यशपाल शर्मा, लुधियाना शहर में जहर उगलने वाली डाइंगों पर अब पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी भी मेहरबान हो गए हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पीपीसीबी ने जिन डाइंगों कोे बीती 20 सितंबर की चेकिंग के बाद सील किया था, उनसे एक लाख से 5 लाख रुपए इंवायरमेंट कंपंशेसन लेकर उन्हें आज खोल दिया। बड़ी बात ये है कि इनमें कुछ डाइंगें जिनमें परफेक्ट डाइंग, रमल डाइंग व कुछ अन्य ऐसी थी, जिनमें बोर्ड अफसरों ने चेकिंग दौरान अन ट्रीटेड डिस्चार्ज को सीधे सीवरेज में बाइपास करते पकड़ा था। ये जांच पीपीसीबी के चीफ इंजीनियर गुलशन राय की ओर से करवाई गई थी और ये रीजन एसई संदीप बहल के पास है। ऐसे में रीजनल एसई संदीप बहल की कारगुजारी पर भी सवाल खडे़ होना वाजिब है। बड़ा सवाल ये है कि इन डाइंगों को इस छापामारी से पहले क्यों नहीं पकड़ा गया और इससे पहले सीवर में अनट्रीटेड डिस्चार्ज बाइपास करने के लिए पीपीसीबी अफसर कितनें रुपए में सेटिंग कर रखी थी। गौर हो कि ई न्यूज पंजाब आनलाईन पोर्टल की ओर से इस बात का पहले से अंदेशा जता दिया गया था कि जहर उगलने वाली डाइंगों के साथ पीपीसीबी के आला अफसरों ने हाथ मिला लिए गए हैं और जल्द ये सील की गई डाइंगें खोल सकते हैं। बताया जाता है कि इन डाइंगों को खोलने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह खासमखास कहे जाने वाले प्रिंसिपल सेक्रेटरी का पीपसीबी के चेयरमैन डा. एसएस मरवाहा पर दबाव था। कहा जा रहा है कि अगर ये डाइंगें एनजीटी की जांच में ऐसे हालातों में पकड़ी जाती तो शायद इनका परमानेंट क्लोजर तक संभव था और अगर जुर्माना लगता तो वे भी करोड़ों में लगाया जाता, तांकि लोगों की जिंदगी से खेलने वाले डाइंग मालिक दोबारा से लापरवाही बरतने से पहले कईं बार सोचते। गौर हो कि एनजीटी ने करीब पांच महीने पहले चेकिंग दौरान कुछ डाइंगों पर कार्रवाई करते हुए 20 से 40 लाख रुपए के जुमानें लगाया था। लेकिन पीपीसीबी की ओर से बाइपास करने वाली रमल, परफेक्ट डाइंग, एमबी प्रोसेसर व नवदुर्गा पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लेकर इनकी सीलें खोलने में साफ उच्च अधिकारियों का दबाव झलक रहा है। अगर ऐसे में ये डाइंगाें पैसे लेकर खोल दी जाती हैं तो लोकल अफसर भी इनके साथ हर महीने की सेटिंग कर इन्हें चलाने की इजाजत दे सकते हैं।
Ppcb Smiles On Poisoning Dyes Fined One Lakh To Some And 5 Lakh On Some Seals Opened