यशपाल शर्मा, लुधियाना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट में आचार संहिता के बीच चल रही धांधलियाें का पिटारा जल्द खुलने वाला है। इलेक्शन कमीशन की ओर से उक्त पूरे मामले की जांच शुरु कर दी है। ट्रस्ट अफसरों ने चेयरमैन रमण बाला सुब्रामनियम की सहमति से डिस्पेच रजिस्टर में एंट्री तक कर डाली है। लेकिन कहते हैं झूठ का पांव नहीं होते और ये मुहावरा इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की कारगुजारी पर स्टीक बैठता दिखाई दे रहा है। इस बात का दावा ई न्यूज पंजाब इसलिए कर रहा है क्याें कि इंप्रूवमेंट ट्रस्ट का डिस्पेच रजिस्टर डीसी आफिस मंगवाया गया तो इसमें ट्रस्ट की ओर इसमें अपने वर्तमान एंट्री 7 जनवरी तक की दिखाई गई है। जिसमें करोड़ों के डेवलपमेंट वर्क आर्डर के साथ साथ प्लाटों के अलॉटमेंट लैटर तक जारी करने की जानकारी सूत्रों के हवाले से आ रही हैं। लेकिन इस पूरे घोटाले को भी अंजाम देने में स्टाफ एक बड़ी चूक कर गया, वो है डिस्पेच रजिस्टर में की गई एंट्री की हैंड राइटिंग। डिस्पेज रजिस्टर में एंट्री का पूरा जिम्मा विशाल नाम के क्लर्क का है, जो पठानकोट से आता हे। इस डिस्पेज रजिस्टर में जो बैक डेट में एंट्री की गई उन सभी क एंट्री विशाल की हैंड राइटिंग से मैच नहीं करती। ये हैंड राइटिंग उस चहेते क्लर्क की है, जिसे इस घोटाले को अंजाम देने के लिए रविवार यानि कल सुबह आफिस बुलाया गया। सूत्र बताते हैं कि ये एंट्री हरमीत सिंह नाम के क्लर्क ने की है, जिसका इस डिस्पेज रजिस्टर से कोई लेना देना नहीं, लेकिन अगर ये एंट्री 7 जनवरी की है तो उस दिन डूयूटी पर विशाल मौजूद था। ऐसे में एक ही दिन में कैसे डिस्पेज रजिस्टर पर दो लोगों की हैंड राइटिंग आ गई। ऐसी क्या जल्दबाजी थी कि विशाल को बुलाए बिना ये एंट्री दूसरे क्लर्क से करवा दी गई। असल में रविवार को विशाल पठानकोट होता है और उसे जल्दबाजी में वहां से बुलाना संभव नहीं था। ऐसे में अगरा इलेक्शन कमीशन अधिकारी डिस्पेज रजिस्टर की डयूटी संभालने वाले क्लर्क विशाल को बुलाकर पूछताछ करते हैं तो भी ये घोटाला बाहर आ जाएगा। ------- सीसीटीवी फुटेज खोल देगी पूरे घोटाले की पोल चेयरमैन रमण बाला सुब्रामनियम ने अपने स्टाफ व हर आने जाने वाले व्यक्ति पर नजर रखने को आफिस में कईं जगह पर सीसीटीवी फुटेज का बंदोबस्त करवा रखा है। अब उनकी ये बेहतर व्यवस्था ही इस पूरे घोटाले से पर्दा उठा सकती है और सच का सच व झूठ का झूठ भी बाहर ला सकती है। अगर डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन अफसर या उक्त विधानसभा का आरओ या एआरओ पिछले एक सप्ताह की सीसीटीवी फुटेज मंगवाता है तो पूरी सच्चाई बाहर आ जाएगी। ------- वर्क आडर्स का इंटरनल डाक्यूमेंट रिकार्ड भी उठा सकता है घोटाले से पर्दा ट्रस्ट स्टाफ की ओर से डीसी आफिस में डिस्पेज रजिस्टर दिखाकर अपनी सफाई तो दे दी गई है, लेकिन इन वर्क आर्डर्स का अगर इंटरनल डाक्यूूमेंट रिकार्ड मंगवाया जाए तो भी बिल्ली थैले बाहर आ जाएगी। असल में जो वर्क आडर्स डिस्पेज रजिस्टर पर चढाए गए हैं, उन पर इंजीनियरिंग विंग के सभी अधिकारियों के साइन तक नहीं हैं, आनन फानन में कोड के ड़र से इनकी एंट्री कर दी गई। उच्च अधिकारी के बिना साइन के इन को डिस्पेज पर चढाया ही नहीं जा सकता।