यशपाल शर्मा, लुधियाना चुनाव आयोग की ओर से आज पंजाब में विधानसभाा चुनाव के मददेनजर आगामी 14 फरवरी को वोटिंग का एलान कर दिया, ये बात इतनी बड़ी नहीं, लेकिन बड़ी बात है कि इसके साथ चुनाव आयोग ने 15 जनवरी तक कोई रैली, रोड शो व नुक्कड़ मीटिंग पर भी रोक लगा दी। इसका सबसे बड़ा खामियाजा भाजपा के उम्मीदवारों को उठाना पड़ सकता है। इसका बड़ा कारण है कि इस बार भाजपा 23 विधानसभा सीटों पर नहीं ब्लकि इससे तीन गुना अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है। इसका मतलब ये है कि 23 सीटों के अलावा 35 सीटें ऐसी हैं, जहां पर से भाजपा किस को अपना उम्मीदवार बना रही है, इसकी कोई तस्वीर साफ नहीं। ऐसे में नया उम्मीदवार जो इससे पहले अभी तक विधानसभा की गली नुक्कड़ का जायजा तक नहीं ले पाया है, वे बिना रैली, रोड शो व नुक्कड़ बैठक के इतने कम समय में कैसे अपना प्रचार कर पाएगा। ऐसे में नई उम्मीदवार के नाम का एलान से पहले ही उनकी लुटिया खतरे में पड़ती दिख रही है।बड़ी बात है कि तीन कृषि बिल को लेकर भाजपा के चल विरोध के चलते भाजपा के दावेदार खुलकर अपना प्रचार करने को बाहर तक नहीं आए और वहीं पार्टी के नियम कायदों के चलते भी कई दावेदार फूंक फूंक कर कदम रख रहे हैं। एसे में उनकी उम्मीदवारी के एलान से पहले ही इलेक्शन कमीशन की ओर से रैली, रोड शो व नुक्कड़ मीटिंगों पर रोक लगने से उनके प्रचार की पूरी की पूरी प्लानिंग धरी की धरी रह गई है। ऐसे में अब केवल उम्मीदवार को हिंदुत्व व मोदी के चेहरे पर ही विधायकी का दांव खेलना पडे़गा। -------- लुुधियाना में भाजपा उम्मीदवारों की बेहद अजीब स्थिति पंजाब में भाजपा की ओर से इस बार 60 के करीब सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकता है। इससे भाजपा के पुराने व दिग्गज नेताओं का वे दावा भी पूरा होता दिख रहा है, जिसमें वे शिरोमणि अकाली दल से अलग होकर चुनाव लड़ने का दावा भाजपा आलाकामान से करता रहा है। इस बार वे पहले से अधिक सीटों पर चुनाव तो लडे़गी ही इसके साथ साथ हिंदू वोट बैंक कितना उनके पक्ष में गिरता है, ये बड़ा सवाल है। बात करें लुधियाना में पिछले विधानसभा चुनाव में लुधियाना में नार्थ, सेंट्रल व वेस्ट विधानसभा से अपना उम्मीदवार उतारती रही है। फिलहाल भाजपा की इन्हीं तीन सीटों पर कौन उम्मीदवार होगा ये तक अभी साफ नहीं है। लुधियाना की नार्थ सीट जहां पर पिछले विधानसभा में प्रवीण बांसल पार्टी की उम्मीदवार थे, उनका अभी तक इस सीट से कोई दावा हीं नहीं है। अगर इस सीट पर दावे की बात करें तो यहां से भाजपा के मौजूदा प्रदेश महासचिव जीवन गुप्ता, भाजपा के सीनियर नेता अनिल सरीन मजबूत दावेदारों में हैं और वे अपना भाग्य यहां से अजमाना चाहते हैं। हालांकि इन दोनों के अलावा भी इस सीट पर पर से महेश शर्मा, रोहित सिक्का भी इस कतार में शामिल हैं। जबकि बात करें लुधियाना सेंट्रल सीट की तो यहां पर से भाजपा ने सतपाल गोसाई के बाद भाजपा के प्रदेश कैशियर की कमान संभाल रहे गुरदेव शर्मा देबी को सेंट्रल सीट की कमान दी गई थी। लेकिन इस बार इस सीट पर नार्थ सीट पर दो बार चुनाव हारे प्रवीण बांसल भी अपना दावा ठोके हुए हैं। बांसल इस सीट को अपनी होम सीट बताते हैं। देबी व बांसल दोनो ही प्रदेश की टीम के अहम पदाधिकारी हैं और पार्टी में दोनों के संपर्क बेहद अच्छे हैं। ऐसे में इस सीट पर चुनाव से पहले टिकट की बाजी कौन मारता है, पहले ये सवाल खड़ा है। ऐसे में अगर बांसल को यहां से टिकट नहीं मिलती या कहें देबी को टिकट नहीं मिलती तो इनमें से दिग्गज नेता को पार्टी कहां फिट करेगी ये भी बड़ा सवाल है। वहीं वेस्ट सीट पर भाजपा से एडवोकेट बिक्रम सिंह सिद्धू का ही दावा किया जा रहा है और उनका दावा काफी मजबूत भी माना जा रहा है। जबकि लुधियाना की ईस्ट सीट पर भाजपा राकेश कपूर, पूर्व जिला प्रधान जतिंदर मित्तल, नवल जैन अपना अपना दावा और प्रचार में जुटे हुए हैं। जबकि अभी ये साफ नहीं है कि ये सीट भाजपा अपने पास रखती है या कैप्टन-ढींढसा कोटे में जाती है। जबकि अभी तक भाजपा की ओर से आत्म नगर, साउथ, गिल, दाखा व साहनेवाल सीट पर से कोई भी मजबूत चेहरा सामने नहीं आ पाया है।
Difficulties Increased For Bjp Candidates Bjp In Strange Situation In Ludhiana Urban Seats