यशपाल शर्मा, लुधियाना शहर की 300 के करीब डाइंग इंडस्ट्री को नगर निगम की ओर से पानी डिस्पोजल बिल का भुगतान सालाना एकमुश्त बिल के साथ करवाने को जारी किए गए फरमान के विरोध में हाईकोर्ट पहुंचे पंजाब डायर्स एसोसिएशन मामले में कोर्ट ने कारोबारियों को अंडर प्रोटेस्ट बिल जमा करवाने को कहा है और साथ ही ये भी साफ किया है कि निगम ने ये बिल किस प्रक्रिया के तहत जारी किए हैं और इसके जबाव के लिए 14 फरवरी 2020 की तारीख निश्चचित कर दी है। आज हाईकोर्ट में पंजाब डायर्स एसोसिएशन की ओर से दायर सिविल रिट पटीशन 2200-2020 की सुनवाई जज संजय कुमार की अदालत में की गई और इसमें पटीशनर पंजाब डायर्स एसोसिएशन का पक्ष उनके वकील अर्जुन शर्मा की ओर से रखा गया था। ये है पूरा मामला नगर निगम नगर निगम ने शहर की 300 के करीब डाइंग इंडस्ट्री को लाखों रुपए के पानी डिस्पोजल बिल भेजकर हाहाकार मचा दिया गया है । डाइंग इंडस्ट्री इन बिलों के विरोध में हाईकोर्ट चली गई है और इस मामले की कल यानी मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई की जाएगी। नगर निगम की ओर से डाइंग इंडस्ट्री को सौ फ़ीसदी कंसेंट ( यानि जो मंजूरी निगम से डाईंग इंडस्ट्री ने अपनी मंजूरी में ली है) के साथ सालाना लाखों रुपए का बिल भेज दिए गए हैं और एकमुश्त में इस बिल की अदायगी करने को कह दिया है। इससे पहले निगम की ओर से डाइंग इंडस्ट्री को तिमाही बिल भेजे जाते थे और इस लिहाज से डाईंग इंडस्ट्री साल में चार बिलों के जरिए अपने पानी डिस्पोजल के बिल का भुगतान करती थी। निगम डाइंग इंडस्ट्री की कुल कंसेंट का 60 फ़ीसदी ही बिल के तौर पर भेजता था। लेकिन इस बार निगम की ओर से 100 फिसिदी कंसेंट का सालाना सिंगल बिल अदा करने के नोटिस डाइंग इंडस्ट्री को भेज दिए गए हैं और इसके खिलाफ डाइंग इंडस्ट्री हाईकोर्ट चली गई है। वहीं इस बारे में जब निगम के एसई ओएंडएम राजिंदर सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पीपीसीबी की ओर से निगम को कंसेंट के लिहाज से बिल भेजने के लिए कहा गया था, इसलिए पूरी कंसेंट के लिहाज से इंडस्ट्री को बिल भेजे गए हैं और सालाना बिल भेजने के लिए हाउस की मंजूरी ली गई है।
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