यशपाल शर्मा, लुधियाना सीबीआई की ओर से डायरेक्टर रेवेन्यू इंटैलिजेंस के एडीजी चंद्र शेखर की गिरफतारी में अहम खुल्लासा सामने आया है। बताया जाता है कि इस मामले में लुधियाना के अहम हौजरी कारोबारी राजेश ढांडा की ओर से दिल्ली के एक एक्सपोटर का फंसा हुआ काम डीआरआई से निकलवाने के नाम पर तीन करोड़ की रिश्वत मांगी थी। बताया जाता है कि राजेश ढांड़ा ही एडीजी चंद्र शेखर के अहम दोस्तों में से हैं और उन्होंने एक अन्य बिचौलिये अनूप जोशी जो कि क्लीयरिंग एजेंट हैं के साथ मिलकर ये पूरा ताना बाना बुना था। उक्त एक्सपोटर ने इस संबंधी सीबीआई काे शिकायत करते हुए राजेश ढांड़ा को एडवांस के तौर पर 25 लाख रुपए देने के दौरान ट्रेप लगाया था। जिसके तहत ढांड़ा को सीबीआई ने 31 दिसंबर को गिरफतार कर लिया था। सूत्रों के मुताबिक सीबीआई पिछले कुछ दिनों से इस ट्रेप के तहत राजेश ढांड़ा को पकड़ना चाह रही थी, लेकिन ढांड़ा लुधियाना में आयोजित एक अहम रथयात्रा जो कि इस बार श्री कृष्ण बलराम रथयात्रा के नाम से निकाली गई थी, में बताैर चेयरमैन अगुवाई कर रहे थे, में व्यस्त थे। इसलिए ये ट्रेप देरी से लगाया जा सका। डीआरआई की ओर से जून 2019 में एक प्राइवेट क्लीयरिंग एजेंसी के आफिस में छापामारी की थी और इसके बाद डीआरआई ने उक्त प्राइवेट एजेंसी के कुछ अहम दस्तावेज सीज कर दिए थे। बताया जाता है कि उक्त प्राइवेट कंपनी के मालिक की ओर से डीआरआई के पास कईं बार चक्कर काटने के बावजूद उसे न तो दस्तावेज दिए और न ही क्लीयरेंस दी। जिसके बाद उक्त दिल्ली कारोबारी का संपर्क बिचौलिया अनूप जोशी से हुआ और जोशी ने उक्त दिल्ली कारोबारी को एडीजी चंद्रशेखर के नजदीकी दोस्त कहकर राजेश ढांड़ा से मुलाकात करवाई। जिसके बाद ढांड़ा ने इस काम को करवाने के लिए तीन करोड़ रुपए की रिश्वत मांगी। इसके बाद दिल्ली कारोबारी ने दुखी होकर व हिम्मत दिखाते हुए इस पूरे मामले की शिकायत सीबीआई को कर दी। जिन्होंने ट्रेप लगाकर पहले कारोबारी राजेश ढांड़ा व अनूप जोशी को गिरफतार किया व बाद में एडीजी चंद्र शेखर को भी पकड़ने में कामयाबी हासिल कर ली है। गौर हो कि राजेश ढांड़ा की सेंचुरी स्पीनिंग नाम से बड़ी होजरी इंडस्ट्री है और पिछले कुछ दिनों से वे इंकमटैक्स में भी काफी सक्रिय होकर रथयात्रा के समागामों की अगुवाई कर रहे थे।