एजेंसी, नई दिल्ली अगर आप ये सोच कर 2000 का नाेट घर में रखने से डर रहें हैं कि मोदी सरकार कभी भी 2 हजार रुपए का नोट बंद कर सकती है, तो आप डरे नहीं। ये केवल अफवाहें हैं,जो मार्केट में तेज गति से फेल रही हैं। दो हजार का नोट बंद करने की रिपोर्टों पर वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को कहा कि इस बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं। करंसी को लेकर समाजवादी पार्टी के सांसद विशंभर प्रसाद निशाद ने राज्य सभा में सवाल किया था। निशाद का कहना था कि 2000 का नोट आने से कालेधन में बढ़ोतरी हुई। लोगों के मन में यह आशंका है कि सरकार 2000 के नोट के बदले फिर से 1000 का नोट लाने वाली है। सरकार 2016 में नोटबंदी के वक्त 1000 का नोट हटाकर 2000 का नोट लाई थी। 500 के नोट को बदला गया था। ठाकुर ने कहा कि नोटबंदी का मकसद कालेधन को निकालना, नकली मुद्रा बाहर करना, आतंकी गतिविधियों की फाइनेंसिंग रोकना, टैक्स बेस एवं रोजगार बढ़ाना और डिजिटाइजेशन को प्रमोट करना था।दूसरी ओर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि नोटबंदी के बाद नकली मुद्रा में भी कमी आई। आरबीआई के मुताबिक 2016-17 में बैंकिंग सिस्टम में 7 लाख 62 हजार 72 नकली नोट पकड़े गए। 2017-18 में इनकी संख्या घटकर 5 लाख 22 हजार 783 और 2018-19 में 3 लाख 17 हजार 389 रह गई। सीतारमण ने कहा कि नोटबंदी और उसके बाद डिजिटाइजेशन से सर्कुलेशन में करंसी कम रखने में मदद मिली। चार नवंबर 2016 को 17 लाख 74 हजार 187 करोड़ की वैल्यू के नोट सर्कुलेशन में थे। इस महीने की 2 तारीख तक 22 लाख 35 हजार 648 करोड़ रुपए की करंसी चलन में थी। अक्टूबर 2014 से अक्टूबर 2016 तक नोट्स इन सर्कुलेशन (एनआईसी) की औसत ग्रोथ 14.51% रही। इस दर से 2 दिसंबर तक एनआईसी बढ़कर 25 लाख 40 हजार 253 करोड़ रुपए हो जाती, लेकिन इससे 3 लाख 4 हजार 605 करोड़ रुपए कम रही। वित्त मंत्री ने बताया कि पिछले कुछ समय में डिजीटल लेन देन मं लगातार बढ़ोतरी हुई है। 2018-19 में ये आंकड़ा 51 फीसदी ग्रोथ के साथ 3.134 करोड़ पहुंच गया है।