April 25, 2024 23:13:28

Enewspunjab Exclusive- लाड़ोवाल बाइपास के नजदीक नया अर्बन इस्टेट बनने की चर्चा ने महंगे दामों पर प्लॉट बेच रहे कालोनाइजरों की भी बढ़ाई चिताएं, ठंडी पड़ने लगी खरीददारी,जानें क्यों

अधिकारिक मिलीभगत -लाईसेंस की बजाय बाद में की जाती हैं कंपाउंड की जाती हैं इल्लीगल कालोनियां

Nov21,2022 | Yashpal Sharma | Ludhiana

गलाड़ा की ओर से लाडोवाल बाइपास के नजदीक 2 हजार एकड़ में नया अर्बन इस्टेट लाने की प्लानिंग मात्र ने महंगे दामों पर प्लॉट बेच रहे कालोनाइजरों की मुश्किलों में इजाफा कर दिया है। इल्लीगल व इल्लीगल रेगुलराइज कालोनियों का धंधा बंद करने को ही आम आदमी पार्टी सरकार की ओर से 2 हजार एकड़ में इस तरह का नया अर्बन इस्टेट लाने की प्लानिंग की जा रही है, लेकिन इसका असर धीरे धीरे महंगे दामों पर प्लॉट बेच रही कालोनी मालिकों इंवेस्टर्स और आम खरीददारों पर भी आता दिखाई देने लगा है। हंबड़ां रोड व सिधवां कनाल में कईं ऐसी कालोनियां हैं, जिनमें 40 हजार रुपए से लेकर 80 हजार रुपए गज तक आम पब्लिक को प्लॉट कालोनाइजर की ओर से बेचे जा रहे हैं और इन प्लाटों की बढ़ती खरीद को भांपते स्थानीय कालोनाइजर भी अपनी कालोनी में विस्तार कर बिना मंजूरी के नया ब्लॉक खड़ कर अपने धंधे में चांदी काट रहे हैं। लेकिन अब लाड़ोवाल बाइपास के नजदीक गलाड़ा की ओर से नया अर्बन इस्टेट लाया जाता है और उसका रेट 20 हजार रुपए गज के नीचे नीचे लाया जाता है तो यहां 50 हजार गज तक प्लॉट बेच रहे कालोनाइजरों की बिक्री में गिरावट आना स्वाभाविक ही है। बड़ी बात है कि आम पब्लिक भी इन कालोनियों में बड़ी इंवेस्टमेंट करने की बजाए गलाड़ा की ओर से लाए जाने वाले प्रोजेक्ट का इंतजार करने को अधिक तैयार हैं। यही कारण है गलाड़ा की ओर से नया अर्बन इस्टेट लाने की प्लानिंग मात्र से हंबड़ा रोड़ लाड़ाेवाल बाइपास पर व सिधवां कनाल के आसपास बनी कालोनियों में प्लॉटों की खरीददारी धीमी पड़ने की बातें भी मार्केट से सामने आ रही हैं। गलाड़ा अफसरों की मिलीभगत से कट रही इल्लीगल कालोनियां सिधवां कनाल या कहें साउथ सिटी के आसपास और हंबड़ां रोड लाडोवाल फलाईओवर के आसपास इस समय एक दर्जन के करीब कालोनियों में खरीददारी का बड़ा काराेबार चल रहा है और इसमें इंवेस्टर्स का करोड़ों रुपए इंवेस्ट हो रहा है, लेकिन इनमें कोई भी कालोनी ऐसी नहीं , जिसकी कालोनाइजर ने काटने से पहले गलाड़ा से लाईसेस लिया हो। इनमें अधिकतर कालोनियां इल्लीगल हैं। इन कालोनियाें को गलाड़ा अफसरों की नाक तले मोटी रिश्वत देकर काटा गया और बाद में कालोनी डेवलेप होने व बिकने के बाद इन्हीं अफसरों की मिलीभगत से इन अवैध कालोनियों को कंपाउंड करके इनके प्रमोटरों व मालिकों को प्रोविजिनल रेगुलराइजेएशन सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया। इसके बाद भी अधिकतर कालोनाइजर्स ने अभी तक न सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की व्यवस्था की और न ही अपने खाली प्लाटों की गलाड़ा के ईओ से मंजूर करवाए हैं। इसके अलावा सबसे अहम बात ये भी है कि अधिकतर कालाेनाइजरों की ओर से अपनी कालोनी को रियल इस्टेट एक्ट 2016 रेरा के तहत रजिस्टर्ड तक नहीं करवाया है।

The Discussion Of Building A New Urban Estate Near Ladowal Bypass Raised The Concerns Of The Colonizers




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