सिद्धू मूसेवाला को गोलियों से भूनने वाले बडे़ बडे़ गैंगस्टार्स को पकड़ने में तो पंजाब पुलिस कामयाब हो गई, लेकिन लुधियाना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट में एलडीपी प्लॉटों की अलॉटमेंट और सरकारी प्रॉपर्टी की ई आक्शन मामले में विजिलेंस की एफआईआर में नामजद पूर्व चेयरमैन व कांग्रेसी नेता रमण बाला सुब्रामनियम अभी तक फरार चल रहे है। इससे एक बात साफ हो गई भले पुलिस सिद्धू मुसेवाला को मारने वाले नामी गैंगस्टर्स तक तो पुलिस पहुंच सकती है, लेकिन जनता के करोड़ाें रुपए डाकार कर पूरे लुधियाना से धोखा करने वाले रमण बाला सुब्रामनियम को पकड़ने में विजिलेंस नाकाम साबित होती दिखाई दे रही है। हालात ऐसे हैं कि विजिलेंस ईओ विंग अधिकारियों ने तो अब इस मामले में जानकारी तक देनी बंद कर दी है और अब पब्लिक में ये सवाल उठने लगा है कि विजिलेंस की आरोपियों से कोई सांठगांठ तो नहीं हो गई। बड़ी बात है कि इस करोड़ों के स्कैम में इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के पूर्व चेयरमैन के साथ साथ एसडीओ अंकित नारंग, क्लर्क गगनदीप सिंह भी फरार चल रहे हैं और इनकी गिरफतारी में भी विजिलेंस पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है। इतना ही नहीं इस पूरे स्कैम में अभी तक विजिलेंस की ओर से कितने लाख या करोड़ की रिकवरी की गई है, इसे लेकर भी एक शिकायत चंडीगढ़ पहुंची हुई है और जल्द इस पर विजिलेंस अफसरों से पूछताछ हो सकती है। एक बात साफ है कि कुलजीत कौर की गिरफतारी के बाद कईं लोगों को विजिलेंस ने आफिस बुला पड़ताल की थी और इसमें विजिलेंस को बड़ी कामयाबी की बात भी सामने आई थी। लेकिन इसके बाद जब रिकवरी की बात हुई तो ये कुछ ही लाख में बताई जा रही है। गौर हो कि विजिलेंस ने ईओ कुलजीत कौर, क्लर्क हरमीत सिंह, क्लर्क प्रवीण शर्मा पर पहली एफआईआर 14 जुलाई को दर्ज की थी और इसके बाद 28 जुलाई को दूसरी एफआईआर दर्ज कर कांग्रेसी नेता रमण बाला सुब्रामनियम सहित कईं ट्रस्ट अफसरों को नामजद किया था। अब इस मामले में 7 सितंबर 2022 को रमण बाला सुब्रामनियम की अग्रिम याचिका पर फैसला आना है। ------- बोगस दस्तावेज तैयार कर जाली रजिस्ट्रियां करवाने वालों पर विजिलेंस मेहरबान बात करें विजिलेंस की ओर से दर्ज एफआईआर में बीआरएस नगर में 100 व 64 गज की दर्जनों रजिस्ट्रियों की जांच में खुलासा हो चुका है कि स्कीम सेल क्लर्क की मिलीभगत से तत्कालीन ईओ कुलजीत कौर ने जाली दस्तावेजों तैयार कर मरे हुए लोगों की हाजरी लगा बडे़ घोटाले को अंजाम दिया गया है। लेकिन इस पूरे स्कैम में केवल ईओ व स्कीम सेल क्लर्क ही शामिल नहीं है। ब्लकि इस पूरे स्कैम में कुछ डीलर्स की भूमिका बेहद संदिग्ध हैं। ये वे डीलर हैं जिनकी रजिस्ट्री तक में हाजरी लगी हुई है। जानकारी बताते है कि ये डीलर विजिलेंस आफिस बुलाए तो जाए चुके हैं, लेकिन उसके बावजूद इन्हें किस कारण से अभी तक गिरफतार नहीं किया गया, ऐसे कईं बडे़ सवाल विजिलेंस ई ओ विंग के अफसरों पर खडे़ हो रहे हैं। सूत्र बताते है कि तमाम सबूतों के बावजूद आखिर विजिलेंस इन डीलरों पर मेहरबान क्यों है। -------- -आरोपियों को गिरफतार न करने में क्या है लीगल राय अगर किसी केस में आरोपी पुलिस या विजिलेंस की गिरफत से बाहर रहते हैं तो केस कमजोर होने की संभावना बढ़ जाती है। इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि मान लो किसी केस में कईं आरोपी हैं, किसी का कसूर ज्यादा व किसी का कसूर कम रहता है। ऐसे में अगर इनमें से कोई एक भी हाईकोर्ट से जमानत ले जाता है तो इसमें अन्य आरोपियों को भी जमानत मिलने की संभावना बढ़ जाती है और वे पुलिस इंवेस्टीगेशन से बच जाते हैं। अगर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के केस में भी अरोपियों को नहीं पकड़ा जा रहा तो इससे केस को कमजोर करने वाली बात से इंकार नहीं किया जा सकता। विजय कुमार, एडवोकेट
The Hands Of The Vigilance Are Empty The Absconding Accused Are Not Able To Tighten The Screws