यशपाल शर्मा इंप्रूवमेंट इंप्रवूमेंट ट्रस्ट में किस तरह से ट्रस्ट मीटिंग में विवादित एलडीपी (लैंड डिस्पलेस्ड पर्सन) प्लाटों को मंजूरी देकर सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा जा रहा है। अब इसकी पोल ई न्यूज पंजाब की ओर से रोजाना खोली जाएगी। गौर हो कि इससे पहले ई न्यूज पंजाब की ओर से माडल टाउन एक्सटेंशन 3.79 एकड़ जमीन की ई आक्शन पर सवाल खडे़ करते हुए इसमें कईं खुलासे किए थे और इस मामले एक एक करके खोली गई पोल के बाद पंजाब सरकार ने इस ई आक्शन को रदद कर दिया था। ई न्यूज पंजाब ने खुलासा किया था जिस जमीन को इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने मात्र 92.50 करोड़ रुपए में बेचा है, उस जमीन की मार्केट वेल्यू 350 करोड़ के आसपास है। हालांकि इस मामले में इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के चेयरमैन रमण बाला सुब्रामनियम ने खुद को बेहद पाक साफ व सरकार की हिदायतों का इन बिन पालन करने का भी दावा किया गया था, लेकिन इसके बावजूद ये नीलामी रदद कर दी गई। ट्रस्ट के इस बडे़ घोटाले पर सरकार की ओर से ब्रेक लगाए जाने के बाद अब इंप्रूवमेंट ट्रस्ट में एलडीपी प्लाटो की बंदरबांट में लाखों रुपए की रिश्वत का खेल शुरु हो चुका है। सुनने में आ रहा है कि ट्रस्ट मीटिंग से पास होकर लोकल गर्वमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी, डायरेक्टर, ज्वाइंट डायरेक्टर तक जाने वाले एलडीपी केसों के लिए 50 लाख रुपए तक की रिश्वत मांगी जा रही है और कहा जा रहा है कि ये रिश्वत चंडीगढ़ में लोकल गर्वमेंट में बैठे बडे़ आईएएस अफसरों तक पहुंचानी हैं, तभी ये केस पास होंगे और फिर उनका ड्रा निकल पाएगा। ट्रस्ट की 19 अक्टूबर की मीटिंग जिसमें 155 से लेकर 178 तक के मत्ते पास कर सरकार को भेजे गए हैं और जब एलडीपी केसों को पढ़ने मात्र में इन केसों में बडे़ घोटाले की बदबू आनी शुरु हो जाती है। सरकार को पास कर भेजे गए मत्ता नंबर 170 जिसमें दलजीत कौर वर्सस पंजाब सरकार सिविल रिट पटीशन नंबर 11712 का हवाला देकर छह एकड़ स्कीम ज्ञान सिंह राडेवाला मार्केट की एलडीपी केस मंजूरी को पेश किया गया। साल 2017 में इस केस को तत्कालीन ट्रस्ट चेयरमैन डा. सुभाष वर्मा की ओर से एलएसी (लैंड एक्वाजिशन कमेटी) ब्रांच की रिपोर्ट पर साल 2017 में इस क्लेम को रदद इसलिए कर दिया गया, क्यों कि एक पटवारी ने अपनी रिपोर्ट में साफ किया कि जिस जमीन के तहत दलजीत कौर की ओर से एलडीपी का क्लेम किया गया, उसमें 724 गज की एक कोठी थी, जिसमें ट्रस्ट ने अपने कब्जे में लेने की बजाय छोड़ दिया व बाकी केवल साढे़ 90 गज जमीन ही बेचती है। ऐसे में 90 गज जमीन के लिए ये क्लेम नहीं बनता। लेकिन अब दोबारा से इस क्लेम को सही मानते हुए सरकार के पास मंजूरी को भेज दिया गया है। इस तरह समझे पूरे मामले को छह एकड़ स्कीम (ज्ञान सिंह राडेवाला मार्केट) जिसका ट्रस्ट कीओर से 20 जुलाई 1978 को अवार्ड सुनाया गया था और इसकी नोटिफिकेशन 10 जनवरी 1977 को की हुई थी। लगभग 294 गज जगह की मालकी