March 29, 2024 16:46:00

नगर निगम अफसरों ने पार्किंग टेंडर में रचा करोड़ों के घोटाले का चक्रव्यूह, जाने क्या है पूरी प्लानिंग

ऑनलाइन बोली शुरू होते ही विवादों में आया पूरा मामला

आम आदमी पार्टी का विधायक अपने चहेते ठेकेदार को दिलाना चाहता है टेंडर

Oct20,2022 | Yashpal Sharma | Ludhiana

नगर निगम की ओर से शहर की 9 पार्किंग साइट की ई ऑक्शन के जरिए बोली का सिलसिला शुरू हो गया है, लेकिन इसके साथ ही इस ई ऑक्शन में नगर निगम के अफसरों की ओर से किस तरह से करोड़ों के घोटाले का चक्रव्यूह रचा गया है और और इससे सीधी सीधी चपत नगर निगम के रेवेन्यू पर पड़ती दिखाई दे रही है। इस घोटाले के चक्रव्यूह में आम आदमी पार्टी के ईमानदारी के दावे भी दम तोड़ते दिख रहे है। इस घोटाले का पूरा अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इस टेंडर में आम जनता पर पार्किंग खर्च का बोझ 200 से 300 फीसदी तक बढ़ा दिया गया है लेकिन नगर निगम का रेवेन्यू में मात्र 10 से 20 फीसदी तक ही बढ़ोतरी संभव बताई जा रही है, इससे एक बात साफ है कि यह बढ़ने वाला रेवेन्यू नगर निगम की बजाए ठेकेदार की जेब में डालने का पूरा बंदोबस्त नगर निगम के अफसरों ने अपने कागजों में तैयार किया है। सूत्र बताते है कि इसका फायदा सीधा सीधा एक पुराने पार्किंग ठेकेदार व उसके परिवार को मिल सकता है और इस पूरी रणनीति के पीछे आम आदमी पार्टी के एक विधायक का दिमाग व दबाव बताया जा रहा है। हालांकि ये चक्रव्यू सिरे चढ़ने से पहले ही विवादों में आता दिखाई दे रहा है। इस विवाद में एक बार फिर से नगर निगम के अधिकारी जो इस टेंडर प्रक्रिया की रूपरेखा तैयार किए हैं,उन्हीं पर उंगलियां उठती दिखाई दे रही हैं। इस टेंडर के चलते नगर निगम की ओर से 12 सितंबर को टर्म एंड कंडीशन फाइनल कर दी थी। निगम की ओर से अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में इस ऑक्शन में हिस्सा लेने वाले कॉन्ट्रैक्टरो को टेंडर टर्म एंड कंडीशन जारी कर टेंडर फॉर्म जारी कर दिया था और ठेकेदारों की ओर से अपने टेंडर फॉर्म नगर निगम में सबमिट कर दिए गए। लेकिन 15 अक्टूबर को नगर निगम की ओर से एक कॉरिजेंडम जारी कर यह साफ किया गया कि इस टेंडर में केवल वही कंपनी हिस्सा ले सकती हैं जिनके पास पार्किंग का 1 साल का अनुभव है। ठेकेदारों से टेंडर फॉर्म लेने के बाद नगर निगम की ओर से लगाई गई यह शर्त सवालों के घेरे में आ गई है और इस शर्त के खिलाफ कुछ ठेकेदार इस बोली से बाहर कर दिए गए हैं। इतना ही नहीं इस शर्त को लेकर निगम के खिलाफ द्रविड़ सिक्योरिटी नाम की कंपनी कोर्ट में भी चली गई है और कोर्ट की ओर से नगर निगम कमिश्नर व तहबाजारी ब्रांच के अफसरों को भी नोटिस जारी हो चुका है, लेकिन इसके बावजूद यह टेंडर प्रक्रिया मनमानी कर जारी है। इस तरह से समझिए पार्किंग टेंडर में बड़े घोटाले के चक्रव्यूह की रचना। नगर निगम की ओर से पहले 6 साइटों की पार्किंग का ठेका सालाना करीब 3 करोड़ के आसपास कुछ कांट्रेक्टर को दिया गया था इसके लिए कांट्रेक्टर की ओर से ₹10 स्कूटर और ₹20 कार चार्ज किया जाता था। वही इसके अलावा इन साइटों पर प्रति महीना के लिहाज से पास भी जारी किए जाते थे जिनके लिए कांट्रेक्टर ढाई सौ रुपए स्कूटर और ₹500 कार प्रति महीना का पास जारी करते थे। लेकिन नगर निगम की ओर से आमदनी में बढ़ोतरी करने के नाम पर लोगों पर यह पार्किंग चार्जेस बढ़ा दिए हैं। अब नहीं तय की गई शर्तों में स्कूटर के लिए 10 और कर के लिए 20 रुपए केवल पहले 2 घंटे का ही होगा और इसके बाद पब्लिक को प्रति घंटे के लिए लिहाज से प्रति घंटे का ₹5 और ₹10 अतिरिक्त चार्ज देना होगा यानी 8 घंटे के लिए पब्लिक को स्कूटर का ₹30 और कार का ₹60 चुकाना होगा। वही प्रति महीना पास भी ₹250 से बढ़ाकर ₹700 और ₹500 से बढ़ाकर 1400 कर दिया गया है। ऐसे में एक बात साफ समझ आ रही है कि ठेका लेने वाले ठेकेदार की आमदन पहले से 200 से 300 फीसदी बढ़ जाएगी लेकिन निगम ने अपना रिजर्व रेट पुराने टेंडर के तहत हाईएस्ट बीड के लिहाज से रखे है। इस चक्रव्यू के तहत ही इस बोली में कंपीटीशन ना हो इसके लिए बोली देने वाले कई ठेकेदारों को नई शर्तों के तहत आउट कर दिए गए है। ऐसे में एक बात साफ है कि अगर नगर निगम बिना कंपटीशन के यह टेंडर अपने चहेते ठेकेदारों को देता है तो रिजर्व रेट से मात्र 10 से 20 फ़ीसदी का उछाल ही इस बोली में देखने को मिल सकता है। मतलब यह कि नगर निगम की नई शर्तों के मुताबिक ठेकेदार की सालाना रिकवरी 7 से 9 करोड़ तक पहुंच सकती है, लेकिन कंपटीशन के बिना निगम का खजाना मात्र 3.5 करोड़ में ही सिमट सकता है। जिसका सीधा सीधा फायदा नगर निगम की बजाए चहेता ठेकेदार उठा सकता है। गौर हो कि नगर निगम ने दो महीने पहले भी इस पार्किंग टेंडर में सोसाइटी कांट्रेक्टरो को एंट्री देकर एक नया विवाद खड़ा किया था और तब भी बोली वाले दिन शिकायतों के खेल में यह घालामाला सिरे नही चढ़ पाया था। तभी तब इस टेंडर में आम आदमी पार्टी के विधायक का ही नाम आगे आया था, लेकिन मौके पर ही नगर निगम कमिश्नर को यह नीलामी रद करनी पड़ी थी। अबकी बार भी नगर निगम कमिश्नर पर इस विधायक का पूरा दबाव है कि जैसे मर्जी उनके चहेते ठेकेदार को यह टेंडर दिलाया जाए, इसी के चलते नई नई शर्तों को डाल इस टेंडर के प्लेयर्स को बाहर कर दिया गया है।

Scandal In Municipal Corporation Parking Tender




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