कहते हैं जब बहुत तेज आंधी चलतीहै, तब बडे़ बडे़ पेड़ भी जड़ से उखड़ जाते हैं। कुछ यही हाल आम आदमी पार्टी ने दिग्गज व धुरंधर कांग्रेस नेताओं के साथ किया। पंजाब में कांग्रेस के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी व पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के अलावा कईं कैबेनिट मंत्री इस चुनाव में ढेर हो गए। जिनमें लुधियाना से भी कांग्रेस के कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशू का नाम शामिल हैं। आशू भी चुनाव में बुरी तरह हार गए, ये बात उनके नजदीकियों को समझ में नहीं आ रही। इस चुनाव में उनकी हालत इतनी पतली रही कि केवल वे अपनी पत्नी ममता आशू के वार्ड से ही कुछ वोटों से जीत सके और बाकी के सभी 16 वार्डों में उन्हें आम आदमी पार्टी उम्मीदवार गुरप्रीत गोगी व भाजपा उम्मीदवार बिक्रम सिंह सिद्धू से हार का सामना करना पड़ा। विधानसभा चुनाव में सबसे पहली मशीनें हैबोवाल में पड़ते कांग्रेसी कौंसलर महाराज सिंह राजी व कौंसलर राशि अग्रवाल के वार्ड से खुलती है और यहां से आशू पिछली दो बार लगातार 5 से 6 हजार से अधिक की लीड बनाने में कामयाब रहे हैं। लेकिन इस बार वे यहां से लीड़ की बजाय करीब 1800 वोट डाउन हो गए। इसके बाद मेयर बलकार सिंह संधू, भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए मंदीप कौर घुम्मन और कौंसलर सन्नी भल्ला से संबंधित किचलू नगर, छोटी हैबोवाल व ऋषि नगर की मशीनें खुलती है। पिछली बार के दो चुनाव में यहां आकर आशू की लीड़ 12 हजार से 15 हजार तक हो जाती है और इतनी वोट खाते में आने के बाद आशू की जीत लगभग तय हो जाती थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। इस बार वे इन चार वार्डों की गिनती के बाद करीब 2800 वोट डाउन हो गए। ये चारों वार्ड आशू का बड़ा वोट बैंक हैं, लेकिन इन सभी वार्ड में आशू की वोटें न निकलने न तय कर दिया कि आशू की सीट फंस गई हैं। किचलू नगर व ऋषि नगर में आशू को भाजपा के हिंदुत्व के मुददे ने बड़ी चोट की और यहां पर भाजपा उम्मीदवार काफी वोट ले गए। वहीं बाद की काउंटिंग में जवाहर नगर से आप व शिअद उम्मीदवार वोटें लेते दिखे और कांग्रेस को यहां भी काफी कम वोट पड़ी। वहीं बाडेवाल, जवदी और सनेत में तो झाडू पूरी तरह से कांग्रेस पर फिरता दिखा, वहीं राजगुुरु नगर व अग्र नगर में रही सही कसर भाजपा उम्मीदवार बिक्रम सिंह सिद्धू ने पूरी कर दी और यहां पर उन्हें काफी वोटें पड़ी। दस राउंड की गिनती के बाद तो आशू के खिलाफ गोगी का मार्जिन 400 से 500 वोट के अंतर से बढ़ता चला गया और अंत में इस मार्जिन ने गुरप्रीत गोगी की जीत तय कर दी। ----- आशू की हार के लिए ये फैक्टर रहे जिम्मेदार -आम आदमी पार्टी की हवा -हिंदू इलाकों में मोदी फेवर में वोटिंग -पब्लिक की ओर से कमीपेशी बताने पर बहस का माहौल -आशू के सलाहकारों का गलत फीडबैक -अपनी जीत पर ओवर कोंफिडेंस -सभी को शक की नजर से देखना -किश्ती में होते छेदों को समय पर न भरे जाना -नजदीकियों पर आरोपों के बावजूद किनारा न करना -गुस्सा और हाई टेंपर न खराब किया वोट बैंक -नैगेटिव वॉयस पब्लिसिटी -चैकों की बंदरबांट -कुछ को ही अपना फेवरेट बनाना
This Is The Reason For Ashu Defeat In Ludhiana West Assembly