यशपाल शर्मा, लुधियाना। लुधियाना के पक्खोवाल रोड पर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की करीब 7000 गज जमीन ( कीमत 50 करोड़ के आसपास) जिस पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत लुधियाना कोर्ट ने कब्जा मेसर्ज जग्गन सिंह एंड कंपनी को दो दिन पहले दिलाया था, मामले में आज नया यूटर्न आ गया है । यह पूरा मामला सरकार के पास पहुंचने के चलते आज पंजाब के पूर्व एडवोकेट जनरल अनमोल रतन सिद्धू लुधियाना कोर्ट पहुंचे और उनकी ओर से खुद इस मामले की पैरवी करने के बाद लुधियाना कोर्ट की ओर से दोबारा से इस जमीन का कब्जा इंप्रूवमेंट ट्रस्ट को दिला दिया है और साथ ही कोर्ट ने इंप्रूवमेंट ट्रस्ट को 1 महीने के भीतर अपना पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रखने को कहा है। सूत्र बताते हैं कि यह मामला पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के पास पहुंच गया था, जिसके बाद उन्होंने इस मामले में लोकल गवर्नमेंट के आला अधिकारियों से भी मीटिंग की। जिसके बाद आज इस मामले में सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल अनमोल रतन सिद्धू को लुधियाना कोर्ट भेजा गया। गौर हो कि यह मामला शुरू से ही ई न्यूज़ पंजाब वेब चैनल की ओर से पूरे जोर-शोर से उठाया जा रहा था, कि मात्र ₹4.27 लाख के मुआवजे के बदले में किस तरह सरकारी अफसरों की लापरवाही के चलते इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की पक्खोवाल रोड पर पड़ती पॉश 7000 गज जमीन जिसकी कीमत ₹50 करोड़ से भी अधिक है, का कब्जा दूसरी पार्टी (मेसर्ज जग्गन सिंह एंड कंपनी) ले गई। यह था पूरा मामला इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने उजागर सिंह नाम के व्यक्ति की तीन दशक पहले 8 कनाल व साढे़ 11 मरले जमीन एक्वायर की थी। जिसके एवज में ट्रस्ट ने उक्त व्यक्ति को 4.27 लाख रुपए का मुआवजा देना था। जब ये मुआवजा नहीं मिला तो उसने कोर्ट का रुख कर लिया। इस दौरान साल 1992 में 9 फीसदी इंट्रेस्ट के साथ उसकी ये राशि आठ लाख रुपए बन गई। इस दौरान ही पक्खोवाल रोड की 7 हजार गज जमीन का आठ लाख रुपए रेट तय कर इसे कोर्ट के जरिए रिजर्व करने को एक वारंट फाइल किया गया। जसके बाद 1 अप्रैल 1992 में सीनियर डिवीजन लुधियाना की कोर्ट ने इस अटैचमेंट संबंधी वारंट जारी कर दिया और इसके बाद 3 अप्रैल 1992 में ही इस प्रॉपर्टी की अटैचमेंट संबंधी मुनादी भी करवा दी गई। इसके बाद करीब बीस साल के इंतजार के बाद लुधियाना की कोर्ट की ओर से 10 नवंबर 2012 को इंप्रूवमेंट ट्रस्ट पर एक लाख का जुर्माना लगा इसका केस का फैसला मेसर्ज जग्गन सिंह एंड कंपनी के हक में कर दिया। इसके बाद 6 मार्च 2018 में हाईकोर्ट और बाद में 2 सितंबर 2022 को सुप्रीमकोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते इसका फैसला आक्शन परचेसर के हक में दे दिया। लेकिन बड़ी बात है कि इंप्रूवमेंट ट्रस्ट में एलडीपी प्लॉट होल्डर जिनके हक में कोर्ट कोई फैसला तक नहीं करता उनके प्लॉट ड्रा के जरिए पिक एंड चूज पालिसी के तहत दे दिए गए, लेकिन जो व्यक्ति असलियत में हकदार था, उसे 30 साल के लंबे इंतजार के बाद ये इंसाफ मिल पाया। हैरानी की बात ये भी है कि जहां पीड़ित को मात्र 4.27 लाख का मुआवजा देना था, वहीं इस केस के लिए ट्रस्ट ने 20 लाख से अधिक रुपए केवल वकील की फीस को भर दिया