श्रीमति दलजीत कौर पत्नी मंजीत सिंह के नाम थी और इनसे 11 अगस्त 1978 को कब्जा ले लिया गया था। एलडीपी के तहत इसकी 500 रुपए की बियाना रसीद 25 मई 1979 के तहत ट्रस्ट को जमा करवाई गई थी। इसके बाद दावेदार दलजीत कौर की ओर से 46 साल बाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते एलडीपी के लिए अपील की। जिस पर कोर्ट ने 2 जून 2016 को अपना फैसला सुनाते कहा कि इस मामले कोई ओपनियन इस एप्लिकेशन पर नहीं दे रहे । लेकिन ये महसूस कर रहे हैं कि अगर अपीलकर्ता का हक बनता है तो इस पर अपना फैसला दे और इसमें 46 साल का गैप भी है। ----------- लीगल रिपोर्ट फेवर में आने के बावजूद चेयरमैन ने रिजेक्ट किया क्लेम इसके बाद कोर्ट के आदेशों पर योग फैसला लेने को ये फाइल सरकार के पैनल में मौजूद ट्रस्ट के वकील संदीप खूंगड़ को भेजी गई। जिस पर उन्होंने 12 दिसंबर 2016 को अपनी लीगल राय देते कहा कि ये साफ है कि दलजीत कौर की जगह ट्रस्ट ने एक्वायर की थी और 1975 के रुल्स मुताबिक वे इस जमीन की मालिक थी। जिसके चलते दलजीत कौर इस एलडीपी प्लाट की अलॉटमेंट को इनटाइटल हैं। तत्कालीन चेयरमैन ने एलएसी ब्रांच की रिपोर्ट का हवाला देते रिजेक्ट कर दिया था क्लेम इसके बाद ट्रस्ट के उस समय के चेयरमैन की ओर से मुंह बोलते आर्डर करते कहा है कि 26 नवंबर 1979 को मोहन सिंह पटवारी की ओर से की गई रिपोर्ट मुताबिक ट्रस्ट की ओर से जिस जमीन पर दलजीत कौर की मालकी थी उसमें 724 गज में कोठी बनी थी और साढे़ 90 गज जमीन दलजीत कौर की थी। इस प्रॉपर्टी में दलजीत कौर को-शेयरर थी और 724 गज की कोठी ट्रस्ट ने पहले ही छोड़ दी थी। एलएसी ब्रांच की रिपोर्ट मुताबिक जमीन जिसमें अपीलकर्ता को-शेयरर है, उसे इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की ओर एक्वायर नहीं किया गया। इसलिए ये क्लेम एलडीपी के तहत नहीं आता और इस क्लेम को रिजेक्ट किया जाता है। ----- फिर दोबारा से कर दिया एलडीपी के लिए क्लेम 29 जुलाई 2017 को दलजीत कौर नहीं, ब्लकि उसके मुख्तयारेखास की ओर से तत्कालीन चेयरमैन परमिंदर सिंह गिल के पास दोबारा से एलडीपी क्लेम के लिए अपील लगाई गई और उनका केस 28 नवंबर 2017 को फिर से ट्रस्ट मीटिंग में मत्ता नंबर 485 के तहत विचारा गया और इसे प्लाट की अलाटमेंट हकदार मानते हुए सरकार को मंजूरी के लिए भेज दिया गया। इसके बाद पंजाब में आए सत्ता परिर्वतन के बाद कांग्रेसी विधायक नवजोत सिंह सिद्धू को लोकल बॉडी मिनिस्टर का चार्ज सौंपा गया और उनकी ओर से ट्रस्ट के मामलों में पारदशिर्ता लाने को लोकल गर्वमेंट अपना सीवीओ नियुक्त किया गया।। इसके बाद तत्कालीन सीवीओ सतनाम सिंह मानिक ने सरकार के पास मंजूरी को पहुंचे एलडीपी केसों पर जांच शुरू कर दी और इस पर सरकार की ओर से कोई फैसला नहीं आया। लेकिन अब मौजूदा सीवीओ एलडीपी केसों की फाइलों पर सरकार की ओर से फैसला लेने में चार साल से अधिक की देरी का हवाला देते हुए इन्हें फिर से ट्रस्ट स्तर पर विचारने को कह दिया गया है।
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