यशपाल शर्मा, लुधियाना पंजाबी भाषा को जमीनी स्तर पर अमल में लाने के चक्कर में आम आदमी पार्टी निहित पंजाब सरकार आम पब्लिक, जिनमें दुकानदार, स्कूली संस्थाए व इंडस्ट्रिलिस्ट शामिल हैं, पर हजारों लाखों रुपए खर्च का बोझ ड़ालने की तैयारी आज कल पूरे जोरों पर शुुरु कर चुकी है। इसके लिए सरकार की ओर से 21 फरवरी तक सभी स्कूल संस्थाओं, दुकानदारों व इंडस्ट्री मालिकों को अपने अपने पुराने बोर्डों को हटाकर पंजाबी नाम वाले बोर्ड लगाने का फरमान जारी हो चुका है। लेकिन बड़ी समस्या इसमें ये है कि आम दुकानदार जिनकी ओर से अपनी दुकानों व बिल्डिंगों पर लाखों रुपए की लागत के बोर्ड लगाए गए हैं, को हटाकर नया बोर्ड कैसे अपनी जेब खर्च से दोबारा लगा पाएंगे। एक सामान्य दुकान पर भी छोटा मोटा बोर्ड लगाने में 2500 से 10 हजार रुपए तक का खर्च आ जाता है। वहीं जिन बिल्डिंगों पर बडे़ फैंसी बोर्ड लगाए गए हैं, उनको भी अपने बोर्ड बदल कर नए सिरे से लाखों रुपए खर्चनें पड़ सकते हैं। बड़ी बात है कि सरकारी आफिसों में सरकार अपने स्तर पर खर्च कर ये साइन बोर्ड व नेम प्लेट बदल लेगी, लेकिन आम जनता पर पड़ने वाला सीधा खर्च व इसके विरोध को कैसे रोक पाएगी। इतना ही नहीं बडे़ स्कूली संस्थाओं व इंडस्ट्री के बाहर लगने वाले बोर्डों की कीमत भी लाखों रुपए में हैं और उनको बदलने का खर्च भी आगे स्कूल मालिक बच्चों की फीसों में लगाकर पूरा करेंगे। ------- वहीं इस बारे में भाजपा के जिला उपप्रधान लक्की चोपड़ा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि ये सरेआम पब्लिक के साथ धक्केशाही है। पंजाबी भाषा का मान सत्कार हर पंजाबी के दिल में है, लेकिन इस मान सत्कार के नाम पर आम पब्लिक पर हजारों लाखों का खर्च ड़ालना सरेआम गलत है, जिसका भाजपा विरोध करेगी। सरकार अगर इसे अमल में अगर लाना ही चाहती है तो पहले चरण में सरकारी विभागों की नेम प्लेट व सड़कों के साइन बोर्ड बदले जाने चाहिए। आम पब्लिक पर अगर इसके लिए दबाव बनाया जाएगा तो इस पर आम जनता विरोध को सड़क पर उतरने को तैयार रहेगी। ----------- वहीं इस बार एडीसी राहुल चाबा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सरकार ने इस संबंधी पत्र जारी किया है, अभी इस संबंधी ओर स्पष्टता आनी शेष है। इस संबंधी एक डिस्ट्रिक्ट स्तर की मीटिंग बुला कर इस पर चर्चा की जानी है।