ई न्यूज़ पंजाब, लुधियाना माननीय हाईकोर्ट के आदेशों पर पुलिस की ओर से एसटीएफ इंचार्ज हरबंस सिंह पर एफआईआर तो दर्ज कर दी, लेकिन इस पूरे एपिसोड में पंजाब पुलिस की नाक न कटे, इसलिए पुलिस ने कानूनी दाव खेलते हुए वरुण गुप्ता पर भी क्रॉस एफआइआर दर्ज कर दी है। एसटीएफ इंचार्ज हरबंस सिंह की ओर से एडवोकेट वरुण गुप्ता के साथ मारपीट मामले में जिला बार संघ के वकीलों पिछले करीब 1 सप्ताह से फिरोजपुर रोड पर धरना लगाए हुए हैं । अब एडवोकेट वरूण गुप्ता पर भी क्रास पर्चा दर्ज किये जाने से वकील समुदाय में रोष फैल गया है तथा उनके द्वारा एडवोकेट पर दर्ज मामले को रद करने की मांग की है। आज वकीलों ने अपने आंदोलन के तहत हरबंस सिंह पर मामला दर्ज होने के बाद कचहरी चौक फिरोजपुर रोड से धरना तो हटा लिया लेकिन कोर्ट कांप्लेक्स के एंट्री गेट बंद करके बाहर धरना देते हुए हडताल को जारी रखने का ऐलान किया है। क्रास पर्चा दर्ज होने की खबर सुनते ही वकील कचहरी परिसर में एकत्रित हो गये तथा उनके द्वारा रौष रैली निकाली गई। पुलिस जिला खन्ना के थाना सदर में एफआईआर नंबर 31 तिथि 5 मार्च, 2020 को आईपीसी धाराओं 323, 341, 506, 34, 353, 186 व 27 के तहत मामला दर्ज किया है। वरुण गुप्ता पक्ष की शिकायत मुताबिक 24 फरवरी को अपने बड़े भाई को एयरपोर्ट चढ़ाने गये थे। जिसमें मेरे साथ मेरे पिता जी, ड्राइवर व भतीजा वापस लौट रहे थे तो 25 फरवरी को सुबह 5-6 बजे जब वह दोराहा से पहले गुरूद्वारा मंजी साहिब के निकट एक चाय की दुकान पर चाय पीने के लिए रूके थे तो जब वो जाने लगे तो चाय वाले ने बताया कि अभी चार लोग आई-टवेंटी छीन कर भागे है। आप अपना ध्यान रखना। जिस पर वह चल पड़े और पैट्रोल डलवाने के लिए रूके थे तो वहां पहले ही एक आई टवेंटी कार जिसमेें चार लोग बैठे थे, रूकी हुई थी। जिसमें बैठे लोग उन्हें घूरने लग गए। जिस पर उन्होंने चुपचाप तेल डलवाने के बाद हाइवे पर गाड़ी लेकर चल दिये। कुछ ही देर बाद उनकी गाड़ी के आगे गाड़ी लगाकर रोक लिया। यह देखकर उन्होंने अपनी गाड़ी बैक कर ली और ढ़ाबे पर आ गये। तथा उसकी समय 112 नंबर पर काल करके पुलिस को सूचना दी। जिसके कुछ देर बाद हरबंस सिंह सहित अन्य मुलाजिम एक गाड़ी में वहां पहुंच गये। लेकिन आते ही उन्होंने मेरा फोन छीनकर मुझसे मारपीट शुरू कर दी । जब ड्राइवर व मेरे बीमार पिता ने छुडाने की कोशिश की तो उनके साथ दुव्र्यवार किया। जिस पर उन्होंने मुझ पर पिस्टल तान कर 112 पर की कंप्लेंट वापस लेने को कहा। साथ ही नशे का केस डालने की धमकी दी। जिसके बाद मैंने सिविल अस्पताल में अपना डाक्टरी मुआयना करवाया। इसी प्रकार पुलिस पक्ष की शिकायत में सिपाही नवकमलजोत सिंह ने कहा है कि वह एसटीएफ यूनिट लुधियाना में तैनात है। 25 फरवरी को वह एसटीएफ हरबंस सिंह के साथ नशीली दवाओं संबंधी मुखबरी होने के चलते चैकिंग कर रहे थे तो एक कैंटर की शक पडऩे पर चेकिंग की तो ड्राइवर ने इसमें दवाओं के होने की बात कही। जिस पर इंचार्ज हरबंस सिंह टीम के साथ वहां एक शकी इनोवा की चेकिंग के लिए सेठी ढाबे के पास गए तो इनोवा ढाबे के बाहर खड़ी थी तथा दो शकी व्यक्ति रसोई के गेट पर कान पर फोन लगाये खड़े थे। शक पडऩे पर पुलिस टीम वहां जाने लगी तो शकी व्यक्ति थोड़ा ढाबे के अंदर हो गये। जिस पर इंचार्ज एसटीएफ ने फोन कर रहे व्यक्ति को दवाओं वाले कैंटर रोकने की जानकारी देते हुए कहा कि उन्होंने उसके फोन की क्रास चेकिंग करनी है तो शकी व्यक्ति ने अपने फोन की जांच करवाने से मना कर दिया। जिस पर उसने पुलिस पार्टी के साथ गलत व्यवहार व अभद्र शब्दावली इस्तेमाल करनी शुरू कर दी। व धक्के भी मारते हुए सरकारी ड्यूटी में बाधा पहुंचाई। जिस पर पुलिस को शक और बढ़ गया। इस पर पुलिस ने बड़ी मुश्किल से उन्हें काबू करके उनकी चैकिंग की क्योंकि आम तौ पर तस्कर अवैध हथियार भी रखते है। ऐसी घटनाएं पुलिस महकमे में कई बार घटित हो चुकी है। इसलिए इनकी अच्छी तरह से चैङ्क्षकग की। जिस के बाद इनके कब्जे से कुछ गलत नहीं मिला। शकी व्यक्ति ने भी अपनी गलती का अहसास करते हुए इंचार्ज से इस बात का अहसास किया तथा इंचार्ज से माफी मांगी। जिसके बाद इन्होंने अपनी व साथ अन्य की पूरी पहचान व जानकारी दी। जिस दौरान मौके पर पुलिस की गाड़ी भी आ गई तथा एएसआई ने इंचार्ज एसटीएफ को 112 पर आई काल बारे बताया तथा एडवोकेट ने खुद अपने फोन से यह कंप्लैंट करने की जानकारी दी। जिस पर इंचार्ज एसटीएफ ने एडवोकेट वरूण गुप्ता का फोन वापस दे दिया। जिसके बाद एडवोकेट बड़े प्यार से इंचार्ज से मिलकर अपनी इनोवा में अपने अन्य लोगों के साथ लुधियाना की तरफ रवाना हो गये। जिसके बाद एसटीएफ ने कैंटर की भी जांच की । लेकिन उसमें नशीली दवाएं बरामद नहीं हुई। जिस पर कैंटर को भेज दिया। एसटीएफ थाना मोती नगर आकर इंचार्ज ने इसकी जानकारी रोजनामचा में दर्ज कर दी थी क्योंकि एडवोकेट ने अपनी का अहसास कर लिया था तथा उसे बिना कानूनी कार्रवाई फारिग कर दिया था। इंजार्ज ने मसला सुलझाने के चक्कर मेें कानूनी कार्रवाई नहीं करवाई लेकिन इस घटना से मेरे मन को बहुत ठेस पहुंची इसलिए एडवोकेट वरूण गुप्ता पर कार्रवाई की जाए।
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