इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की ओर से लोकल डिस्पलेसएड पर्सन (एलडीपी) कोटे के प्लॉट पंजाब सरकार के लोकल गर्वमेंट के लिए बड़ी दिक्कत बनते दिख रहे हैं। इनमें कुछ एलडीपी केस ऐसे भी हैं, जिन्होंने जमीन एक्वायर के दौरान प्लॉट लेने की बजाय ट्रस्ट से पूरी जमीन के एवज में मुआवजा ले लिया और अब 40-45 साल बाद एलडीपी का क्लेम में भी मिलीभुगत से लगा दिया गया है। यहां तक इन प्लॉटों के लिए 500 रुपए की बियाना राशि तक ट्रस्ट खाते में नहीं आई थी। राजनीतिक दबाव कहें या रिश्वत का खेल, इस कोटे के तहत ट्रस्ट बैठक से प्रस्ताव पास कर लोकल गर्वमेंट की ओर से कमेटी बनाकर संबंधित अफसरों से इनकी रिपोर्ट भेजी जा रही है। बड़ी बात है कि अधिकतर केसों में लुधियाना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की ईओ कुलजीत कौर रिकार्ड तक सरकार को उपलब्ध नहीं करवा पा रही है। इसका बड़ा कारण है कि इंप्रूवमेंट ट्रस्ट लुधियाना में अब केवल विवादित एलडीपी केस ही इनमें से अधिकतर केस इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के पूर्व चेयरमैन पीएस गिल (आईएएस) व मौजूदा चेयरमैन रमण बाला सुब्रामनियम के कार्यकाल में ट्रस्ट मीटिंग में हरी झंड़ी देकर लोकल गर्वमेंट अफसरों की टेबल पर भेज दिए गए हैं। बताया जाता है कि इसी हफते फिर से इन केसों की कमेटी मीटिंग करने जा रही है, जिनमें लुधियाना से संबंधित आधा दर्जन केस विचारे जाने हैं। सरकार बार बार इन केसों में एक कमेटी के जरिए लुधियाना की ईओ से रिपोर्ट मांग रहे हैं, लेकिन वे इन पर अपनी रिपोर्ट नहीं दे पा रही। इसका बड़ा कारण है कि कुछ केस डुप्लीकेट फाइलों पर तैयार किए गए हैं और इनमें से कईं अहम कागज गायब किए जा चुके हैं इनमें दो केस तो ऐसे हैं, जिनकी मंजूरी से सीधे सीधे सरकार के खजाने में करोड़ों रुपए की ठगी बजनी तय है। --------- जाने कौन से दो केस हैं विवादित, जिनमें कैसे हो सकती है ठगी 1. माडल टाउन पार्ट सी -23 सी नंबर प्लॉट माडल टाउन पार्ट सी में पड़ते 23 नंबर प्लॉट रकबा (557 गज) की अलॉटमेंट एलडीपी के तहत की गई थी। जिसकी रजिस्ट्री एसके विशिष्ट को की गई थी। एसके विशिष्ट की ओर से रजिस्ट्री के बाद इस प्लॉट पर कब्जा भी लिया जा चुका है, लेकिन अब अंदरखाते सेटिंग के जरिए उनकी ओर से प्लॉट के आसपास लोकेलिटी ठीक न होने व इंक्रोचमेंट की बात कहकर इसके प्लॉट के बदले ऋषि नगर में प्लॉट मांगा जा रहा है। जबकि ऋषि नगर में इस वक्त प्लॉट के दाम अच्छी लोकेशन में 70 हजार रुपए के आसपास हैं, जबकि उन्हें जिस लोकेशन में पहले प्लॉट मिला है, उसका रेट कम है। नियमों के तहत ये प्लॉट नहीं दिया जा सकता, लेकिन अगर ये बदलवा प्लॉट उक्त व्यक्ति को दिया जाता है तो इसमें ट्रस्ट को एक करोड़ से अधिक की चपत लगनी तय है। ये पूरा राजनीतिक सांठगांठ के जरिए खेला जा रहा है। 2. कुलदीप सिंह प्रेम सिंह, पुत्र गुरदेव सिंह 475 एकड़ की एलडीपी अगले सप्ताह में लोकल गर्वमेंट अफसरों की बनी कमेटी में 475 एकड़ से संबंधित कुलदीप सिंह प्रेम सिंह पुत्र गुरदेव सिंह की एलडीपी संबंधी प्रस्ताव पर भी चर्चा की जानी है। इस स्कीम में पड़ते सनेत इलाके से संबंधित जमीन एक्वायर के दौरान हर भजन सिंह, हरी सिंह पुत्र जोगिंदर सिंह कुल 40 कनाल 11 मरले जमीन एक्वायर की गई थी। इसके साथ यहां इनके कुछ ओर भाईयाें की जमीन भी एक्वायर हुई