नगर निगम की ओर से शहर की कुल 9 साइटस की पार्किंग ठेके पर देने को लगाए टेंडर में बडे़ घोटाले का जिन्न आखिर बाहर आया गया है। भले ही नगर निगम अफसरों की ओर से मीडिया को ई टेंडरिंग के जरिए हुई बोली में किस किस कंपनी की ओर से बिड दी गई और कितनी बिड़ दी गई, ये अभी तक जानकारी छिपाई जा रही है, लेकिन ई न्यूज पंजाब के हाथ छह पार्किंग साइटस पर फाइनल बोली देने वाली कंपनी व ये बिड रिजर्व रेट से कितनी अधिक की गई , इसका पूरा खाका आ गया है। ई न्यूज पंजाब की ओर से लगातार ये दावा किया जा रहा था कि निगम की ओर से लगाई शर्ता से आम पब्लिक पर पार्किंग फीस का बोझ 200 से 300 फीसदी तक बढ़ा जाएगा, लेकिन बोली देने वाली कपंनियां 10 से 15 फीसदी का उछाल देकर इन पार्किंग साइट पर कब्जा कर जाएंगी और अब ई न्यूज पंजाब का ये दावा पूरी तरह से सच साबित होता दिखाई दे रहा है। निगम की ओर से एक कांट्रेक्टर व उसके परिवार से जुड़ी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए इस टेंडर में कंपीटिशन को उतरने वाली सभी कंपनियों को बाहर कर दिया गया और नेताओं व अफसरों के आशीर्वाद से फायदा हासिल करने वाली कंपनी ने मात्र चार से साढे़ चार फीसदी रिजर्व रेट से ऊपर बिड कर इन टेंडरों पर अपनी मोहर लगाने की पूरी तैयारी कर ली है। इन छह पार्किंग साइटस में से चार साइटस की फाइनल बिड में एलआरवाई लेबर कांट्रेक्टर का कब्जा बताया जा रहा है। गौर हो कि ऐसी ही शर्ताें के जरिए पूर्व कांग्रेस कार्यकाल में फूड एंड सप्लाई व मंडियों में ट्रांसपोर्ट व लेबर टेंडर में कुछ कांट्रेक्टरों को फायदा पहुंचाया गया था और आम आदमी पार्टी सरकार ने आते ही ऐसे मामले में इंक्वायरी कर विजिलेंस ब्यूरो से एफआईआर दर्ज करवाई थी। जिसमें तत्कालीन मंत्री जेल में बंद हैं। ऐसे में अगर यहां भी अगर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा किसी कांट्रेक्टर को निगम अफसर फायदा पहुंचाते है तो वे भी आने वाले दिनों में जांच के दायरे में घिर सकते हैं। आखिर बाद में क्यों लगाई गई एक साल के अनुभव की शर्त नगर निगम की ओर से टेंडर फार्म जारी करने के बाद एक काेरीजंडम जारी कर इस टेंडर में एक साल के अनुभव की शर्त जोड़ दी गई, तांकि इस टेंडर में कोई नया कांट्रेक्टर या ठेकेदार न घुस पाए। लेकिन अब इसमें सवाल ये भी है कि पार्किंग के कांट्रेक्टर में तकनीकी तौर पर अनुभव की जरुरत किस लिए है। इसमें कोई दीवार या सड़क तो कांट्रेक्टर ने बनानी नहीं और जो मौजूदा ठेकेदार पार्किंग का काम कर रहे हैं, उनमें से कितने ठेकेदारों ने टेंडर फार्म की शर्ता का अभी तक पालन किया। नियमों के तहत न किसी कांट्रेक्टर ने अपने मुलाजिम को वर्दी पहनाई, न पर्ची काटने को मशीनों का नियमित इस्तेमाल किया, पार्किंग साइट की बजाय सड़क पर ही पर्ची काटते दिखे। ऐसे में नगर निगम ने अब तक इन नियमों का पालन न करने वाले कितने ठेकेदारों को टेंडर डालने से रोका है, ये अपने आप में बड़ा सवाल है। ऐसे में हो सकता है कि पार्किंग कांट्रेक्ट में कोई नया कांट्रेक्टर निगम की इन शर्ताे को पूरा कर जाता, लेकिन निगम पहले से इस धंधे में ओवरचार्जिंग के आरोपी कांट्रेक्टरों को ही ये काम दे लोगों की जेबों पर डाका डलवाने की तैयारी किए हुए हैं। एक बार फिर से समझिये पूरा घोटाला नई शर्तां मुताबिक नगर निगम ने साइकि स्कूटर महीने का पार्किंग पास 250 रुपए से बढ़ाकर 700 रुपए और कार का पास 700 रुपए से बढ़ाकर 1500 रुपए कर दिया है। वहीं पार्किंग फीस जो पहले स्कूटर के लिए दस रुपए व कार के लिए बीस रुपए थी, उसे नए टेंडर मुताबिक घंटों में तबदील कर दिया है। जिससे ठेकेदार शाम तक खडे़ होने वाले स्कूटर व कार के लिए 30 रुपए से लेकर 60 रुपए तक आम पब्लिक से वसूल सकेंगे। लेकिन वहीं अब इन शर्तों के एवज में करवाए टेंडर की ई आक्शन में हैरान करने वाले आंकडे़ सामने आए हैं। फिरोजगांधी मार्केट पार्किंग जिसका रिजर्व रेट 126.11 लाख रुपए था, उसकी बोली में मात्र सालाना 3 लाख रुपए की बढ़ोतरी कर इसे 129.31 करोड़ में फाइनल किया जा रहा है। जबकि इसी साइट पर पिछले कांटेक्टर ने 126.11 लाख रुपए दिए थे, वहीं नया कांट्रेक्टर नए रेट के साथ केवल तीन लाख रुपए अधिक देगा। जबकि उसकी केवल प्रति महीना पार्किंग पास की आमदन व रोजाना आमदन मिला सालाना आदमन 250 लाख रुपए से अधिक बढ़ने का अनुमान है। जबकि यही हाल मल्टीस्टोरी निगम पार्किंग में भी है। यहां भी पिछले साल कांट्रेक्टर ने सालाना 108.36 लाख रुपए निगम को दिए, जो कि अब बढ़कर मात्र 111.36 करोड़ रुपए बिड में सामने आया है। अब ऐसे में नगर निगम के अफसर अगर आंखें मूंदकर इस बोली को मंजूरी देते हैं तो वे बडे़ पचडे़ में फंस सकते हैं। इस पूरे मामले में इंक्वायरी का खतरा तो साफ मंडरा ही रहा है, वहीं द्रविड सिक्योरिटी नाम की कंपनी इस आक्शन के खिलाफ कोर्ट में भी गई हुई है।