चंडीगढ़। हाईकोर्ट ने पंजाब और केंद्र सरकार को पी.पी.एस. (पंजाब पुलिस सेवा) अधिकारियों को एस.एस.पी. (वरिष्ठ पुलिस सुपरिंटेंडेंट) बनाने और दागी पुलिस अधिकारियों की संख्या और उनके खिलाफ की गई कार्रवाई पर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। पंजाब पुलिस के सिपाही सुरजीत सिंह ने याचिका दाखिल करते हुए कहा कि उसके खिलाफ आपराधिक मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद मोगा के एसएसपी ने बर्खास्त करने का आदेश दिया था। 23 नवंबर, 2018 में आई.जी. फिरोजपुर रेंज ने उसे बहाल करने को कहा है। इसके बावजूद उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। उन्होंने बर्खास्तगी के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट से कहा कि पुलिस में ऐसे कई अधिकारी हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं फिर भी वे सेवा में हैं। इसी के चलते हाईकोर्ट ने याचिका का दायरा बढ़ाते हुए ऐसे अधिकारियों की जानकारी तलब की थी। इस पर पंजाब के उप गृह सचिव विजय कुमार ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर करके कहा कि पंजाब पुलिस में 822 पुलिसकर्मी दागी हैं। इनमें से 18 इंस्पेक्टर, 24 एस.आई., 170 ए.एस.आई. और बाकी हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल हैं। इस पर याचिकाकर्ता ने कहा था कि ये केवल निचले स्तर के अधिकारी हैं। पी.पी.एस. और आई.पी.एस. अधिकारियों के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई है। हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से इस बारे में जानकारी मांगी थी। जब याचिका विचाराधीन थी, तब पंजाब सरकार ने इस आदेश को बैंच के समक्ष चुनौती दी थी। बेंच ने कहा कि सरकार ने इस मामले में ज्यादातर आदेशों का पालन करते हुए रिपोर्ट सौंपी है। सिंगल बेंच द्वारा उठाए गए मुद्दों की सुनवाई जरूरी है।