थी। तब इनकी ओर से इस जमीन के एवज में मुआवजा ले लिया गया था और तब नियमित समय के बीच जो एलडीपी का क्लेम करना चाहिए था, वो भी नहीं किया गया। लेकिन साल 2016 में एकाएक एलडीपी नहीं, ब्लकि ये केस पीपीपी (पावरफुल पब्लिक पर्सन) के हाथ में आने के बाद ट्रस्ट अफसरों की सलाह से पहले कोर्ट का रास्ता पकड़ एल्डीपी क्लेम का दावा किया गया, जिसके बाद कोर्ट के आदेशों पर अफसरों की मिलीभगत से इस दावे का क्लेम खड़ा कर बियाना राशि का 500 रुपए ब्याज सहित 5500 रुपए की शक्ल में जमा करवा दी गई और अब इसे भी ट्रस्ट से मंजूरी दे सरकार के पास भेज दिया गया है। अगर दबाव या रिश्वत के खेल में ये केस मंजूर होता है तो इसके साथ दो अनय केस जो कि गुरबचन कौर खंगूडे व एक अन्य केस से संबंधित है को भी मंजूरी देनी पडे़गी। ----- कोर्ट केस के बहाने लाखों की रिश्वत लेकर चल रहा प्रस्तावों को मंजूरी देने का खेल इंप्रूवमेंट ट्रस्ट में लाखाें रुपए की रिश्वत का खेल कोर्ट केस के नाम पर चल रहा है। ट्रस्ट के चेयरमैन व ईओ की ओर से की गई एक गलती व गलत स्पीकिंग आर्डर के नाम पर बडे़ घोटाले का एक रास्ता तैयार कर लिया गया है। इंप्रूवमेंट ट्रस्ट में अगर कोई ईमानदार चेयरमैन व एग्जीक्यूटिव अफसर तैनात हो तो इस गलती को सुधारा जा सकता है, न कि एक गलती के बाद ऐसी गलती बार बार दोबारा करने का तारीका बना लिया गया। अब हम आपको बताते हैं कि ऐसा कौन सा तारीका है, जिनके आधार पर 45 से 50 साल पुराने एलडीपी कोटे के प्लाट अलॉट किए जा रहे हैं। असल में इसके लिए एक्सपर्ट वकील (एलडीपी व ट्रस्ट केसों से वाकिफ) के जरिए माननीय हाईकोर्ट में एलडीपी कोटे का प्लॉट लेने को अपील लगाई जाती है और एक्सपर्ट वकील माननीय जज के समक्ष ये दलील रखता है कि ऐसे कईं केस पहले से ट्रस्ट अलॉट कर चुका है और इसके लिए कुछ केसों का हवाला तक जज के समक्ष रखा जाता है। इसके बाद जज की ओर से इन्हीं के आधार पर ट्रस्ट को एक हिदायत करता है कि याचिकाकर्ता उत्तराधिकारी के रूप में इसका हकदार हैं, इसका हम इस एप्लीकेशन पर मैरिट के आधार पर कोई ओपिनियन नहीं दे रहे। अगर हम मान लेते हैं कि याचिकाकर्ता उत्तराधिकारी के रुप में इसका हकदार है तो आथोरिटी (ट्रस्ट) इस पर फैसला दे कि याचिकाकर्ता इस बेनिफिट का हकदार है या नहीं। इसके बाद ट्रस्ट में लीगल एक्सपर्ट की राय अपने चहेते वकील से लेकर ये लिख दिया जाता है कि याचिकाकर्ता एलडीपी के लिए हकदार है और ट्रस्ट में पहले भी ऐसे केसों के तहत बैनिफिट दिये जा चुके हैं, इसलिए ये एलडीपी दी जानी बनती है। इसके बाद चेयरमैन एक सोची समझी योजना के तहत ऐसे प्रस्तावों को कोर्ट का हवाला देकर सरकार के पास मंजूरी को भेजी जा रहे हैं, लेकिन लोकल गर्वमेंट में बैठे आईएएस अधिकारी बिना बेस व ग्राउंड रिपोर्ट के बिना इन पर कैसे अपनी हरी झंडी दें, यहीं अडंगा अब सरकार के पास फंसा हुआ है। इसी अडंगे को दूर करने के नाम पर 25 से 70 लाख तक की रिश्वत की आवाजें लुधियाना ट्रस्ट से निकल कर बाहर आ रही हैं, जो चंडीगढ में लोकल गर्वमेंट के मंत्री व प्रिंसिपल सेक्रेटरी तक भी पहुंच चुकी है। एक बात साफ है कि अगर किसी दबाव में लोकल गर्वमेंट इन केसों को मंजूरी देता भी है तो पंजाब में आने वाली अगली किसी भी सरकार में इन विवादित प्रस्तावों का उछलना तय है।
Local Government Officials Trapped In The Allotment Of Disputed Ldp Quota Plots