इलीगल कॉलोनी के प्लाटों की एनओसी के नाम पर मोटी रिश्वत का खेल खेला गया है। हर एक रजिस्ट्री करवाने को जरूरी एनओसी की शर्त पूरी ना होने पर तहसीलदार की ओर से ₹10000 से लेकर 20000 तक की रिश्वत सरेआम ली गई है। अब जब आम आदमी पार्टी की सरकार बन गई है तो अब एनओसी के बिना रजिस्ट्री पर रजिस्ट्री ऑफिस में ब्रेक लगा दी गई है । ऐसे में एक बात तय है कि इस सख्ती का भी यह अफसर फायदा उठाने में कोई कमी नहीं छोड़ते और डबल ट्रिपल फीस लेकर के अंदर खाते जरूरी रजिस्ट्री को सिरे चढ़ा देते हैं। यही हालात डीटीओ ऑफिस का हैं, जहां पर ड्राइविंग लाइसेंस से लेकर पासिंग और वाहनों की संबंधित कई अन्य कामों पर डीटीओ के साइन तभी होते हैं, जब इसका फिक्स पैसा उनकी जेब तक पहुंचता है। यही हाल पोलूशन कंट्रोल बोर्ड का भी है, जहां पर वाटर और एयर की कंसेंट लेने के लिए 200000 रुपए तक की रिश्वत ली जाती है वही इंडस्ट्री के वाटर सैंपल के लिए भी ₹50000 से लेकर ₹100000 तक की रिश्वत आराम से मांग ली जाती है। बात करें नगर निगम कि तो यहां भी एक TS-1 लेने को 3000 से लेकर 5000 रुपए तक की रिश्वत ली जाती है, वही नक्शा पास करवाना हो या इल्लीगल बिल्डिंग बनवानी हो इसकी फीस का भी चलन लाखों में है। ऐसे में एक बात तय है कि नई सरकार की ओर से रिश्वत रोकने को लिया जाने वाला फैसला आगे आने वाले दिनों में सरकारी अफसरों पर बहुत भारी पड़ने वाला है। इसका बड़ा कारण है कि सरकारी डिपार्टमेंट में अफसर लंबे समय से रिश्वतखोरी के धंधे में फंसे हुए हैं और एकदम से रिश्वत को छोड़ना उनके लिए बेहद मुश्किल दिखाई दे रहा है। ऐसे हालातों में ऐसे अफसर किसी भी पल सरकार के निशाने पर आ सकते हैं और सरकार ऐसे रिश्वतखोरो के ऊपर एक्शन लेने के लिए किसी भी स्तर तक जा सकती है और यहां तक कि उदाहरण तय करने के लिए इन अफसरों की नौकरी तक सरकार खा सकती है।